हजारों लोग नहीं डाल सके वोट

lucknow@inext.co.in LUCKNOW: राजधानी में हजारों लोग इस बार नगरीय निकाय चुनाव में वोट नहीं कर सके थे। इसमें भी निर्वाचन आयोग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। दरअसल, इस चुनाव से ठीक एक महीने पहले निर्वाचन आयोग ने लाखों की संख्या में मतदाताओं के नाम हटा दिए, लेकिन इसकी जानकारी किसी मतदाता को नहीं दी। जिसके कारण पिछली बार वोट देने वाले मतदाता अपना नाम लिस्ट में चेक करने नहीं पहुंचे और 26 नवंबर को हुए चुनाव में वह मतदान से वंचित रह गए।

खुद आयोग ने दी थी जानकारी

राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने 26 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जिन लोगों के दो दो जगह नाम हैं उनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, लेकिन आयोग ने नाम हटाने से पहले मतदाताओं को जानकारी नहीं दी। ताकि वह आपत्ति जता सकें। जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान जिन मतदाताओं के नाम दो दो जगह लिस्ट में थे उनके घरों में पत्र भेजे गए थे। इसके अलावा बीएलओ खुद लिस्ट लेकर पहुंचे थे और मतदाताओं से लिखित में लिया था कि कौन सी जगह पर नाम रखना है और किसे डिलीट करना है। शायद यही कारण है कि राजधानी में ही बहुत बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब हो गए।

कमेटी पर भी उठ रहे सवाल

राज्य निर्वाचन आयुक्त के आदेश पर कमिश्नर लखनऊ अनिल गर्ग बड़ी संख्या में वोटर लिस्ट से नाम गायब होने की जांच कर रहे हैं। उन्होंने दो दिन पूर्व वोटर लिस्ट की गड़बडि़यों की जांच के लिए तीन अधिकारियों की कमेटी गठित की। इसमें एक अपर आयुक्त के अलावा अन्य अधिकारी वही रखे गए हैं जिनके जिम्मे वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का कार्य था। घर बैठे ही बना दी लिस्ट जिला प्रशासन के सूत्रों के अनुसार बीएलओ ने घर बैठे ही प्रत्याशियों या अन्य लोगों के कहने पर लोगों के नाम हटा दिए। जबकि नाम हटाने से पहले बीएलओ को उनके घर जाना जरूरी था, लेकिन इसका ख्याल नहीं रखा गया। लखनऊ में पुनरीक्षण में 2069 बीएलओ की डयूटी लगाई गई थी। जिन्होंने इस वर्ष दो चरणों में मतदाता पुनरीक्षण का काम किया।

जिला प्रशासन ने नहीं की मॉनीटरिंग

बीएलओ द्वारा मतदाता सूची में नामों को जोड़ने और हटाने के काम की निगरानी जिला प्रशासन की है। जिसकी अध्यक्षता स्वयं डीएम करते हैं, लेकिन इस बार रोजाना इसकी मॉनीटरिंग नही की गई। यदि जिला प्रशासन के अधिकारी रोजाना मॉनीटरिंग करते तो यह नौबत न आती। विधानसभा चुनाव के दौरान जिला प्रशासन रोजाना जोड़े और हटाए गए मतदाताओं की जानकारी बीएलओ से मंगाता था। यही नहीं नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी मोहल्लों में जाकर स्वयं इसकी मॉनीटरिंग कर रहे थे, लेकिन इस बार कोई अधिकारी मोहल्ले तक नही पहुंचा। जिसके कारण ही बड़ी संख्या में लोग वोट देने से चूक गए। बीएलओ ने घर बैठे लिस्ट तैयार की और अधिकारियों ने उसे सत्यापित भी कर दिया। जानबूझकर नाम हटाया जाना अपराध है। जांच कराई जा रही है, जो भी अधिकारी कर्मचारी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसके अग्रवाल, राज्य निर्वाचन आयुक्त