पब्लिक की चर्चा में कभी मोदी तो कभी अखिलेश सभी कठघरे में नजर आए

लिस्ट लेकर बैठे हैं लोग, किसने क्या किया था वादा, कहां तक वादे पर खरा उतरा

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ALLAHABAD: चुनावी माहौल में राजनीतिक दलों में चल रही उठा-पटक और दल-बदल की राजनीति लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जहां कहीं भी चार लोग जुट रहे हैं, वहां अड़ी बाजी के साथ ही बहस भी शुरू हो जा रही है। कुछ इसी तरह की अड़ीबाजी और बहस बाजी, शनिवार को शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र के पत्रिका चौराहे के पास स्थित राजू चाय वाले के दुकान के बाहर चल रही थी। यहां विकास और दल-बदल की राजनीति पर गरमा-गरम बहस चल रही थी। उदाहरण और दलीलों के साथ सपा और भाजपा की सरकार बन रही थी। माहौल उचित देख आईनेक्स्ट रिपोर्टर भी चर्चा में शामिल हो गया, और फिर बहस कहां तक पहुंची, जानिए लोगों की जुबानी

दुकान से थोड़ा फ्री होने के बाद चाय की चुस्की लेने राजू की दुकान पर पहुंचे सुनील निषाद ने चर्चा छेड़ी, आउर मोदी जी ई बार यूपी क भी विकास करिहिं। सारी पब्लिक तो ओनही की तरफ देख रही है।

सुनील की बात काटते और चाय के गिलास को स्टूल पर रखते हुए देवेंद्र वर्मा बोले, ई बताओ, तुम कह रहे हो कि जनता मोदी जी की तरफ देख रही है तो, एका मतलब ई है कि चुनाव एक पक्षीय हय। सपा, बसपा, कांग्रेस सब शून्य पर रही। देवेंद्र के सवाल पर हकलाते और सफाई देते हुए सुनील बोले, नै-नै, हमार मतलब ये नहीं है। अब सपा में तो बाप-बेटै लड़ रहेन हैं।

सुनील को सपोर्ट करते और उनके सुर में सुर मिलाते हुए आनंद कुमार बोले ई बात तो सही है कि सपा में कुल नौटंकी केवल अखिलेश के 'हीरो' बनावै के खातिर हुआ है। कांग्रेस सपा की ओर मुंह उठा कर देख रही है कि भईया भीख के नाम पर एक-दो सीट हमहू के देई देव। इसी बीच सत्येंद्र दुबे बोल पड़े, ई बताओ, राजनीति के इतने स्टंट हो रहे हैं, आम जनता का क्या फायदा हो रहा है? सत्येंद्र दुबे को बोलता देख बजाज कुमार भी बोल पड़े, आम जनता का कोई फायदा नहीं होए रहा है। आम जनता जैसे पिस रही थी, वैसे ही पीस रही है। बजाज कुमार अपनी बात आगे बढ़ाते तभी अमित ने कहा, सपा में सब ड्रामा चल रहा है। भाजपा में का होय रहा है। भाजपा में ड्रामा नहीं हो रहा है। दुई करोड़ लोगन के मोदी जी नौकरी देवै क बात कहे रहिन, ई बताओ, कितने लोगन के नौकरी दई दिहिन ढाई से तीन साल होई गए।

तभी आवेश में आते हुए सुनील निषाद बोले, ऐ भईया, ईधर सुनौ जरा 70 साल का गढ्डा ढाई साल में ना भरी। वइसे तो अखिलेश यादव ने भी टीजीटी और 72 हजार की सीट निकाली। उसमें कई करोड़ रुपये खाकर वे बैठ गए। कांग्रेस के युवराज को देखैव अबहीं तक 27 साल यूपी बेहाल का नारा लगावत रहेन। आज सपा की ओर गठबंधन के लिए नजर लगाए हैं। सुनील को रोकते हुए देवेंद्र वर्मा ने कहा देखो, ई गठबंधन का फार्मूला केवल इसलिए अपनावा जाई रहा है कि बीजेपी की सरकार न आई पाए। बनावै चले रहेन महागठबंधन, अब हो गए पैदल। अबहिन तक एक दूसरे के गरियावत रहेन, अब महागठबंधन की कोशिश में हैं।

वर्जन-

जब पार्टी और प्रत्याशी की चर्चा होती है तो लोग जाति-बिरादरी और पर्सनल लेवल पर मिले लाभ के आधार देखते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। क्योंकि कोई भी पार्टी या प्रत्याशी एक-एक व्यक्ति या बिरादरी को संतुष्ट नहीं कर सकता।

आनंद कुमार

युवाओं को कम न आंका जाए, अब राजनीति की दिशा बदलने में युवाओं की अहम भूमिका होती जा रही है, शहर उत्तरी विधानसभा सीट से युवाओं को भी तरजीह मिलनी चाहिए। युवाओं के जोश में कोई कमी नहीं है। उपेक्षा अब नहीं सहेंगे।

सुनील निषाद

कम से कम किसी को वोट देने से पहले यह विचार तो कर ही लेना चाहिए कि प्रत्याशी विकास कर पाएगा कि नहीं। यदि उसके बारे में जानते हैं तो कोई हर्ज नहीं है, बेहतर होगा कि मुद्दे के साथ ही कैंडिडेट्स का भी आंकलन करें। तभी वोट दें।

बजाज कुमार

टी प्वाइंट

पब्लिक चुनाव को लेकर इस बार सख्त है। कोई किसी के बहकावे में आने वाला नहीं है। लोग खुल भले ही नहीं रहे, लेकिन लगभग सभी ने अभी से तय कर लिया है कि आखिर उन्हें वोट देना किसे है। सभी अभी तेल और तेल की धार देखने में लगे हैं और कोई नहीं चाहता कि उसका वोट बेकार जाए, सभी यही चाहते हैं कि उनका एक वोट भी उसे ही मिले जो क्षेत्र का विकास कर सकता हो।