सरिस्का में एक समय बाघ बिल्कुल ख़त्म हो गए थे लेकिन पिछले तीन सालों में ये संख्या पांच तक पहुंच गई है। भारत में हाल के दशकों में बाघों की संख्या में भारी कमी आई है। साल 2011 में हुई एक गणना में ये संख्या महज़ 1,700 पाई गई थी। अनुमान है कि सौ साल पहले भारत में एक लाख बाघ थे।

मुआवज़ा

उमरी सरिस्का से विस्थापित होने वाला दूसरा गांव है। इस कार्रवाई का मकसद बाघों को उपयुक्त प्राकृतिक वास देना है ताकि उनकी संख्या बढ़ाई जा सके।

राजस्थान के चीफ़ क़ंज़र्वेटर ऑफ़ फ़ोरेस्ट्स पीएस सोमसेखर ने बीबीसी को बताया कि सरिस्का रिज़र्व के भीतर 11 गांव हैं जिनमें क़रीब ढाई हज़ार लोग रहते हैं। इन गांवों में रहने वाले अधिकतर लोग चरवाहे हैं।

पीएस सोमसेखर ने कहा कि आने वाले सालों में चार अन्य गांव को भी टाइगर रिज़र्व के बसाया जाएगा। उन्होंने कहा, “ये एक लंबी प्रक्रिया है क्योंकि पुनर्विस्थापन के लिए ग्रामीणों की रज़ामंदी लेनी होती है। हम उन्हें निकलने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। हम सिर्फ़ उन्हें मना सकते हैं। ”

राजस्थान के चीफ़ वाइल्ड लाइफ़ वॉर्डन एसी चौबे ने बीबीसी को बताया कि रिज़र्व से हटाए गए ग्रामीणों को दस लाख रुपए के मूल्य की ज़मीन, नक़दी और मवेशी दिए गए हैं।

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