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PATNA: पटना के पटेल नगर की शोभा कुमारी ने भी मौत को काफी करीब से देखा है। मैंग्लोर से पटना की यात्रा के दौरान पति और दो छोटे बच्चों के साथ उनकी टीम में कुल क्0 लोग थे। वह मौत के मुंह से बाहर आ गए यकीन ही नहीं हो रहा है। हादसे से कुछ ही देर पहले उनकी नींद खुली थी। घड़ी पर नजर गई तो ब्.क्भ् बज रहा था। वह सोने की सोच ही रही थीं कि अचानक तेज आवाज हुई और लगा कि ट्रेन पलट जाएगी।

 

एसी कोच में छूटा पसीना

शोभा ने बताया कि एसी कोच एक् में थीं। रात में ठंड भी थी लेकिन दुर्घटना के समय हर यात्री पसीना-पसीना हो गया। शोभा का कहना है कि ऐसा लग रहा था कि रेलवे लाइन उखड़ गई है और किसी की जान बचना मुश्किल है। दोनों बेटों को पकड़कर बैठ गई और आंख से आंसू बंद ही नहीं हो रहा था।

 

टकराकर चल रही थी ट्रेन

शोभा ने बताया कि प्लेटफॉर्म की दीवार से टकराकर ट्रेन चल रही थी। स्पीड अधिक नहीं थी लेकिन लग रहा था बोगी प्लेटफार्म से अटक गई है। ट्रेन जब रूकी तो हर यात्री बाहर भागने लगे। बाहर निकल कर जब हालात देखा तो रूह कांप गई। एक भ् साल के बच्चे की लाश तो नजर से हट ही नहीं रही है। पटना पहुंच गई लेकिन अभी भी लग रहा है कि मौत के मुंह से निकल नहीं पाई हूं। शोभा बहुत डरी हुई हैं।

 

बाप-बेटे की मौत से मातम

पश्चिमी चम्पारण के मझौलिया थाना एरिया के अहवर शेख टोला में शुक्रवार को मातम फैल गया। वास्कोडिगामा-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटना ग्रस्त होने से गांव के रामस्वरूप पटेल के फ्0 वर्षीय पुत्र दीपक पटेल और उसके चार साल के बेटे गोलू कुमार की मौत की खबर मिलते ही हर कोई सन्न रह गया। घर में कोहराम मच गया। मां के साथ पूरा परिवार परिवार के दो बच्चों की मौत से सदमे में हैं। दीपक गोवा में रहकर राजगीर का काम कर अपने परिवार का पालन पोषण करता था। बुधवार के दिन वह वहां से परिवार के साथ अपने घर लौट रहा था। घर वालों से वादा किया था कि शुक्रवार को घर पहुंच जाएगा, लेकिन उसका वादा पूरा नहीं हुआ। यूपी के चित्रकूट के पास ट्रेन पटरी से उतर गई और इसमें दीपक और उसके बेटे की जान चली गई। इस घटना में उसकी पत्‌नी शिला देवी व दीपक के दो साल की बेटी गंगा बाल बाल बच गई। इस घटना में दीपक का भाई ब्रजकिशोर भी बच गया। दीपक के पिता रामस्वरूप पटेल और परिवार के अन्य सदस्यों का रो रो कर बुरा हाल है।

 

लगा रूठ कर दूर चला गया कलेजे का टुकड़ा

छपरा की नूरेशा खातून पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक पर खामोश बैठी हुई थी। आंखों से बह रही आंसू की धार उसके दर्द को बयां कर रही थी। बेटा वास्कोडिगामा-पटना एक्सप्रेस से घर आ रहा था। बुधवार को जब ट्रेन में बैठा तो मां को फोन कर बताया कि काम नहीं लग पाया और गोवा से गांव वापस आ रहा है। लेकिन ये क्या उसके आने से पहले खबर लगी कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई। वह सूचना पाते ही भागकर पटना जंक्शन आ गई और जब कोई पता नहीं चला तो बस रोए जा रही थी।

 

प्लेटफार्म पर कोई बताने वाला नहीं

शुक्रवार दोपहर में ही पटना जंक्शन पहुंच गई। फोन पर फोन किए जा रही थी लेकिन बेटे का फोन बंद मिल रहा था। वह अपने कलेजे के टुकड़े के साथ किसी अनहोनी की आशंका को लेकर परेशान थी। स्टेशन पर कंट्रोल रूम में कोई कुछ बताने वाला नहीं था। आशंका तरह-तरह की थी, दुर्घटना स्पेशल ट्रेन जब स्टेशन पहुंची तो हर यात्री को वह आंखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी। गेट पर खड़ी होकर वह भीड़ में बेटे को तलाश रही थी। अचानक से भीड़ में बेटा दिखा और वह पागलों की तरह उसके तरफ दौड़ पड़ी।

 

बेटे को गले लगा खूब रोई

नूरेशा बेटे जावेद को देखते ही दौड़कर उसे गले लगा ली और खूब रोई। वह उसे काफी देर तक सीने से लगाए रखी। फिर साथ लेकर छपरा के लिए चली। जावेद ने बताया कि जब ट्रेन डीरेल हुई तो लगा कि अब घर नहीं पहुंच पाऊंगा। चीख-पुकार सुनकर और घायलों को देखकर सांस ऊपर-नीचे हो रही थी। वह घर दूसरा जन्म लेकर आया है।