-बनारस में मेट्रो का काम शुरू होने से पहले जमींदोज संस्कृति व इतिहास को सामने लाने का बना ब्लूप्रिंट

खोदाई में जमीन के अंदर से जो ऐतिहासिक धरोहर निकलेंगी उन्हें संजोया जाएगा

--Project का 80 फीसदी कंस्ट्रक्शन होना है अंडरग्राउंड

VARANASI (21 Oct)

बनारस में मेट्रो का काम शुरू होने से पहले ही समय के साथ यहां की जमींदोज संस्कृति और इतिहास को संजोने की तैयारी पूरी कर ली गई है। बनारस में मेट्रो शहर के 80 फीसदी हिस्से में अंडरग्राउंड होगी। इसको लेकर एक आशंका भी जाहिर की जा रही है कि जमीन के अंदर दबा पड़ा काशी का इतिहास मेट्रो की खुदाई के दौरान नष्ट भी हो सकता है। इसी आशंका को देखते हुए वाराणसी मेट्रो प्रोजेक्ट के इंटरिम कंसलटेंट ने इतिहास को संजोने का हल भी निकाल लिया है।

मेट्रो स्टेशन पर म्यूजियम

अंडरग्राउंड मेट्रो कंस्ट्रक्शन के दौरान जमीन के अंदर से जो ऐतिहासिक धरोहर निकलेंगी उन्हें किसी एक स्टेशन पर म्यूजियम बनाकर संजोया जाएगा। यह जानकारी आई नेक्स्ट से बात करते हुए लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के डायरेक्टर प्रोजेक्ट्स एंड व‌र्क्स दलजीत सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि ऐसी व्यवस्था ग्रीस के एथेंस मेट्रो स्टेशन पर की गई है। उन्होंने बताया कि वाराणसी में मेट्रो प्रोजेक्ट की जटिलता को देखते हुए दुनिया भर के मेट्रो स्टेशनों की केस स्टडी की गई है और उनकी बेस्ट प्रैक्टिस को बनारस सहित फ्यूचर में यूपी में बनने वाले मेट्रो स्टेशनों पर करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

एथेंस की तरह ही है बनारस

दलजीत सिंह ने बताया कि प्राचीन ग्रीस सभ्यता वाले एथेंस शहर की तरह ही बनारस शहर का अपना इतिहास है। अंडरग्राउंड स्टेशनों के लिए खुदाई होने पर बहुत हद तक संभव है कि जमीन के नीचे दबा इतिहास का खजाना मिले। उन्होंने बताया कि जब एथेंस में अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन के लिए खुदाई की गई तो वहां भी कई ऐतिहासिक धरोहर मिलीं।

ताकि रूबरू हो सके पब्लिक

दलजीत सिंह के मुताबिक बनारस शहर के कई पुराने इलाकों में मेट्रो का अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन होना है। ऐसे में हो सकता है कि जगह-जगह पर बनारस के पुरातत्व अवशेष मिलें। इन धरोहरों को वहां बनने वाले नजदीकी स्टेशन पर छोटा म्यूजियम बनाकर संजोया जाएगा, जिससे वहां आने वाली जनता अपने इतिहास से रूबरू हो सके।

ASI की सलाह पर होगा काम

डायरेक्टर ने बताया कि जिस तरह मेट्रो कंस्ट्रक्शन से पहले सर्वे किया जाता है और सिविक अमेनिटीज के ट्रांसफर के लिए संबंधित विभागों से चर्चा कर पूरा प्लान बनाया जाता है, ठीक उसी तरह बनारस में भी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से भी सलाह ली जाएगी। जमीन के नीचे जिन स्थानों पर एएसआई ऐतिहासिक धरोहरों के होने की संभावना जताएगा, वहां इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि खोदाई के दौरान उन्हें कम नुकसान पहुंचे और उन्हें सुरक्षित बाहर निकला जा सके।

यदि ऐसी प्लानिंग है तो यह बहुत अच्छी खबर है, जो इतिहास जमींदोज है, वह वैसे भी हमारे सामने नहीं है। मेट्रो स्टेशन पर म्यूजियम बनने से हम बनारस के डेवलपमेंट के साथ-साथ इतिहास भी सामने रख सकेंगे, इससे दुनिया में एक पॉजिटिव मैसेज जाएगा।

प्रो। एमपी अहिरवार, आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट, बीएचयू