पैदाइशी कप्तान
विराट कोहली के बारे में बात करते हुए उनके कोच राजकुमार कहते हैं कि दस साल की उम्र से वो उसे देख रहे हैं। मैदान पर उतरते ही वो बिलकुल बदल जाता है और उसकी नेतृत्व करने की प्रतिभा जाग जाती है। वो, विराट को लीड करने के न लिए पैदा हुआ शख्स मानते हैं जिसका बेहतरीन क्रिकेटर बनना तय था। कुमार बताते हैं कि उसमें क्रिकेट की अदभुद समझ है जिसके कायल उसने सीनियर खिलाड़ी भी हमेशा से रहे हैं इसीलिए अंडर फिफ्टीन में भी वो मैदान पर लोगों को जब गाइड करता था वे उसकी बात मानते थे।   
 
पराजय से प्रेणना
विराट की सबसे बड़ी खासियत है हार या नाकामयाबी से हताश ना होना। उसका जुनून उसे हमेशा संघर्ष करने की प्रेणना देता है। इस बात का उदाहरण देते हुए राजकुमार ने बताया कि एक बार जब वे खेल की राजनीति के चलते उसे अच्छे परफार्मेंस के बावजूद अंडर 15 में नहीं चुना गया तो आंखों में आंसू भर आने के बावजूद उसने हार नहीं मानी और मेहनत करता रहा। नतीजा ये हुआ कि अगले साल उसका सलेक्शन होने तक उसके कोच और कुछ चंद दूसरे सीनियर खिलाड़ी उसके साथ खड़े रहे। इसके बाद विराट ने अपने खेल से उनके विश्वास को सही साबित किया।

विराट के कोच ने किए कई खुलासे कहा 'कप्‍तान बनने के लिए ही हुए थे पैदा'

बेचैन फितरत
कुछ लोग मैदान पर विराट के व्यवहार को उसका अग्रेशन मानते हैं, लेकिन कोच राजकुमार का कहना है कि ये उसका अग्रेशन नहीं बल्कि बेचैन तबीयत का नतीजा है। वो हमेशा मैदान पर रहना चाहता है। उसे जल्दी आउट होना पसंद नहीं और विरोधियों को आगे बढ़ कर अपने खेल से जवाब देने से खुद को रोक पाना उसके लिए संभव नहीं है। वो आगे बढ़ कर जिम्मेदारी उठाना चाहता है। यही बेचैनी उसे अग्रेसिव दिखाती है। उसे टिक कर बैठे रहना नहीं आता।

खेल से गहरा जुड़ाव
विराट का अपने खेल से गहरा जुड़ाव है। वो सामान्य तौर पर चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करता है। इसके बावजूद ओपनर के साथ पैड कर लेता है। कि बस तुरंत मौका मिलते ही मैदान पर उतर सके। जब वो छोटा था तो खेलने की उसकी आतुरता काबू करना मुश्किल होती थी। वो मासूमियत से सवाल करता कि उसे पहले क्यों नहीं भेजा। उसे डर होता था कि कहीं पहले के बल्लेबाज सब काम करके आ गये और उसकी बैटिंग ही नहीं आयी तो। वैसे तो जल्दी आउट होना नहीं चाहता पर कहीं ऐसा हो जाये तो वो खेल खत्म होने तक अपना पैड नहीं खोलता ये उसकी आदत है।

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पिता जैसे हैं कोच
राजकुमार और विराट के बीच गहरा लगाव हैं वो उसके लिए पिता जैसे हैं। उनकी आपसी समझ इतनी गहरी है कि अब तो वे बिना कहे एक दूसरे की बात समझ जाते हैं। अंडर 19 से पहले ही वो किसी बैट बनाने की कंपनी का ब्रांड एंबेसेडर बनना चाहता था और जब तक राजकुमार ने उसे ऐसी कंपनी से सर्पोट नहीं दिलवा दिया वो उन्हें परेशान करता रहा। वहीं राजकुमार का कहना है कि उन्हें यकीन था कि विराट लंबी रेस का घोड़ा है और उनकी बात कभी गलत नहीं होने देगा इसीलिए उन्होंने उसे प्रमोट किया। दोनों घंटो तक बिना थके खेलने की नयी तकनीक और फिटनेस पर साथ काम करते हैं।  

 

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