वोटिंग

2017 : 60.10 %

2012 : 58 %

2007: 37 %

- लखनवाइट्स ने उम्मीद के मुताबिक नहीं किया वोट

- पिछले चुनाव के मुकाबले करीब तीन फीसद अधिक हुआ मतदान

- कई सीटों पर प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर, चर्चा में रही कैंट सीट

LUCKNOW :लोकतंत्र के पर्व में लखनवाइट्स ने दम तो दिखाया, लेकिन उम्मीद के मुताबिक मतदान नहीं हो सका। करीब चालीस फीसद लखनवाइट्स द्वारा मतदान से परहेज करने से लाखों वोट घरों में ही कैद होकर रह गये और चुनाव आयोग के साथ प्रत्याशियों को भी निराशा का सामना करना पड़ा। लखनऊ में मतदान खत्म होने तक 60.10 फीसद वोट डाले गये। ध्यान रहे कि पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 57 फीसद मतदान हुआ था। कम मतदान की असली वजह जानना चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। तमाम जगहों पर बने मॉडल मतदान केंद्र के अलावा संभ्रांत नागरिकों की अपील का भी शहरवासियों पर खास असर नहीं पड़ा। गनीमत केवल इतनी रही कि शहर में कहीं भी मतदान के दौरान हिंसा नहीं हुई। इसकी वजह मतदान केंद्रों पर सीपीएमएफ की सख्त मौजूदगी रही।

कई सीटों पर कड़ी टक्कर तय

मतदान के दौरान सुर्खियों में लखनऊ कैंट सीट रही जहां से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी पुत्र वधू अपर्णा यादव चुनाव लड़ रही हैं। उनकी सीधी टक्कर भाजपा की डॉ। रीता बहुगुणा जोशी से मानी जा रही है। ब्राह्माण बाहुल्य इस सीट पर सिख, मुस्लिम वोटर्स की भूमिका अहम मानी जा रही है। इसी तरह लखनऊ मध्य सीट भी त्रिकोणीय मुकाबले का शिकार बनी है। यहां भाजपा के बृजेश पाठक को सपा के रविदास मेहरोत्रा और कांग्रेस के मारूफ खान शिकस्त देने के लिए दिन भर वोटर्स की लामबंदी करते रहे। यह सीट किसके खाते में जाएगी इस बारे में पॉलिटिकल पंडित भी कोई दावा करने से कतरा रहे हैं। वहीं अगर सरोजनीनगर सीट की बात करें तो भाजपा की फायरब्रांड नेता स्वाति सिंह को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अनुराग यादव से कड़ा मुकाबला करना पड़ा है। इस सीट का भाग्य ठाकुर मतदाता तय करते रहे हैं और स्वाति सिंह के अलावा बसपा के शंकरी सिंह और निर्दलीय लड़ रहे रुद्रदमन सिंह 'बबलू' भी चुनाव मैदान में थे। लखनऊ पश्चिम सीट पर कायस्थ वोट बैंक निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है क्योंकि सपा के मोहम्मद रेहान और बसपा के अरमान खान के बीच कड़े मुकाबले की वजह से मुस्लिम वोट बंटने की संभावना जताई जा रही है। वहीं लखनऊ उत्तरी सीट पर भाजपा के नीरज बोरा और सपा के अभिषेक मिश्र के बीच एकतरफा मुकाबला रहा है। वहीं लखनऊ पूर्वी सीट पर पूर्व सांसद लालजी टंडन के पुत्र आशुतोष टंडन और सपा के अनुराग भदौरिया के बीच भिड़त मानी जा रही है।

ग्रामीण इलाकों ने बचाया सम्मान

वहीं लखनऊ की ग्रामीण इलाकों की सीटों में हुए ज्यादा मतदान ने कुछ सम्मान बचाया है। मलिहाबाद सीट पर सांसद कौशल किशोर की पत्नी जया देवी की टक्कर सपा की राजबाला से मानी जा रही है। इस इलाके में कौशल किशोर की स्वीकार्यता को देखते हुए उनकी पत्नी की राह आसान हो सकती है। वहीं बीकेटी में बसपा के नकुल दुबे अथवा भाजपा के अविनाश त्रिवेदी के बीच कड़े मुकाबले की वजह से हार-जीत का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है। मोहनलालगंज सीट पर भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी आरके चौधरी मजबूत स्थिति में हैं लेकिन उन्हें मात देने के लिए बसपा प्रत्याशी एवं पूर्व आईएएस रामबहादुर सपा प्रत्याशी अंबरीष सिंह पुष्कर ने दलितों और पिछड़ी जितयों पर दांव चला है।

कई जगह ईवीएम ने दिया धोखा

मतदान के दौरान कई जगहों पर ईवीएम ने धोखा दे दिया तो कुछ स्थानों पर वेब कास्टिंग फेल हो गयी। आलमनगर स्थित कमला कॉन्वेंट में ईवीएम खराब होने पर बदली गयी। देश भारती स्कूल की ईवीएम भी खराब होने के बाद बदली गयी। पारा में बूथ नंबर 62 की ईवीएम खराब होने से लोगों को मतदान के लिए इंतजार करना पड़ा। इसी तरह मोहनलालगंज के सलौली गांव में सुबह ईवीएम खराब हो गई जिससे करीब 20 मिनट तक मतदान नहीं हो सका। गोसाईगंज के सिकंदरपुर अमोलिया गांव में ईवीएम में तकनीकी खराबी के कारण करीब आधा घंटे तक मतदान रोकना पड़ा। देवामऊ गांव में भी 131 वोट पड़ने के बाद मशीन में खराबी आने से एक घंटे तक मतदान बंद रहा। इंदिरानगर के कनौसा ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज में तीन मशीनें खराब होने से हड़कंप मच गया। करीब डेढ़ घंटे तक इंजीनियर उसे ठीक करते रहे।