RANCHI : सिटी में जाम की समस्या से लोगों का आर्थिक और मानसिक दोहन तो ही रहा है, साथ ही साथ उनके स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। हर रोज शहर में दौड़ती अस्सी हजार गाडि़यों के धुएं से इतना कार्बन उत्सर्जन हो रहा है कि अब लोग सांस की बीमारी के शिकार होने लगे हैं। हर हॉस्पिटल व डॉक्टरों की क्लिनिक में मरीजों की लंबी कतार लगी है, जिन्हें सांस लेने की समस्या आ रही है। बच्चों में भी अस्थमा की समस्या तिगुनी बढ़ी है। एक साल के भीतर बदल गया परिदृश्य रांची शहर में सांस के मरीजों की संख्या के मामले में एक साल के भीतर बड़ा बदलाव आया है। विभिन्न हॉस्पिटल्स से जो आंकड़े मिले हैं, उनमें औसतन चालीस फीसदी मरीज फेफड़े से जुड़ी बीमारियों के ही इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। साल भर पहले तक यह आंकड़ा 20 फीसदी के आसपास था। अकेले रिम्स में आउटडोर मरीजों का आंकड़ा 150 के पार होता है। इसमें 60 से भी ज्यादा मरीज सांस लेने में परेशानी, खांसी और दमा की शिकायत के साथ आते हैं। बच्चे भी हैं धुएं से परेशान जाम में गाडि़यों से उठने वाले धुएं के कारण स्कूली बच्चों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। सिटी के डॉक्टर्स बताते हैं कि बच्चे 'पैसिव स्मोकिंग' के शिकार हो रहे हैं। यह उतना ही घातक है, जितना एक सिगरेट पीने वाले 'एक्टिव स्मोकर' को होता है। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में रोज 70 से 80 बच्चे आउटडोर में इलाज के लिए आते हैं। इनमें किसी दिन 25 तो किसी दिन 40 बच्चे केवल फेफड़े के विभिन्न बीमारियों की शिकायत के साथ आते हैं। बच्चे सबसे ज्यादा धुएं के शिकार स्कूल जाने और लौटने के समय होते हैं। जाम में फंसी बसों में बैठे बच्चे धुएं का शिकार होते हैं, जो आगे चलकर उन्हें अस्थमा का मरीज बनाते हैं। इन इलाकों से आ रहे हैं ज्यादा मरीज 1. रातू रोड 2. हरमू रोड 3. चर्च रोड 4. कांटाटोली 5. कचहरी