-500 और हजार के नोटों पर बैन के बाद रजिस्ट्री ऑफिस में छाया सियापा

-जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या में आई 90 परसेंट की कमी

-चारों दफ्तरों में नौ नवंबर से अब तक मात्र 117 हुई रजिस्ट्री

-जबकि इससे पहले यहां एक दिन में होती थी इतनी रजिस्ट्री

VARANASI

नोटबंदी का असर भले कहीं ज्यादा तो कहीं कम है, कहीं खुशी तो कहीं गम है लेकिन एक जगह ऐसा भी है जहां पांच सौ व हजार के नोटों पर हुए वार के बाद से सन्नाटा छा गया है। ये वो जगह है जहां कभी अपने नंबर के लिए डेली मारामारी होती थी। हर कोई बस यही चाहता था कि उसका काम पहले हो लेकिन इन दिनों यहां अपने काम के लिए नाममात्र के लोग ही पहुंच रहे हैं। हम बात कर रहे हैं कचहरी स्थित रजिस्ट्री ऑफिस की। चार सेक्टर्स में बंटे उप निबंधन के दफ्तरों में नोटबंदी ने रेवेन्यू पर तगड़ा चोट किया है। हालात ये हैं कि यहां भ्00 और क्000 के नोटों के बंद होने के बाद जमीन की रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या में 90 परसेंट की कमी आई है। प्रेजेंट में हालात ये हैं कि नोटबंदी से पहले तक यहां एक दिन में जितनी संख्या में जमीन की रजिस्ट्री होती थी उतनी संख्या इस वक्त नौ नवंबर से लेकर क्भ् नवंबर तक की है।

टारगेट कैसे होगा पूरा?

नोटों पर बैन के बाद एक सप्ताह में ही रजिस्ट्री ऑफिस के उप निबंधन प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ कार्यालय में रजिस्ट्री के कार्य में जबरदस्त गिरावट आई है। यहां के स्टाफ के मुताबिक सुबह के शाम तक कभी चार तो कभी पांच रजिस्ट्री ही हो रही है। एक दो दिन तो ऐसे गए जब पूरे दिन में मात्र रजिस्ट्री हुई। जिसके कारण अगले साल मार्च तक फिक्स टारगेट के पूरा होने का संकट भी पैदा हो गया है।

बहुत बुरे हैं हालात

-नोटबंदी के बाद से चारों उप निबंधन दफ्तरों में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री

कराने के लिए गिने-चुने लोग ही आ रहे हैं

-हर दफ्तर में नौ नवंबर से पहले जहां फ्0 से फ्भ् रजिस्ट्री होती थी

- वहीं अब ये संख्या घटकर दो से तीन हो गई है।

-बैन के बाद उप निबंधन दफ्तर प्रथम में महज फ्ख् रजिस्ट्री हुई है और ख्ख् लाख रेवेन्यू आया।

- जबकि द्वितीय में फ्क् रजिस्ट्री हुई और करीब ख्0 लाख से ज्यादा का रेवेन्यू आया।

- तृतीय उप निबंधन दफ्तर में भी नोटों पर वार के बाद मात्र ख्फ् रजिस्ट्री हुई और नौ लाख रुपये रेवेन्यू आया।

- चतुर्थ निबंधन दफ्तर में फ्0 रजिस्ट्री संग क्भ् लाख भ्0 हजार रुपये का रेवेन्यू ही आ सका।

- जबकि नोटबंदी से पहले दफ्तर में यह आंकड़ा एक दिन का होता था।

(नोट- ये सभी आंकड़े चारों उप निबंधन दफ्तर से लिए गए हैं। जो नौ नवंबर से लेकर क्भ् नवंबर तक के हैं)।

कचहरी में भी सन्नाटा

बड़े नोटों पर बैन का असर हर तरफ तो है ही। अब कचहरी में भी इसने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है और हाल ये है कि बरसों पुराने मुकदमों की सुनवाई में शामिल होने व पैरवी तक के लिए आने वाले मुव्वकिलों की संख्या में भी भारी कमी आई है। जिसके कारण वकीलों की कुर्सियां खाली पड़ी हैं और उनकी कमाई भी पहले से कम हो गई है।