- स्कूल ने एग्जाम के लिए बाहर से हायर किए टीचर्स

- कोई सुविधा न होने के बाद भी बना दिया सेंटर

- बिना जांच के ही नियुक्ति किए गए टीचर्स

LUCKNOW: इतने बड़े एग्जाम में इतनी बड़ी लापरवाही? न एक्सपीरियंस, न क्वालिफिकेशन और लगा दिया एग्जाम संभालने में। हम बात कर रहे हैं संडे को हुए यूपीपीसीएस-प्री एग्जाम की। यूपीपीसीएस जैसे बड़े एग्जाम में यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन और प्रशासन की ओर से बड़ी लापरवाही सामने आई है। सिटी में यूपीपीसीएस की प्री एग्जाम कराने के लिए क्ब्8 सेंटर्स बनाए गए थे। जिसमें से करीब 80 प्रतिशत से अधिक सेंटर्स सेल्फ फाइनेंस थे। लेकिन इस तरह के डिसीजन पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। आईनेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो यह सच सामने आया।

खुलासे के बाद सामने आया सच

लखनऊ में इसके लिए शहर में क्ब्8 सेंटर बनाये गये थे। लेकिन एसटीएफ ने पेपर लीक मामले में जिन तीन लोगों को अरेस्ट किया है उनमें एक भाड़े पर एग्जाम ड्यूटी करने वाला टीचर भी शामिल है। यह टीचर है भी या नहीं? इसकी भी जांच की जा रही है। अब गेंद आयोग और एग्जाम कंडक्ट कराने वाली एजेंसियों के पाले में है कि आखिर ऐसे एग्जाम में टीचरों को लगाने के लिए क्या मानक अपनाये जाने चाहिए।

अपने साथी को लगाया ड्यिूटी पर

कृष्णानगर के आदर्श भारतीय विद्यालय पर यूपीपीसीएस का एग्जाम आयोजित किया गया था। इसके लिए इस सेंटर पर करीब ख्0 टीचर्स की आवश्यकता थी। जिसमें से क्म् टीचर्स को क्लास में इंविजिलेटरर्स की डियूट्ी करनी थी। शेष टीचर्स की ड्यूटी एग्जाम रूम में लगाई गई थी। एग्जाम में टीचर्स की कमी को पूरा करने के लिए स्कूल मैनेजमेंट की ओर से बाहर से भाड़े पर दूसरे लोगों को सिफारिशों पर ड्यूटी पर लगाया गया। इन्हीं में से एक था जय सिंह, जिसको स्कूल के ही टीचर ज्ञानेंद्र की सिफारिश पर स्कूल के मैनेजर विशाल ने ड्यूटी पर लगाया था।

बाहर के टीचर्स का नहीं हुआ वेरीफिकेशन

बाहर से बुलाये गए टीचर्स का ना आयोग ने और न स्कूल के लेवल पर कोई वेरिफिकेशन हुआ। यानी बिना वेरीफिकेशन के ही स्कूल की ओर से ड्यूटी के लिए आईकार्ड जारी कर दिया गया। इस ड्यूटी के बदले चंद रुपये मेहनताना दिया जाता है। यह गलती कितनी घातक साबित हो सकती है इसका अंदाजा पूरे प्रदेश में एक साथ कंडक्ट की गयी यूपीपीसीएस के एग्जाम के कैंसिलेशन से लगाया जा सकता है।

थोड़े पैसों के लिए करते है ड्यूटी

आर्दश भारतीय विद्यालय में एग्जाम ड्यिूटी करने आए जय सिंह वर्मा को स्कूल के ही टीचर ज्ञानेंद्र सिंह ने एग्जाम ड्यिूटी पर लगाया था। स्कूल मैनेजर बलदेव मेहता ने बताया कि इस टीचर्स को पहले भी कई बार एग्जाम में ड्यिूटी कराया गया है। इसे सबसे पहले खुद ज्ञानेंद्र ही स्कूल में लेकर आए थे। आरोपी जय सिंह वर्मा को जब एसटीएफ की टीम मंडे को स्कूल ले गई तो उसने कबूल किया की उसने एग्जाम रूम से ही क्वेशन पेपर को खोलकर उसकी फोटो व्हॉटसएप पर ज्ञानेंद्र को भेजा था। उसने बताया कि वह खुद पीएससी की तैयारी करता है और थोड़े पैसों के लिए यहां स्कूल में होने वाले एग्जाम में ड्यूटी करता है।

शिक्षा विभाग भेजता है स्कूलों की लिस्ट

प्रतियोगी परीक्षाओं में सेंटर बनवाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग जिला विद्यालय निरीक्षक से अच्छी छवि वाले स्कूलों को सेंटर्स बनाए जाने के लिए सूची मांगते हैं। डीआईओएस कार्यालय की ओर से स्कूल की सहमति के बाद सूची आयोग को भेजी जाती है। लेकिन प्राइवेट स्कूलों को एग्जाम सेंटर बनाए जाने को लेकर बड़े पैमाने पर सेटिंग का खेल होता है। इसके लिए न मान्यता देखने की जरूरत और न संसाधन। संडे को आयोजित हुई पीसीएस-प्री के एग्जाम में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आजाद नगर स्थित आदर्श भारतीय विद्यालय (एबीवी) को सेटिंग के जरिए पीसीएस-प्री का एग्जाम सेंटर बना दिया गया। लेकिन एग्जाम आयोजित कराने वाले अफसरों ने ये जानना उचित नहीं समझा कि प्रशासनिक पदों के लिए होने वाली एग्जाम के लिए स्कूल में संसाधन या मान्यता नियमानुसार सही है या नहीं। कॉलेज के प्रबंधक बलदेव मेहता का दावा है कि उनके स्कूल को जूनियर हाईस्कूल की मान्यता है, लेकिन उन्होंने यह भी माना की हाईस्कूल के कुछ स्टूडेंट्स भी पढ़ने आते हैं।

क्या कहते हैं नियम

किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए अगर किसी स्कूल को एग्जाम सेंटर बनाया जाता है, उसके यहां प्रत्येक रूम पर दो टीचर्स होना अनिवार्य होता है। अगर किसी सेंटर पर टीचर्स की कमी होती है तो वह पास के ही स्कूल के टीचर्स जिनके यहां सेंटर नहीं है उनके टीचर्स को एग्जाम में इनविजिलेटर बनाने के लिए हेल्प लेते है। अगर कोई सेंटर ऐसा करता है तो उसे इसकी जानकारी शिक्षा विभाग या फिर एग्जाम आयोजित कराने वाली संस्था को देना होता है। इसके अलावा एग्जाम सेंटर पर कैंडीडेंट्स के बैठने की व्यवस्था, लाइट, पीने के पानी, सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा और कैंडीडेट्स को पूरी सिटिंग प्लान होना अनिवार्य होता है।