लाइफ कवर की बढ़ जाती है राशि

जानकारों की मानें तो लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ टर्म राइडर लेकर आप अपने लाइफ कवर की राशि बढ़ा सकते हैं। इंश्योरेंस की रकम तो तभी मिलती है जब पॉलिसी होल्डर की मौत हो जाती है लेकिन अगर कस्टमर का एक्सीडेंट हो जाता है तो उस स्थिति में इलाज का खर्च और आमदनी की भरपाई करने का काम राइडर का होता है। ये राइडर कई प्रकार के होते हैं, सभी बीमा कंपनियां अपनी पॉलिसी के तहत इन राइडर्स का लाभ कस्टमर को देती हैं।

सामान्यत: राइडर तीन प्रकार के होते हैं :-

1. वेवर ऑफ प्रीमियम राइडर :- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ यह राइडर लेने के बाद भविष्य में अदा किए जाने वाले प्रीमियम में छूट मिल जाती है, लेकिन इंश्योरेंस पॉलिसी जारी रहती है। डिसएबिलिटी या आमदनी के सोर्स लैप्स हो जाने की स्थिति में अगर आप प्रीमियत जमा नहीं कर पाते हैं तो यह राइडर आपकी मदद करता है। उदाहरण के तौर पर यदि पॉलिसी होल्डर की अचानक मौत हो जाती है तो पॉलिसी बीच में रुकेगी नहीं। बाकी अवधि का प्रीमियम कंपनी की ओर से जमा किया जाएगा ताकि जब पॉलिसी पूरी होने पर यह रकम नामिनी को मिल सके।

2. क्रिटिकल इलनेस राइडर :- इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ क्रिटिकल इलनेस राइडर लेना काफी बेहतर रहता है। अगर पॉलिसी होल्डर किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाता है तो क्रिटिकल इलनेस राइडर आपकी काफी मदद करता है। इसमें हार्ट अटैक, कैंसर, स्ट्रोक, कोरोनरी आर्टरी बाई पास सर्जरी, किडनी फेल्योर और पैरालिसिस आदि बीमारियां कवर होती हैं। इसके तहत पॉलिसी होल्डर को मेडिकल एक्सपेंसेज के लिए पैसे दिए जाते हैं।

3. एक्सटेंडेड रिस्क कवर राइडर :- इंश्योरेंस पॉलिसी के मैच्योरिटी के बाद भी अगर आप बीमा कवर जारी रखना चाहते हैं तो इस राइडर की मदद ले सकते हैं। यानी कि यह राइडर आपके रिस्क कवर को एक्सटेंड कर देता है ताकि आप आगे भी कई सालों तक रिस्क जोन से बाहर रह सकते हैं।

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