- देव वंदना से हुई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत, बिखरे कई रंग

- देवभूमि के कलाकारों ने मचाई धूम, स्थानीय टीमों की हुई परफार्मेस

BAREILLY:

'ओ नंदा सुनंदा तू दैण है जय', 'जै जै हो बदरीनाथ, जै हो केदारा', गीतों से देव वंदना कर सैटरडे को तीन दिवसीय उत्तरायणी मेले का आगाज उत्तरायणी जनकल्याण समिति ने किया। रंगयात्रा का शुभारंभ मेयर डॉ। उमेश गौतम ने हरी झंडी दिखाकर किया। फिर शुरू हुआ कलाकारों द्वारा देवभूमि की अद्भुत संस्कृति के प्रदर्शन का सिलसिला। मंच पर उत्तराखंड और स्थानीय टीमों की परफार्मेस से मेला शुरू हुआ। पारंपरिक लोकगीतों और मनमोहक नृत्य ने समा बांधा। इसी तरह एक बार फिर पर्वतीय संस्कृति के कई रंगों से रूबरू होने का मौका शहर को मिला। देर शाम तक हजारों शहरवासी देवभूमि के दर्शन को पहुंचते रहे।

छोलिया ने किया आकर्षित

सुबह 10 बजे रंगयात्रा शुरू हुई। जो अंबेडकर पार्क, पटेल चौक, चौकी चौराहा, सर्किट हाउस से बरेली क्लब ग्राउंड पहुंची। फिर मेले का विधिवत शुभारंभ हुआ। रंगयात्रा की शुरुआत गोलू देवता के आशीर्वाद और तिलक लगाकर हुई, जिसमें मां नंदादेवी के पीछे छोलिया की टीम ने जोश भरा। मशकबीन और रणसिंघा की गगनभेदी तान, लोकगीतों, लोक नृत्यों संग रंगयात्रा मेला स्थल पहुंची। स्कूलों का बैंड, छात्राओं का नारी सशक्तिकरण और बेटी बचाओ अवेयरनेस प्रोग्राम और सभ्य नागरिक बनने की अपील आकर्षण के केंद्र रहे। शोका समाज और ट्रेडिशनल ड्रेस पिछौड़ा में सजी ग‌र्ल्स ने कुमांऊंनी संस्कृति की छटा ि1बखेरी।

मंच पर बिखेरी पहाड़ की छटा

रंगयात्रा के रंगारंग आगाज और मेला शुभारंभ के बाद मंच पर कई परफार्मेस हुईं। गढ़वाल और कुमाऊं के लोकनृत्य, लोकगीतों ने धूम मचा दी। झोड़ा, चांचरी, छपेली गीतों ने मन मोह लिया। मेले में 150 स्टॉल्स पर पहुंचकर शहरवासियों ने कपड़े, ज्वैलरी और घर की डेकोरेशन के सामान खरीदे। मेले में खाद्य पदार्थ के आइटम्स की भी भरमार है। यहां कुमाऊं का आचार, सिंगौड़ी, बाल मिठाई, गढ़वाल की दाल और मसालों के स्टॉल सजे हैं। इसके अलावा मेले में जयपुर के चूरन, कोलकाता का काथा वर्क, देहरादून की खादी, चमकौर की सूखी डंाग, रूद्रपुर के मसाले खास हैं। साथ ही उत्तराखंड कुटीर उद्योग और स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल भी लगे हैं।

वित्त मंत्री ने किया इनॉग्रेशन

मेले का इनॉग्रेशन वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने किया। यहां पिथौरागढ़ से जीवन राम के नेतृत्व में छोलिया टीम ने रंगयात्रा समेत मंच पर लोकगीतों पर परफार्मेस दी। जीआईसी और जीजीआईसी के स्टूडेंट्स ने स्वच्छता का संदेश दिया। दोपहर बाद सांस्कृतिक प्रभारी पूरन सिंह दानू और जगदीश आर्या के लोकगीतों के संग्रह का विमोचन आयकर अधिकारी दिनेश पाठक ने किया। स्मारिका संपादक डॉ। नवीन उप्रेती, प्रभारी अमित पंत, सहप्रभारी प्रकाश पाठक की मेले को समर्पित और उत्तरायणी मेले का महत्व बताते हुए स्मारिका का विमोचन आयकर अधिकारी दिनेश पंत ने किया। इसके बाद राजेंद्र मेहता के नेतृत्व में जय पूर्णागिरी देवभूमि उत्थान समिति की टीम ने मंच पर परफार्मेस की शुरुआत की।

शाम को और रंगारंग हुआ मंच

जैसे-जैसे शाम होती रही मंच पर परफार्मेस का दौर बढ़ता गया। मंच संचालन आकाशवाणी सेंटर रामपुर के राजेश्वरी ने किया। यहां दिव्य लोक कला विकास समिति हल्द्वानी से आए नंद किशोर नंदू का जादू खूब चला। लोकगायकी में फेम सिंगर गोपाल बाबू गोस्वामी के बेटे अमित गोस्वामी ने और लोकगायिका कुसुम नेगी ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। यहां मीडिया प्रभारी रमेश चंद्र शर्मा, देवेंद्र जोशी, भूपाल सिंह बिष्ट, मेला प्रभारी विपिन शर्मा, जेसी बेलवाल, मोहन पाठक, केपीएस बिष्ट, प्रकाश पाठक, तारा जोशी, सुरेश पंत, सुरेश पांडे, मोहन जोशी, संजय कंडारी, योगेंद्र जोशी, सुंदर भाकुनी, गौरव मिश्रा अन्य मौजूद रहे।

पहाड़ की माैजूद सामग्री

उत्तराखंड के मसाले और अनाज समेत मिठाइयों और अचार से मेला गुलजार है। यहां उत्तराखंड के फेम उत्पादन समितियां और आइटम्स की लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। कुछ लोग टेस्ट तो कुछ इसका सदैव उपयोग करने के लिए खरीद रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से पहाड़ का तोहफा माने जाने वाला गेढ़ी, गडेरी, पिनाल, किल्मोड़ी जड़, गुर्जा, गिलोय, चूरन, पहाड़ी नींबू, मड़ुआ का आटा, मोढ़े का आटा, तरुण का बीज मौजूद है। अनाज में पहाड़ की गहद, भट्ट, लोबिया, जम्बू, जखिया, भांगदाना, भंगीरा, चौलाई, पहाड़ी हल्दी मौजूद है। अचार में पहाड़ी बांस का अचार, मुरब्बा मिठाई में फेम बाल मिठाई, बुरांश का जूस, पाषाण भेद समेत पहाड़ी सब्जियों में मूली, आलू, मसाले मौजूद हैं।

मेले में पाॅलीथिन बैन

उत्तरायणी मेला में अगर आप खरीदारी को जा रहे हैं। ज्यादा सामान खरीदना है तो घर से जूट या कपड़े का बैग लेकर जाएं। पॉलीथिन के बैग में न तो सामग्री मिलेगी और न ही कोई दुकानदार आपको पॉलीबैग में सामान ही देगा। वहीं, अगर आप दुकानों से कपड़े या जूट का बैग लेंगे तो इसके लिए एक्स्ट्रा पेमेंट करना पड़ सकता है। साथ ही, मेले में जगह-जगह स्वच्छता का संदेश दिया गया है। कूड़ा कचरा यहां वहां कोई न फेंके इसके लिए जगह-जगह कूड़ेदान रखे गए हैं। किड्स जोन और फूड जोन में भी काफी रियायती कीमतों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध है। अगर आप अभी तक घर में हैं तो अब आपके पास दो दिन बचे हैं पहाड़ की संस्कृति की झलक देखने के लिए।