समाज में बेहद इज्जत की निगाह से देखे जाने वाले चिकित्सक तबके की शालीनता पर भी अब सवालिया निशान लगता जा रहा है। जसवंत राय अस्पताल में निदेशक पद को लेकर बीते कई सालों से विवाद चल रहा है। जरा-जरा सी बात पर शहर के नामचीन चिकित्सक मारपीट, गालीगलोच और तोड़फोड़ पर अमादा हो जाते हैं। चिकित्सकों की इस सिलसिलेवार लड़ाई में मर्यादा तार-तार होती। जबकि मरीज जार-जार रोते है

- अस्पताल में मची अफरा-तफरी

मेरठ : थाना सिविल लाइन स्थित जसवंत राय अस्पताल में बोर्ड आफ डायरेक्टर का विवाद एक बार फिर गहरा गया। मंगलवार को निदेशकों के बीच जमकर गाली गलौच हुई जिससे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने वीडियो फुटेज हासिल की, जिसके आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी। निदेशकों ने एक दूसरे पर गाली गलौज एवं धमकाने का आरोप लगाया है।

एक बार फिर मचा घमासान

मंगलवार शाम करीब पांच बजे डायरेक्टर रूम में हंगामा शुरू हो गया। कार्डियोलोजिस्ट डा। राजीव अग्रवाल और उदर रोग विशेषज्ञ डा। मलय शर्मा में बहस शुरू हुई, जो देखते ही देखते गाली गलौज में बदल गई। दोनों ने एक दूसरे पर अस्पताल का माहौल बिगाड़ने का आरोप मढ़ा।

और कराहते रहे मरीज

शहर के बड़े अस्पतालों में शुमार जसवंत राय सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल मंगलवार एक बार फिर जंग के मैदान में तब्दील हो गया। एक तरफ अस्पताल की ओपीडी में अच्छी खासी भीड़ थी। साथ ही आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीज जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर मरीज की तकलीफों से दूर अस्पताल के बड़े डॉक्टर एक दूसरे को जमकर गाली गलौच देकर अस्पताल के माहौल को गर्म बना रहे थे।

सीसीटीवी फुटेज से होगी जांच

झगड़े की सूचना पर सिविल लाइन पुलिस मौके पर पहुंच गई। चूंकि दोनों पक्षों में मैनेजमेंट को लेकर पुराना विवाद चल रहा है, इसलिए कोई कार्रवाई की बजाय पुलिस ने मौके से वीडियो फुटेज हासिल की। इंस्पेक्टर आलोक सिंह का कहना है कि फुटेज की जांच की जा रही है। फिलहाल किसी भी ओर से तहरीर नहीं मिली है।

पिछले साल भी हुई थी कहासुनी

14 फरवरी 2013 को जसवंत राय अस्पताल में डायरेक्टर पद को लेकर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के दो सदस्यों शैलेंद्र अग्रवाल और डॉ। मलय शर्मा के बीच कहासुनी हो गई थी। जिसमें दोनों पक्षों ने सिविल लाइंस थाने में तहरीर दी थी।

दोनों पक्ष हैं मुचलका पाबंद

पिछले साल फरवरी में हुए झगड़े और तोड़फोड़ के विवाद के बाद दोनों पक्षों के दर्जनों लोगों को निजी मुचलका भरना पड़ा था। जिसके तहत हर माह दोनों पक्षों को सिविल लाइन थाने जाकर हाजरी देनी होती है। दोनों पक्षों ने सीएलबी और स्थानीय अदालत में शरण ली, जहां निदेशक पद की लड़ाई और अन्य मामलों को लेकर मुकदमे विचाराधीन हैं।

1996 में हुआ प्राइवेट लिमिटेड

चिकित्सकों के अनुसार सुशीला जसवंत राय 50 साल पुराना अस्पताल है। पहले ट्रस्ट द्वारा संचालित था। 1996 में इसे प्राइवेट लिमिटेड में तब्दील किया गया। इसके बाद 06 लोगों का डायरेक्टर बोर्ड गठित हुआ है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में कार्डियोलाजिस्ट डॉ। राजीव अग्रवाल, उदर रोग विशेषज्ञ डॉ। मलय शर्मा, डॉ। एचसी अग्रवाल, राजीव रस्तोगी, शैलेंद्र अग्रवाल व अशोक राजवंशी शामिल हैं। डॉ। एचसी अग्रवाल फिजिशियन हैं मगर अब प्रैक्टिस नहीं करते। शैलेंद्र, अशोक, राजीव रस्तोगी नॉन मैडिको हैं।

छह तारीख को कंपनी लॉ बोर्ड की मीटिंग होने वाली है, जिसमें नए विवाद का आधार बनाया जा रहा है। अशोक राजवंशी ने मुझे बैलेंस सीट देने के बहाने से चैंबर में बुलाया था। जहां पहले से मौजूद डा। राजीव अग्रवाल, एससी अग्रवाल और अशोक राजवंशी समेत तीनों ने गाली गलौज के साथ धमकाना शुरू कर दिया। मैं वहां से लौटने लगा तो डा। राजीव उनका पीछा एवं मोबाइल पर रिकार्डिग करते हुए मेरे चैंबर तक पहुंच गए। जिसका मैंने विरोध किया।

- डॉ। मलय शर्मा, पेट रोग विशेषज्ञ

डा। मलय हमेशा से गाली गलौज करते रहे हैं। मंगलवार को भी वह डायरेक्टर रूम में पहुंचकर अचानक गाली देने लगे। मलय मारपीट के इरादे से आफिस पहुंचे थे। इस दौरान निदेशक मंडल के अन्य सदस्य अशोक राजवंशी एवं डा। एससी अग्रवाल भी आफिस में मौजूद थे।

- डॉ। राजीव अग्रवाल, कार्डियोलाजिस्ट