- डीडीयूजीयू के विवेकानंद हॉस्टल में तो कमरे ही रहने लायक नहीं

- सीलन से लेकर गंदगी की समस्या से जूझने को मजबूर हैं लॉ स्टूडेंट्स

GORAKHPUR: गोरखपुर यूनिवर्सिटी का नाम रोशन करने वाले होनहारों के सुनहरे इतिहास का गवाह रहा विवेकानंद हॉस्टल आज खुद अपनी चमक खो चुका है। लॉ स्टूडेंट्स के लिए बने इस हॉस्टल का हाल इतना बदहाल है कि यहां रहने को स्टूडेंट्स दुर्भाग्य मानने लगे हैं। डीडीयूजीयू के हॉस्टल्स की पड़ताल में लगे दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट ने इस अभियान की तीसरी कड़ी में जब इस हॉस्टल का हाल जाना तो अव्यवस्थाओं के बीच रहने को मजबूर लॉ स्टूडेंट्स का दर्द छलक उठा।

इन कमरों में कैसे रहें?

दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब विवेकानंद हॉस्टल पहुंचा तो यहां की बिल्डिंग की स्थिति देख दंग रह गया। ज्यादातर कमरों में सीलन के कारण दीवारों का बुरा हाल मिला। हॉस्टलर्स से बातचीत हुई तो सबने एक ही सुर में सीलन के चलते हो रही समस्याएं गिनानी शुरू कर दीं। हॉस्टलर्स ने बताया कि यहां के चार कमरे तो ऐसे हैं, जहां बाथरूम के पानी के लीकेज के चलते हो रही सीलन ने दीवारों की स्थिति बेहद खराब कर दी है। वहीं, अन्य कमरों में भी लीकेज के चलते दीवारें खराब हो रही हैं। इसके साथ ही हॉस्टलर्स ने टॉयलेट और बाथरूम की भी प्रॉपर सफाई ना होने की बात बताई। इस पर रिपोर्टर हॉस्टल के टॉयलेट और बाथरूम का हाल देखने पहुंचा। अंदर का नजारा हॉस्टल की व्यवस्थाओं की पोल खोलने के लिए काफी था। ऐसा लग रहा था मानो कई दिन से यहां की सफाई नहीं कराई गई है। चारों तरफ मिट्टी और गंदगी पसरी नजर आ रही थी। यहां तक की बाथरूम के दरवाजे तक टूटे मिले।

मेस है या स्टोर रूम

सीलन की दिक्कत के अलावा यहां के हॉस्टलर्स मेस की कमी से भी परेशान हैं। हॉस्टलर्स ने बताया कि पिछले एक दशक से यहां की मेस बंद पड़ी है। हद तो ये है कि मेस की जगह को हॉस्टल प्रशासन ने स्टोर रूम बना दिया है। जहां कबाड़ आदि पुरानी चीजें रखी हुई हैं। यहां रहने वाले स्टूडेंट्स का कहना है कि जब भी वार्डेन व सुप्रिटेंडेंट से मेस चलाने की मांग की जाती है तो वे टाल मटोल करने लगते हैं। वहीं, स्टूडेंट्स के लिए पीने के पानी की भी यहां कोई प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। हॉस्टलर्स का कहना है कि मेस का संचालन होता तो खाना पकाने में लगने वाला वक्त बचता।

जरा गंदगी तो देखिए

विवेकानंद हॉस्टल में रहने वालों की मुश्किलें सिर्फ सीलन और मेस की कमी ही नहीं हैं। यहां की सफाई व्यवस्था के लचर हाल ने भी लॉ स्टूडेंट्स का जीना मुहाल कर रखा है। हॉस्टल के पीछे की जगह पर काफी समय से कचरे का अंबार लगा हुआ है। यहां की सफाई कराने के लिए भी स्टूडेंट्स ने वार्डेन से कई बार कहा, लेकिन कुछ नहीं किया जा रहा। सीलन आदि दिक्कतों के लिए हॉस्टलर्स पूरी तरह जिम्मेदारों को दोषी ठहराते नजर आए। हॉस्टलर्स का कहना था कि दिक्कतों के संबंध में वार्डेन से कई बार कहा गया है। जिसपर उनका कहना है कि इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को कई बार पत्राचार करने के बावजूद भी डिपार्टमेंट के जिम्मेदार टाल मटोल करते नजर आ रहे हैं।

सुनहरा रहा है इतिहास

विवेकानंद हॉस्टल में कुल 100 कमरे हैं। यहां के98 कमरे लॉ स्टूडेंट्स के लिए एलॉटेड हैं। डीडीयूजीयू के लॉ स्टूडेंट्स के लिए 10 मार्च 1974 को तत्कालीन कुलाधिपति अकबर अली खान के कार्यकाल में इस हॉस्टल का शिलान्यास हुआ था। इस हॉस्टल से अबतक 200 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने पीसीएस जे समेत तमाम अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर हॉस्टल और यूनिवर्सिटी का नाम रोशन किया है।

स्पो‌र्ट्स भी नदारद

विवेकानंद हॉस्टल में रहने वालों के लिए खेलकूद के लिए भी कोई सुविधा यहां नजर नहीं आई। स्टूडेंट्स ने बताया कि वे काफी समय से यहां बैडमिंटन कोर्ट या वॉलीबॉल कोर्ट बनाए जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों की तरफ से इस पर भी कोई कवायद शुरू नहीं की गई।

विवेकानंद हॉस्टल - एक नजर

वार्डेन : प्रो। जितेंद्र मिश्रा

सुप्रिटेंडेंट - डॉ। नसीम व डॉ। चंद्रशेखर

टोटल कमरे - 100

सीलन वाले कमरे - 4

आरओ - दो (एक खराब है)

एक्वॉगार्ड - एक

सफाई कर्मचारी - 2

कर्मचारी - 1

सिक्योरिटी गार्ड - शून्य

वार्ड ब्वॉय - शून्य

धोबी - शून्य

- 10 मार्च 1974 को हुआ था हॉस्टल का शिलान्यास

सीलन वाले कमरे

रूम नंबर - 13

रूम नंबर - 14

रूम नंबर - 21

रूम नंबर - 113

ये हॉस्टलर्स रोशन कर चुके हैं नाम

- अभिमन्यु तिवारी की आईटीबीपी में एर्टानी जनरल के पद पर तैनाती

- पार्थ शंकर मिश्र मध्य प्रदेश में जज हुए

- मयंक मणि त्रिपाठी तीन स्टेट में जज हुए

- रवि त्रिपाठी ने बिहार में एपीओ क्वालिफाई किया

- प्रदीप दीक्षित ने एपीओ क्वालिफाई किया

- अंशुमाली ने यूपी पीसीएसजे क्वालिफाई किया

कोट्स

मैं विधि संकाय प्रतिनिधि हूं। विवेकानंद हॉस्टल में बहुत समस्याएं हैं। सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि सीलन के कारण कमरों में रहना मुश्किल हो गया है। वार्डेन ने समस्याएं दूर कराने का आश्वासन दिया है।

- शिवेंद्र पांडेय, स्टूडेंट, लॉ थर्ड इयर

हॉस्टल में मेस बंद है जिसके चलते दिक्कत होती है। सफाई की बात करें तो सफाई कर्मियों की कमी के चलते वो भी ढंग से नहीं हो पाती।

- प्रशांत पांडेय, स्टूडेंट, लॉ सेकेंड सेमेस्टर

हॉस्टल में मेस चालू कराई जानी चाहिए। पानी की भी प्रॉपर व्यवस्था होनी चाहिए। कई बार कहा गया लेकिन दिक्कतें दूर कराने के लिए कोई सुनता ही नहीं है। - विश्वेश्वर शाही, स्टूडेंट, लॉ सेकेंड सेमेस्टर

कई साल से मेस बंद है। मेस का संचालन होता तो हम सबका टाइम बचता। इसके अलावा टॉयलेट में गंदगी के चलते भी काफी दिक्कत होती है।

- अमरेंद्र तिवारी, स्टूडेंट, लॉ थर्ड सेमेस्टर

वर्जन

हॉस्टल में सीलन की समस्या के बारे में इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अधिकारियों से बात हुई है। सफाई के लिए कर्मचारी कम हैं। इसके लिए भी मांग की गई है। हॉस्टलर्स की सुविधा के लिए मेस की व्यवस्था की जाएगी।

- प्रो। जितेंद्र मिश्रा, वार्डेन, विवेकानंद हॉस्टल, डीडीयूजीयू