UPPSC में PCS 2015 के final result के बाद interview आयोजित होने का मामला

मेंस में पहले फेल, बाद में कर दिया गया था पास

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं की अदला-बदली मामले में जांच बिठा दी है। इसके अलावा अभ्यर्थी को गलत उत्तर उपलब्ध कराने के मामले में दोषी पाये गये दो कर्मचारियों को उनके पद से हटा दिया गया है। इसकी पुष्टि आयोग के चेयरमैन डॉ। अनिरूद्ध सिंह यादव ने की है। उन्होंने कहा कि सुहासिनी बाजपेई प्रकरण में परीक्षा विभाग के दो बाबूओं को दोषी पाया गया। जिसके बाद कार्रवाई की गई। हालांकि, सुहासिनी कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि पीसीएस परीक्षा जैसे मसले में यह कार्रवाई बहुत छोटी है। उन्हें अभी भी न्याय का इंतजार है।

चयन में धांधली का है आरोप

गौरतलब है कि सुहासिनी बाजपेई व रवींद्र तिवारी को मिले अंक एक-दूसरे को आवंटित हो गए थे। मामला मीडिया में आने के बाद आयोग ने तेजी दिखाते हुए साक्षात्कार के अंक घोषित कर दिये। आरोप है कि इंटरव्यू में भी सुहासिनी को कम अंक दिये। युवती का आरोप है कि उसके चयन में धांधली हुई है, कार्रवाई से बचने के लिए आयोग अभी तक सूचनाएं देने में आनाकानी कर रहा था।

बाक्स

पीएम ने उठाया था यह मुद्दा

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की रोहनियां की रैली में यह मुद्दा उठाया था। जिसके बाद से आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बता दें कि आयोग की पीसीएस 2015 मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका बदलने से रायबरेली की सुहासिनी को अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया था। आरटीआई के जरिए सुहासिनी ने उत्तर पुस्तिका दिखाने की मांग की। इसमें पहले उसे दूसरे की कॉपी दिखाई गई। आयोग में सचिव स्तर तक यह प्रकरण पहुंचने पर जो कॉपी उसकी बताई गई उसमें इतने अंक मिले थे कि वह मेंस उत्तीर्ण हो गई। वहीं पीसीएस फाइनल रिजल्ट के बाद उसका साक्षात्कार करवाया गया। लेकिन उसमें सुहासिनी को असफल घोषित कर दिया गया। ज्ञातव्य हो कि सुहासिनी का 16 फरवरी को साक्षात्कार कराया गया था और 22 फरवरी को जारी रिजल्ट में उसे अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया है।

उत्तर पुस्तिका का सही से मूल्यांकन नहीं हुआ है और साक्षात्कार में भी मुझे जानबूझकर फेल किया गया है।

सुहासिनी बाजपेयी

रिजल्ट में बेइमानी का आरोप लगाना बेबुनियाद है। बेइमानी तो तब होती जब इससे किसी को लाभ होता। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हां, यह जरूर है कि आयोग से चूक हुई है। जैसे ही यह पकड़ में आया सुहासिनी के साक्षात्कार की अलग से व्यवस्था करवाई गई।

डॉ। अनिरूद्ध सिंह यादव,

चेयरमैन यूपी लोक सेवा आयोग