- शुक्रवार को कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र के अशोक नगर चौराहे पर आई नेक्स्ट 'चार्य पे चर्चा' में करप्शन सबसे बड़े मुद्दे के रूप में सामने आया

- लोगों ने बोलो, सपा बसपा, भाजपा या कांग्रेस सभी दल एक ही थाली के चट्टे बट्टे, किसी की सरकार आए, पब्लिक को कोई राहत नहीं

KANPUR: इस बार किसकी सरकार। कौन बनेगा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री? इस समय हर गली-हर नुक्कड़ पर चुनावी चर्चा बिल्कुल आम बात है। गली-चौराहे पर खड़ा हर शहरवासी अपने-अपने तर्क देकर अपनी 'सरकार' चुन रहा है। कभी कोई नोटबंदी का मुद्दा उठाता है तो कभी कोई करप्शन का। इन्हीं मुद्दों के बीच में तीखी नोकझोक होना भी लाजिमी है। कुछ ऐसी ही चर्चा फ्राइडे को कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र के अशोक नगर चौराहे पर स्थानीय लोगों के बीच चल रही थी। तभी वहां आई नेक्स्ट 'चाय पे चर्चा' की टीम पहुंच गई। बस फिर क्या था रिपोर्टर ने जैसे ही विधानसभा चुनाव की बात उठाई। हर कोई अपने अंदाज में तर्क-वितर्क करने लगा।

कभी पब्लिक का दर्द जाना?

धीमी-धीमी ठंडी-ठंडी हवा और धूप की गर्माहट के बीच गर्मा-गर्म चाय की चुस्कियां ले रहे दीपक अंशवानी रिपोर्टर से बोले, भइया नोटबंदी ने तो हमको हिलाकर रख दिया, कभी तो इसको लेकर दिल बहुत गुस्से में आ जाता है तो कभी सोचता हूं, आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ अच्छा हुआ। लेकिन चुनाव में इस बार विकास एक बड़े मुद्दे के रूप में उबर कर सामने आएगा। वो अपनी बात खत्म कर पाते, इससे पहले ही हाथ हिलाते हुए उनके बगल में बैठे रवि तिवारी बोले, अरे रहने दो दीपक भइया विकास-विकास। ये सब सिर्फ दिखावे की चीजें हैं। सिर्फ उद्घाटन और शिलान्यास करने से थोड़ी न विकास हो जाता है। पब्लिक के दिल का दर्द क्या कभी किसी ने जाना है।

कैसे भी करके वोट चाहिए इन्हें

'दिल के दर्द' की बात सुनते ही चिल्लाते हुए हरमिंदर सिंह बोले, अपना विधायक चुनने जा रहे हो या इलाज करानेउनके इतना बोलते ही रवि बोले, क्यों विधायक, मुख्यमंत्री और मंत्री के दिल नहीं होता है। उनको नहीं लगता है कि पब्लिक को किस चीज का दर्द है। क्या सिर्फ जनता ही दर्द महसूस कर सकती है। नेता आखिर पब्लिक का दर्द क्यों नहीं महसूस करते हैं? अगर वो पब्लिक के दिल की बात सुन लें तो फिर काफी मुश्किलें कम हो जाएं। चर्चा कुछ इसी तरह आगे बढ़ रही थी कि मो। नसीम बोले, भाईजान सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस सब एक ही थाली के चट्ट्े-बट्टे हैं। ऐसे में किसी से दिल से कोई भी उम्मीद करना लाजिमी नहीं है। सिर्फ उनको वोट चाहिए जीतने के बाद सब भूल जाते हैं। खैर, चर्चा बिल्कुल तीखी मिर्च की तरह तल्ख हो रही थी कि तभी संजय शुक्ला बोले, अरे भाई इतना परेशान न हो चाय की चुस्कियां भी तो लेते जाओ।

बिजली तो बढि़या आ रही है

संजय की बात पर सब एक साथ मुस्कुराए और एक स्वर में बोले, हम लोग इतना क्यों गर्म हो रहे हैं। चुनाव की बात है तो विकास, करप्शन, बिजली, पानी की बात भी तो होनी चाहिए। इस चर्चा के बीच वहां मौजूद मिंटा बोला, बिजली, पानी और सड़क पर जो नेता ध्यान नहीं देता है उसको किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। खराब सड़क से पब्लिक बेहाल हो जाती है लेकिन नेता को क्या फर्क पड़ता है? मिंटा की बात पूरी भी नहीं हो पाई कि चाय का कप लिए चिल्लाते हुए रामबाबू बोले, अरे यार ये भी तो देखो इस बार बिजली कितनी बढि़या आ रही है।

सोच समझ कर ही देंगे वोट

रामबाबू के चिल्लाने की वजह से चाय थोड़ी छलक गई तो दीपक अंशवानी बोले, अरे पहले चाय तो पी लो फिर बिजली की तरह 'कड़कना'बिजली भी एक मुद्दा है। उनके इतना कहते ही राजू खंडूजा बोले, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन हो जाए तो फिर खिचड़ी सरकार नहीं बनेगी वरना क्या भरोसा अगर खिचड़ी बन गई तो फिर सबके लिए मुसीबत हो जाएगी। जिसका खामियाजा आखिरी में पब्लिक को भुगतना पड़ता है। लेकिन अब हर कोई जागरूक हो चुका है। हर किसी को पता है कि वोट किस कैंडीडेट को देना है। इसी बीच राजू बोले, अरे भइया चाय की चुस्कियों के साथ ऐसे ही चुनावी चर्चा करते रहोगे कि काम पर भी चलोगे। खैर, हर कोई उठा और एक दूसरे से हाथ मिलाकर इस विश्वास के साथ गया कि वोटिंग के दौरान कैंडीडेट के काम और उसके बारे में अच्छे से एक बार जरूर सोचेंगे।