By: Chandra Mohan Mishra | Publish Date: Wed, 12 Oct 2016 19:55:03 (IST) मोहर्रम के दसवें दिन यानि यौम-ए-आशूरा पर पूरे देश में गमजदा माहौल में ताजियों के जूलूस निकाले जा रहे हैं। या हुसैन के नारे फिजा मे गूंज रहे हैं। आज ही विभिन्न करबला में ताजिये दफन किये जायेंगे। दरअसल मोहर्रम कोई त्योहार नहीं है बल्कि मुस्लिमों के शिया समुदाय के लिए यह एक मातम का दिन है। इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के छोटे नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 अनुयाइयों का इसी दिन कत्ल कर दिया गया था। उन्हीं की याद में शिया मुस्लिम दस दिन तक शोक मनाते हैं। मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम है। इसी महीने से इस्लाम का नया साल शुरू होता है। इस महीने की 10 तारीख को यौम-ए-आशूरा या मोहर्रम कहा गया है।
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