अब जांच पर क्यों आंच?

किसी बड़ी घटना मसलन मर्डर, रेप, लूट आदि के बाद सबसे बड़ा चैलेंज ये होता है कि उस स्पॉट पर घटना की जांच की जाए और सबूत कलेक्ट किए जाएं। इस इंपॉर्टेट काम के लिए बनारस पुलिस को दो महीने पहले फॉरेंसिक साइंस लैब वैन दी गई। इन दो महीनों में कई बड़ी वारदातें हुई लेकिन पुलिस विभाग ने 50 लाख की इस कीमती वैन का इस्तेमाल शायद ही कभी किया होगा। इसलिए सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर अब क्यों जांच में आ रही है आंच? जबकि ये कीमती वैन जांच में क्या-क्या खुलासे कर सकती है? ये जानिये अंदर के पेज पर।

-स्मार्ट पुलिसिंग के लिए यूपी गर्वनमेंट की ओर से दो महीने पहले बनारस पुलिस को दी गई फॉरेंसिक साइंस लैब एफएसएल कार बनी सिर्फ शोपीस

-बड़ी वारदात पर भेजी जानी है मौके पर लेकिन फोरेंसिक विभाग की पार्किंग से कभी-कभी ही बाहर निकलती है ये कार

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: 'अपने खूबसूरत पांव जमीन पर न रखें, मैले हो जायेंगे.' फिल्म पाकीजा मूवी में एक्टर राजकुमार का ये डायलॉग आज भी काफी फेमस है लेकिन अगर आपको ये पता चले कि अपने पुलिस विभाग के पास भी एक ऐसी ही चीज है जिसे जमीन पर उतारने से भी विभाग डरता है। इसलिए इस कीमती चीज को विभाग बड़े संभालकर रखे हुए है जबकि इसका काम है बड़े से बड़े क्राइम स्पॉट पर पहुंचकर राजफाश करने का। सोचिये मत ये महंगी चीज कुछ और नहीं बल्कि विभाग को दो महीने पहले मिली 50 लाख रुपये कीमत की फॉरेंसिक वैन है। यूपी में अपने आप में ये हाईटेक वैन बनारस पुलिस को देने का मकसद था किसी भी क्राइम के बाद मौके पर पहुंचकर फॉरेंसिक तथ्यों को मजबूती से तैयार करना ताकि आरोपी बच न पाये लेकिन इसे पुलिस की सुस्ती कहें या फिर इस वैन की मजबूरी जो इसके होते हुए भी इसका इस्तेमाल विभाग शायद ही कर रहा है।

पूरे जोन को करती है कवर

स्मार्ट पुलिसिंग की ओर बढ़ रही बनारस पुलिस को हर रोज नये नये तोहफे सरकार दे रही है। इसी के तहत पिछले दिनों पचास लाख रुपये लागत से तैयार मोबाइल फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) कार को विभाग के वैज्ञानिक लखनऊ से बनारस लेकर आये। सीएम अखिलेश यादव ने प्रदेश के आठ जोन के लिए एक एक मोबाइल फॉरेंसिक वैन दी है। इसमे एक बनारस के लिए है। ये वैन वाराणसी जोन को कवर करती है। इसमे बनारस, बलिया, गाजीपुर, चंदौली समेत कई और आस-पास के जिलों में होने वाले अपराध के बाद मौके पर पहुंचकर साक्ष्य जुटाकर रिपोर्ट ऑन द स्पॉट देने का काम इस वैन का है। लेकिन ये वैन अपने काम को बखूबी अंजाम नहीं दे रही है। हालात ये हैं कि बड़े से बड़े क्राइम के बाद फॉरेंसिक टीम सिर्फ एक अटैची संग मौके पर पहुंच रही है और साक्ष्य जुटाकर उसी पुराने तरीके से उसे जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है।

फिर किस काम की ये वैन

फॉरेंसिक टीम के मेम्बर्स की मानें तो इस वैन का काम पुलिस की विवेचना को ही मजबूत करने का है। क्योंकि मौके पर साक्ष्य सही ढंग से कलेक्ट न होने और उसकी रिपोर्ट आने में लेट होने के कारण पुलिस सही दिशा में जांच आगे नहीं बढ़ा पाती थी लेकिन इस वैन के आने के बाद संबधित थानेदार को ये अधिकार है कि वह स्पॉट पर वैन को बुलाये। लेकिन थानेदार इस मामले में काफी सुस्त रहते हैं और वैन को कॉल करने की जहमत नहीं उठाते। जिसके कारण हत्या, लूट, रेप और चोरी जैसे मामलों में वैन न पहुंचने से जांच तो देरी से आगे बढ़ती ही है, साथ ही अपराधी को भी बचने का मौका मिल जाता है।

35 तरह की जांच होती है वैन में

- एफएसएल की सिटी इकाई को मिली वैन में एक दो नहीं बल्कि 35 तरह की जांच की व्यवस्था है

- हत्या, रेप समेत कई गंभीर अपराधों की जांच इस मोबाइल वैन के जरिए मिनटों में हो जाती है

- स्पॉट पर बहुत से साक्ष्य ऐसे होते हैं जिन्हे सिर्फ आंखों से देखना संभव नहीं है

- इसलिए कार में कई ऐसे उपकरण भी हैं जिससे स्पॉट पर बारीक से बारीक चीजों को भी देखा व उसे कलेक्ट किया जा सकता है

- फॉरेंसिक टीम के मुताबिक इस वैन के माध्यम से डीएनए, सीरम, गन शॉट, विस्फोटक, फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट और धूल पड़े वाहनों समेत पैर के निशान की जांच भी आसानी से हो सकती है

- मोबाइल वैन में जीपीएस लगा हुआ है

- जिसके जरिए लखनऊ बैठे अॅाफिसर्स इसकी लोकेशन ले सकते हैं

- कार में एक लैपटॉप भी मौजूद है और इसके चलाने के लिए कार वाईफाई से लैस है

- लैपटॉप के माध्यम से जरूरत के हिसाब से नेट का यूज कर जानकारियां भी निकाली जा सकती हैं

- इस हाईटेक कार के लिए फॉरेंसिक टीम के चार सदस्यीय टीम को लगाया गया है

- ये टीम किसी भी बड़ी वारदात के बाद गाड़ी लेकर स्पॉट पर जाने के लिए अधिकृत है

- शहर में गाड़ी को मूव करने के लिए थानेदारों को घटना के बाद इस वैन को स्पॉट पर बुलाना होता है

- जबकि दूसरे जिले में वैन को ले जाने के लिए आईजी की परमीशन जरूरी है

वारदात पर वारदात लेकिन

अपने शहर में जून में ही कई वारदात हुई। जिनमे अगर ये वैन पहुंचती तो शायद पुलिस को बड़ी मदद मिलती और खुलासे में पुलिस के लिए मौके से जुटाये गए तथ्य और मिली रिपोर्ट मददगार होती लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जिसके कारण पुलिस अधिकतर मामलों की पड़ताल अब तक कर रही है।

- 26 जून

कैंट स्टेशन परिसर में मिली लावारिस बैटरी लेकिन नहीं पहुंची मोबाइल फॉरेंसिक वैन

- 26 जून

चोरों ने जंसा और रोहनिया में 17 लाख की चोरी की वारदात को दिया अंजाम लेकिन पुलिस ने वैन को नहीं बुलाया मौके पर

- 25 जून

जैतपुरा में पांच लाख की चोरी में भी वैन की नहीं ली गई मदद

- 15 जून

चौबेपुर संदहा में वृद्ध की हत्या के वक्त भी पुलिस ने वैन को नही किया कॉल

- इस महीने कई विवाहिताओं की संदिग्ध मौत मामले में भी पुलिस वैन को बुलाने को लेकर दिखी है सुस्त

मोबाइल फॉरेंसिक कार को जरूरत के हिसाब से यूज किया जाता है। सभी से कहा गया है कि स्पॉट पर वैन की ज्यादा से ज्यादा मदद ली जाये ताकि कोर्ट में साक्ष्य के अभाव में आरोपी बच न सके।

अमेरन्द्र कुमार सेंगर, आईजी