- स्पेशल टॉस्क फोर्स लखनऊ से दो दर्जन के करीब मेडिकोज को उठा चुकी है, जिसमें कई अभी एमपी की जेलों में बंद

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LUCKNOW (6 July): मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं घोटाले ने बीते कुछ दिनों से पूरे देश को हिला कर रखा है। घोटाले की बढ़ती तपिश और उसमें ताबड़तोड़ झुलसती जिंदगियों ने कई गहरे सवाल खड़ा कर दिए हैं। वैसे तो यह घोटाला मध्य प्रदेश में हुआ, लेकिन इसकी आंच यूपी, बिहार और महाराष्ट्र तक महसूस की जा रही है। अगर हम सिर्फ यूपी की ही बात करें तो मध्य प्रदेश की स्पेशल टॉस्क फोर्स लखनऊ से दो दर्जन के करीब मेडिकोज को उठा चुकी है, जिसमें कई अभी एमपी की जेलों में बंद हैं। चलिए आपको बताते हैं कि इस पूरे मामले में यूपी का क्या है कनेक्शन और कौन-कौन लोग इस घोटाले की जद में हैं।

लखनऊ से एक दर्जन से अधिक अरेस्ट

व्यापमं घोटाले में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल युनिवर्सिटी से अब तक एक दर्जन के करीब मेडिकोज गिरफ्तार हो चुके हैं। कई फरार हैं और कुछ से अभी पूछताछ चल रही है। मंडे को भी मध्य प्रदेश एसआईटी की एक टीम लखनऊ पहुंची और केजीएमयू में कुछ स्टूडेंट्स से पूछताछ की। दर्जनों स्टूडेंट्स एसटीएफ के राडार पर हैं। बता दें मामले में लखनऊ केजीएमयू से एसटीएफ लगभग दो दर्जन लोगों को उठा चुकी है। जिसमें पूछताछ के बाद अब तक एक दर्जन की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।

मेडिकोज ने सॉल्वर की निभाई भूमिका

दरअसल, एसटीएफ की जिस टीम ने केजीएमयू के स्टूडेंट्स को अपने राडार पर रखा है उनमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने व्यापमं में हिस्सा लेने वालों का पेपर खुद साल्व कराया या फिर दूसरे की जगह बैठ कर एग्जाम दिया था। इसमें अधिकतर मेडिकोज केजीएमयू के हैं। इसके साथ ही यूपी के वह लोग भी शामिल हैं जिनको घोटाले से फायदा पहुंचा हो।

200 से ज्यादा की है तलाश

एसटीएफ सोर्सेज की मानें तो सबसे बड़े इस घोटाले में दो हजार से अधिक लोग अब तक गिरफ्तार हो चुके हैं। इसमें यूपी के भी अलग अलग स्थानों से डेढ़ दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सोर्सेज की मानें तो सिर्फ यूपी में व्यापमं के दो सौ से अधिक आरोपी हैं। इनमें से कुछ लोगों को अरेस्ट किया गया है जबकि बड़ी संख्या में लोग अब तक फरार हैं। लखनऊ के अलावा एसटीएफ को अंबेडकर नगर, महोबा, इलाहाबाद, जौनपुर और फर्रुखाबाद से जुडे़ लोग भी एसटीएफ के राडार पर हैं और इनकी गिरफ्तारी के लिए एमपी एसटीएफ की टीमें आये दिन दबिश दे रही हैं।

एमपी एसटीएफ ने किया इनाम घोषित

पूरे घोटाले की जांच कर रही एसआईटी और एसटीएफ ने अब तक सैकड़ों लोगों को नामजद किया है। इसमें से जो अधिक समय से फरार हैं उन पर एमपी एसटीएफ ने इनाम घोषित किया है। जिन लोगों पर इनाम घोषित हैं उनमें अंबेडकर नगर के मुकेश मौर्या पर पांच हजार रुपये, फर्रुखाबाद के पुष्पेंद्र यादव पर तीन हजार रुपये और शाहगंज, जौनपुर के राहुल जायसवाल पर तीन-तीन हजार रुपये है। पुष्पेंद्र यादव एमपी के ही रीवा मेडिकल कालेज का सेकेंड ईयर का स्टूडेंट है।

कई नेताओं के परिवार भी राडार पर

व्यापमं घोटाले में यूपी के कुछ नेताओं की फैमिली के नाम भी शामिल बताये जा रहे हैं। प्रदेश में रूलिंग पार्टी के एक विधायक की बेटी का भी इंवाल्वमेंट सामने आ रहा है। इसी तरह महोबा के जिला पंचायत अध्यक्ष के पति का नाम भी घोटाले में सामने आ रहा है। यह दोनों ही लोग एसटीएफ के राडार पर हैं। इनको अरेस्ट करने के लिए एमपी एसटीएफ ने यूपी एसटीएफ से भी सपोर्ट भी मांगा था।

यूपी एसटीएफ से मांगी थी मदद

यूपी एसटीएफ के एक अधिकारी की मानें तो इस घोटाले की जांच में जुटी एसटीएफ की टीम ने शुरू में ही यूपी एसटीएफ से मदद मांगी थी। एमपी एसटीएफ ने डेढ़ सौ से अधिक ऐसे लोगों की लिस्ट एसटीएफ के साथ शेयर की थी जिसमें नाम और पते मैच नहीं कर रहे थे। यानी एमपी एसटीएफ के पास जो एड्रेस था वह फर्जी था। ऐसे में यूपी एसटीएफ भी चाहकर एमपी एसटीएफ की मदद नहीं कर सकी। वहीं, जिन लोगों के एड्रेस एमपी एसटीएफ के पास मौजूद थे उन्हें एमपी एसटीएफ सीधे अरेस्ट कर एमपी के लिए रवाना हो गयी। लखनऊ के अलावा भी कई और शहरों से एसटीएफ ने व्यापमं के आरोपियों को दबोचा है।

केजीएमयू से गिरफ्तार मेडिकोज

केजीएमयू में एमबीबीएस अंतिम वर्ष और एमडी की पढ़ाई कर रहे एक दर्जन से अधिक डॉक्टर्स को पिछले दिनों एमपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। इसमें नीतेश वर्मा, अशोक कुमार, अमित कुमार गुप्ता, तौसीफ अहमद, सुशील कुमार वर्मा, एहसान अहमद, प्रदीप कुमार भरद्वाज, आशीष सिंह और प्रदीप कुमार वर्मा का नाम शामिल है। इसमे प्रदीप और नीतेश वर्मा को दो मामलों में गिरफ्तार किया गया है। इन पर आरोप है कि मध्य प्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल भोपाल द्वारा आयोजित पीएमटी परीक्षा 2012 और 2013 के फर्जीवाड़े में शामिल थे।

बिना थानों में दाखिल कराये उठा रही एमपी एसटीएफ

वैसे तो किसी भी आरोपी को अरेस्ट करने के बाद आरोपी को नजदीकी थाने में दाखिल कराना होता है और कोर्ट में 24 घंटे के अंदर पेश करना होता है। लेकिन व्यापमं मामले की जांच कर रही एसटीएफ की टीम ने वैसे तो लखनऊ से दर्जन भर से अधिक लोगों को अरेस्ट किया लेकिन एक को भी लोकल थाने में या फिर कोर्ट में पेश नहीं किया गया। रिटायर्ड डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करने का प्राविधान है। अगर 24 घंटे के अंदर संबंधित कोर्ट में पहुंच जाए तो वहां भी आरोपी को दाखिल किया जा सकता है।

गवर्नर के बेटे की संदिग्ध हाल में मौत

व्यापमं घोटाले से जुड़े एमपी के गवर्नर राम नरेश यादव के बेटे शैलेश यादव की संदिग्ध मौत इसी साल मार्च की 26 तारीख को उनके लखनऊ स्थित आवास पर हो गयी थी। व्यापमं में हुई अब तक की संदिग्ध हालात में हुई मौतों में इसे भी गिना जा रहा है। हालांकि पुलिस ने इसे नार्मल सुसाइड बताया था और किसी भी तरह की आशंकाओं को खारिज किया था।

क्या है व्यापमं घोटाला

व्यावसायिक परीक्षा मंडल मेडिकल, इंजीनियरिंग और दूसरी व्यावसायिक पढ़ाई के साथ सरकारी नौकरियों के लिए प्रवेश परीक्षाएं करवाने और छात्रों के सेलेक्शन का काम करता है। यह घोटाला दो हिस्सों में बंटा है, पहला मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे इंट्रेंस टेस्ट में धांधली हुई, वहीं दूसरी ओर सरकारी नौकरियों के लिए हुए एग्जाम में गोलमाल कर लोगों को नौकरी बांटी गई। बता दें कि 2008 से 2013 के बीच व्यापमं के अधीन 68 एग्जाम कराए गए। यही नहीं इस दौरान 99 प्रवेश परीक्षाएं भी आयोजित की गई। जिनमें धोखाधड़ी की आशंका है।

2000 गिरफ्तार, 600 की तलाश

अभी तक इस केस में दो हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किये जा चुके हैं। तकरीबन 600 से ज्यादा लोगों की अब भी पुलिस को तलाश हैं। इस घोटाले की सुगबुगाहट वैसे तो 2007 में शुरू हो गई थी लेकिन पहला मामला 7 जुलाई, 2013 को दर्ज हुआ। हाई कोर्ट की निगरानी में एसआईटी केस की जांच कर रही है। मामले की जांच के लिए पूर्व जज की अध्यक्षता में एसआईटी भी गठित की गई है।