-यूपी लोक सेवा आयोग की अपर निजी सचिव 2010 परीक्षा का मामला

ALLAHABAD: अपर निजी सचिव 2010 की भर्ती एक ऐसी भर्ती है, जिसमें सात साल संघर्ष के बाद भी अभ्यर्थियों को नौकरी हासिल नहीं हो सकी है। भर्ती, परीक्षा और परिणाम में पहले यूपी लोक सेवा आयोग का रोड़ा और अब सचिवालय प्रशासन के अड़ंगे से भर्ती में शामिल अभ्यर्थी काफी परेशान हैं। अपर निजी सचिव परीक्षा का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की चौखट तक भी जा चुका है।

कई बार कर चुके हैं प्रदर्शन

अपर निजी सचिव 2010 की भर्ती प्रक्रिया पूरी करवाने के लिए इसमें शामिल अभ्यर्थियों को लम्बा इंतजार करना पड़ा। परीक्षा और परिणाम को लेकर कई बार अभ्यर्थी सड़क पर उतरे। तब जाकर आयोग ने अंतिम परीक्षा करवाकर परिणाम घोषित किया। भर्ती प्रक्रिया को नियमों के विपरीत बताकर इसमें चयन से वंचित अभ्यर्थियों ने चार रिट याचिकाओं के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को लोक सेवा आयोग को निर्देशित किया कि अंतिम चयन में शामिल 18 अभ्यर्थियों के कम्प्यूटर सर्टिफिकेट का पुन: परीक्षण किया जाये।

सचिवालय में अटका मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट के 11 जनवरी के निर्णय के विरुद्ध नॉन सेलेक्टेड कैंडिडेट्स द्वारा स्पेशल अपील दाखिल की गई। इसे हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा 25 जनवरी को खारिज कर दिया गया। ऐसे में 11 जनवरी और 25 जनवरी के हाईकोर्ट के निर्णय के आलोक में चयनित अभ्यर्थियों द्वारा नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए सचिवालय प्रशासन अनुभाग 02 लखनऊ को दो ज्ञापन क्रमश: 17 जनवरी और 27 जनवरी को दिया जा चुका है। लेकिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र अभी तक प्रदान नहीं किया गया।

हाईकोर्ट ने दे दिया है डिसीजन

नियुक्ति पत्र न मिलने से नाराज सफल अभ्यर्थियों द्वारा पुन: रिट याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष योजित की गयी। इसमें याचियों की ओर से अधिवक्ता आलोक मिश्र को सुनने के उपरांत हाईकोर्ट ने विगत 07 फरवरी को सचिवालय प्रशासन अनुभाग 02 उत्तर प्रदेश शासन को आदेश दिया कि चयनित अभ्यर्थियों को 06 सप्ताह के अंदर नियुक्ति पत्र निर्गत किया जाए अथवा शपथ पत्र दाखिल कर नियुक्ति पत्र न जारी करने का कारण बताया जाये। यह समय सीमा अब 21 मार्च, दिन बुधवार को समाप्त हो रही है। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश को प्रमुख सचिव, सचिवालय प्रशासन अनुभाग 02 अधिष्ठान उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।

सीबीआई से हुई हैं गंभीर शिकायतें

इस बावत चयनित अभ्यर्थियों में शामिल राममनि सिंह, दीपू कुशवाहा, अर्जुन सिंह, मो। असलम, सर्वेश कुमार, मो। मुजीब सिद्दकी आदि का कहना है कि यह नियुक्ति पत्र जारी न करना सरकारी तंत्र की लापरवाही की पराकाष्ठा और चयनितों के भविष्य से खिलवाड़ है। जबकि वे बीते 09 मार्च को गांधी प्रतिमा मैदान हजरतगंज में धरना भी दे चुके हैं। मालूम हो कि यह वही भर्ती है। जिसमें चयनित न होने वाले अभ्यर्थियों ने पिछले दिनो लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच कर रही टीम से मिलकर फर्जीवाड़े का गंभीर आरोप लगाया था। इसके बाद पंचम तल में बैठे अफसरों के कान भी खड़े हो गये हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए विगत 14 मार्च को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक भी हो चुकी है।

2001 के बाद 2010 में भर्ती

- यह भर्ती आयोग के इतिहास में अप्रत्याशित विलंब के कारण अब तक की चर्चित भर्तियों में एक रही।

- 2001 के उपरांत लगभग 10 वर्ष बाद 25 दिसम्बर 2010 में यह भर्ती आई और विज्ञापन जारी किया गया।

- इसमें कुल 250 पद थे शामिल।

- लिखित परीक्षा 22 सितम्बर 2013 को करवायी गई।

- मार्च 2014 में आशुलिपिक एवं टंकण परीक्षा हुई।

- 19 जून 2017 को इसका रिजल्ट जारी किया गया।

- 11 सितम्बर 2016 को कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा हुई।

- अंतिम परिणाम 03 अक्टूबर 2017 को जारी किया गया।