बरेली:

सिविल सेवा परीक्षा 2016 में बरेली के पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान की स्टूडेंट अनु ने 42 वीं रैंक हासिल की है। मूलत: केरल की रहने वाली अनु बरेली में ही आईवीआरआई के हॉस्टल में छिप छिप कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करती थी। उसकी रूम मेट तक को यह भनक नहीं लगी कि वह कोर्स की किताबों में छिपाकर जीएस पढ़ती थी। आईवीआरआई में हर एजुकेशनल एक्टिविटी में सबसे आगे रहने वाली अनु एस के दोस्त उसकी इस सफलता से बड़े खुश है। सबसे ज्यादा हैरतभरी खुशी अनु की रूममेट पूर्णिमा को है, उसके साथ रही अनु अब देश में प्रशासन की बागडोर संभालेगी।

मां की निधन,पिता हॉस्पिटलाइज्ड- अनु का छिप-छिप कर सिविल सेवा की तैयारी करने से इतर पारिवारिक पक्ष भी बड़ा मार्मिक है। मां का निधन हो गया था और पिता हॉस्पिटलाइल्ड थे। जब अनु आईवीआरआई में अपनी मास्टर्स की पढ़ाई के साथ ही सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थी। परिवार की माली हालत भी ज्यादा ठीक नहीं होने के कारण अपने स्टाईपेड में से भी आधे रुपए अनु घर भेजती थी।

अनु की सादगी के बारे में उसकी दोस्त प्रज्ञा बताती है कि उसे न मोबाइल का शौक है, न सोशल मीडिया का। यहां तक की उसका फेसबुक अकाउंट तक नहीं है। दोस्त उसे कॉलेज एक्टीविटीज के दौरान सेल्फी के लिए बुलाते तो भी वह अक्सर सबसे पीछे ही नजर आती थी।

पिता की तबीयत बिगड़ी तो समय से पहले ही वह अपने मास्टर्स ऑफ वेटरिनरी साइंस की थीसिस भी हाल ही में 15 दिन पहले ही सबमिट की केरल चली गई। आईवीआरआई में थर्सडे को उसके क्लासमेट्स ने सफलता को सेलीब्रेट किया।

2 वर्ष से रह रही थी आईवीआरआई के हॉस्टल में-

अनु एस वर्ष 2015 में आईसीएआर के एंट्रेंस टेस्ट फाइट कर पीजी करने बरेली के आईवीआरआई आई थी। यहां दो वर्ष से वह शारदा हॉस्टल में पीएचडी स्कॉलर डॉक्टर पूर्णिमा की रूम मेट रही। आईवीआरआई के पीएचडी स्कॉलर डॉ नरेन्द्र ख्यालिया ने बताया कि कई बार मास्टर्स कोर्स के स्टूडेंट्स की क्लास में अनु से मुलाकात हुई। वह हर एकेडमिक एक्टिविटी में आगे रहती थी।

बरेली के 50 से अधिक गांवों में घूमी अनु-

अनु को अपनी पढ़ाई के साथ ही गांवों में पशु पालकों से मिलने और पशुओं की बीमारियों के प्रति अवेयर करने का काम भी किया। दो वर्ष में वह बरेली के करीब 50 से अधिक गांवों में रिसर्च वर्क के लिए गई, जहां पशु पालकों को पशुओं की बीमारियों के प्रति अवेयर भी किया।