स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए सरकारी हॉस्पिटल्स में नहीं हैं वेंटीलेटर
प्राइवेट में कराना होगा भर्ती, पे करना होगा हेवी चार्ज, एक मरीज आ चुका है सामने
ALLAHABAD: स्वाइन फ्लू का खतरा सिर पर मंडराते ही स्वास्थ्य विभाग ने इलाज को लेकर दावे शुरू कर दिए हैं। लेकिन असलियत ये है कि मरीजों को इलाज में उधार की सांसों के लिए तगड़ा मोल चुकाना पड़ सकता है। कारण की सरकारी हॉस्पिटल्स में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए वेंटीलेटर का इंतजाम नहीं है। ऐसे में अगर मरीज आता है तो उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में शिफ्ट करना होगा। जहां, फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है।
रूम बना वेंटीलेटर गायब
एसआरएन हॉस्पिटल में मेडिसिन आईसीयू के नजदीक एक रूम स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए रिजर्व किया गया है
इसमें वेंटीलेटर की व्यवस्था नहीं है
हॉस्पिटल में कुल 11 वेंटीलेटर हैं
डिमांड इससे कई गुना अधिक है
एनेस्थीसिया आईसीयू में पांच, मेडिसिन आईसीयू में चार और अन्य वार्डो में दो वेंटीलेटर लगे हैं
बेली और कॉल्विन में नहीं
बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल में एक भी वेंटीलेटर मौजूद नहीं हैं
लंबे समय से यहां मांग है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है
यहां भूले से कोई स्वाइन फ्लू का गंभीर मरीज आया तो उसे रेफर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं
बेली मंडलीय हॉस्पिटल और कॉल्विन जिला अस्पताल है
तत्काल पड़ती है जरूरत
स्वाइन फ्लू के सीवियर मरीज को तत्काल वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है
सांस नहीं ले पाने और बेहोशी की अवस्था में मरीज को वेंटीलेटर पर रखा जाता है
सरकारी अस्पतालों में गरीबी रेखा के नीचे के कार्ड धारकों को मुफ्त मिलता है वेंटीलेटर
fact file
11
एसआरएन हॉस्पिटल में वेंटीलेटर की संख्या
00
बेली हॉस्पिटल में वेंटीलेटर की संख्या
00
कॉल्विन हॉस्पिटल में वेंटीलेटर की संख्या
10000
हजार रुपये तक चार्ज करते हैं प्राइवेट हॉस्पिटल एक दिन का
1500
रुपये सरकारी हॉस्पिटल में वेंटीलेटर का एक दिन का चार्ज
सीरियस मरीज वापस नहीं किया जाता। इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। वेंटीलेटर खाली नहीं होते तो उन्हें दूसरे तरीके से कृत्रिम सांस दिए जाने की व्यवस्था की जाती है।
-प्रो। एसपी सिंह,
प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज