-छात्र संगठनों के नाम व नारों से रंगी हैं रांची यूनिवर्सिटी की दीवारें

-जिसे जब मन में आता है, कुछ न कुछ लिखकर चला जाता है, गार्ड भी रहता है बेखबर

-यूनिवर्सिटी की ओर से नहीं होती है कोई कार्रवाई

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RANCHI (1 न्ह्वद्द) : रांची यूनिवर्सिटी हेडक्वार्टर में कदम रखते ही आपको वहां की दीवारें किसी कैनवास से कम नहीं लगेंगी। हर तरफ किसी न किसी छात्र संगठन का नाम या नारे लिखे हुए मिल जाएंगे। इससे वीसी ऑफिस के बाहर की दीवार भी अछूती नहीं है। इसपर भी छात्र संगठन का नाम व नारे लिखे हुए हैं। लेकिन, इसको न तो कभी मिटाया जाता है और न ही लिखनेवाले के खिलाफ कोई कार्रवाई ही की जाती है।

कौन लिख जाता है यह सब, गार्ड को भी नहीं पता

रांची यूनिवर्सिटी हेडक्वार्टर हो या कैंपस, सभी जगह की दीवारें किसी न किसी छात्र संगठन के नाम व नारों से पटी हुई हैं। यह हाल सिर्फ हेडक्वार्टर कैंपस के मेन गेट के पास का ही नहीं है, बल्कि एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग की भी दीवारें इसी रंग में रंगी हुई हैं। इस बारे में जब गेट पर खड़े गार्ड से पूछा गया कि यह सब कौन लिखकर जाता है, तो उसने कहा- मुझे नहीं पता। लिखते समय कोई नजर ही नहीं आता है।

यूनिवर्सिटी की ओर से नहीं होती है कोई कार्रवाई

किसी भी सरकारी बिल्डिंग पर कुछ भी लिखना मना है। लेकिन, रांची यूनिवर्सिटी हेडक्वार्टर की दीवारों का हाल देखकर लगता है कि यहां की दीवारों पर कुछ भी लिखना मना नहीं है। काउंटर से लेकर मेन गेट तक किसी न किसी दीवार पर किसी न किसी छात्र संगठन की लाइन्स लिखी हुई हैं। इसके लिए यूनिवर्सिटी की ओर से कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। हालांकि, कुछ दिनों पहले जब एक छात्र संगठन ने यहां पोस्टर लगाया था, तो उसे दूसरे ही दिन हटा दिया गया था। लेकिन, दीवारों पर लिखने के बाद उसे मिटाने की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन भी इसपर मौन रहता है।

वर्जन

रांची यूनिवर्सिटी की दीवारों पर कुछ भी लिखना या पोस्टर चिपकाना जुर्म है। दीवारों पर कोई कुछ न लिख पाए, इसकी जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी के एस्टेट ऑफिसर की होती है। लेकिन, इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस मामले को दो अगस्त को एस्टेट ऑफिसर के सामने रखा जाएगा।

-डॉ सतीशचंद्र गुप्ता

डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर (डीएसडब्ल्यू), रांची यूनिवर्सिटी