नारायण मूर्ति की पहली पंसद हैं सिक्का

ऐसा माना जाता है कि विशाल सिक्का, के वी कामत और चेयरमैन नारायण मूर्ति की पहली पसंद हैं. वे इन दोनो की पसंद तब से हैं जबसे सीईओ की पोस्ट के लिए दूसरे कैंडीडेट्स का इवैल्यूएशन भी नहीं हुआ था. ऐसी अटकले लगाई जा रही हैं कि सिक्का ने जर्मन कंपनी बोर्ड से इस्तीफा भी इसीलिए दिया था ताकि वह इंफोसिस ज्वाइन कर सकें. कामत इंफोसिस के बोर्ड में डाइरेक्टर हैं और सीईओ चुनने के लिए बनी तीन मेंमर्स कमेटी को भी हेड कर रहे हैं. इस कमेटी में बॉयोकॉन की फाउंडर किरण मजूमदार-शॉ और अशोक लीलैंड के मैनेजिंग डॉयरेक्टर आर शेषशायी भी शामिल हैं.

इंफोसिस ने मीडिया रिपोर्ट्स को महज अटकलें करार दिया

शनिवार की शाम कंपनी ने एक स्टेटमेंट जारी किया. इसमें कहा गया कि कंपनी के सीईओ को लेकर जो भी रिपोर्ट्स मीडिया में आ रही हैं वे सिर्फ अटकले हैं.

पहले नॉन फाउंडर सीईओ होंगे सिक्का

विशाल सिक्का को पूरी दुनिया में टेक्नॉलॉजी का विजनरी माना जाता है. वह एएसपी के पहले चीफ टेक्नॉलॉजी ऑफिसर और कंपनी के मैंनेजमेंट टीम के एक्जीक्यूटिव मेंमर भी थे. एएसपी के पॉप्युलर डेटा क्रंचिंग टूल 'हाना'के पीछे सिक्का का ही दिमाग माना जाता है.

सिक्का से मिलेगा इंफोसिस को फायदा

सिक्का प्रोडक्ट इनोवेशन पर काफी जोर देते हैं. इंफोसिस के पास सर्विस कैपेबिलिटी पहले से है. प्रोडक्ट और सर्विस को साथ लाने से इंफोसिस को फायदा होगा. सिक्का के अप्वांइट से कंपनी की निगेटिव इमेज भी सुधरेगी. हाल ही कंपनी के दो प्रेसीडेंट्स में से एक बीजी श्रीनिवास ने रिजाइन दिया था. एक साल पहले नारायण मूर्ति के कंपनी में लौटने के बाद से कई एक्जीक्यूटिव ऑफिसर इस्तीफा दे चुके हैं. इससे कंपनी की टॉप मैनेजमेंट टीम की स्टेबिलिटी की स्टेबिलिटी को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. उम्मीद की जा रही है सिक्का के आने से इंफोसिस कंपनी ग्रोथ और स्टेबिलिटी की राह पर जाएगी.

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