पूर्व चेयरमैन डॉ। अनिल यादव के कारखास अधिकारी और कर्मचारियों के दिन-रात का चैन गायब

सीबीआई टीम से मिले छात्रों ने बताया कैसे सचिव के पद पर कनिष्ठ अफसरों की कर दी गई तैनाती

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीपीएससी) में जैसे-जैसे सीबीआई जांच आगे बढ़ रही है। वैसे-वैसे आयोग के अफसर और कर्मचारियों की भी बेचैनी बढ़ती जा रही है। इनमें वे कर्मचारी ज्यादा परेशान हैं जिनकी आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ। अनिल यादव के कार्यकाल में तूती बोलती थी। जानकारों की मानें तो आयोग में ऐसे मठाधीश कर्मचारियों का पूरा एक कॉकस काम कर रहा था। इनके सामने बाकी कर्मचारियों की कोई हैसियत नहीं थी। अनिल यादव और उनके वरदहस्त अफसरों के नवरत्नो में शामिल इन कर्मचारियों की धमक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व चेयरमैन की बर्खास्तगी के बाद भी इनका दबदबा कायम रहा।

एक इशारे पर चला देते थे कलम

इनमें सबसे ज्यादा वे कर्मचारी परेशान हैं, जिन्होंने डॉ। अनिल यादव के एक इशारे पर अपनी कलम फंसाने से गुरेज नहीं किया। सीबीआई की टीम ऐसे अफसरों और कर्मचारियों की गोपनीय ढंग से पड़ताल कर रही है। इस बीच रविवार को छुट्टी के दिन भी सीबीआई की टीम की जांच और छात्रों से सवाल जवाब का दौर जारी रहा। गोविन्दपुर में सीबीआई के कार्यालय पहुंचे कुछ छात्रों ने बताया कि सीबीआई टीम से मिलने कुछ विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर भी कंपलेन लेकर पहुंचे थे।

सीबीआई ही करे आरओ-एआरओ पेपर लीक कांड की जांच

इधर, भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में भी छात्रों का एक दल सीबीआई टीम से मिलने पहुंचा। मोर्चा से जुड़े छात्रों ने सीबीआई एसपी राजीव रंजन को समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी प्री परीक्षा 2016 के वॉट्सअप पर आउट हुए पर्चे के साक्ष्य सौंपे। पेपर लीक कांड की जांच तत्कालीन सपा सरकार ने सीबीसीआईडी को सौंपी थी। छात्रों ने कहा कि वे वर्तमान की योगी सरकार से मांग करेंगे कि पेपर आउट प्रकरण की जांच भी सीबीआई से करवाई जाए।

आईएएस ने नियुक्ति के बाद भी नहीं किया ज्वॉइन

इस दौरान आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल उपाध्याय ने सीबीआई एसपी का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित कराया कि अनिल यादव के कार्यकाल में सचिव बनाए गए पीसीएस अनिल कुमार यादव एवं रिजवानुर्रहमान आयोग के संविधान के मुताबिक अर्हता नहीं रखते थे। बावजूद इसके चार वर्षो तक सचिव बने रहे। जबकि तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक पीएन दुबे काफी सीनियर होने के बाद भी वरिष्ठ पद पर तैनात नहीं किये गये। यह भी बताया कि आईएएस अजय कुमार सिंह और मणि प्रसाद मिश्र को तत्कालीन सरकार ने सचिव बनाया। लेकिन पूर्व चेयरमैन डॉ। अनिल ने उन्हें दबाव बनवाकर ज्वॉइन ही नहीं करने दिया। आखिरकार बाद में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आईएएस अफसर को सचिव पद पर बैठाना ही पड़ा।

नाम के साथ सौंपेंगे चहेतों के चयन की सूची

आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल उपाध्याय ने सीबीआई टीम का ध्यान मूल्यांकन प्रक्रिया तथा संरक्षा प्रक्रिया अधिनियम की ओर भी आकर्षित कराया। उन्होंने कहा कि मुख्य परीक्षा के परीक्षकों की योग्यता और अनुभव को दरकिनार करके मनमाने तरीके से शिक्षकों को मूल्यांकन हेतु नियुक्त किया गया और चहेतों का चयन धड़ल्ले से किया गया। मोर्चा अध्यक्ष कौशल सिंह ने कहा कि शीघ्र ही सीबीआई अफसरों को गलत ढंग से चयनित छात्रों तथा उन दलालों के नाम सौंपे जाएंगे, जिन्होंने अवैधानिक तरीकों से व्यवस्था का लाभ उठाया। इस दौरान प्रतियोगी छात्र सतीश कुमार सरोज ने आरओ-एआरओ 2014 मुख्य परीक्षा की अंक तालिका लेकर अपनी शिकायत दर्ज करवाई।