-शहर में बेहिसाब खुलते जा रहे सर्विस सेंटर

-ट्रीटमेंट के बिना नालियों में बहाया जा रहा पानी

<-शहर में बेहिसाब खुलते जा रहे सर्विस सेंटर

-ट्रीटमेंट के बिना नालियों में बहाया जा रहा पानी

GORAKHPUR GORAKHPUR शहर में धड़ाधड़ खुल रहे आटो मोबाइल सेंटर्स पब्लिक की जान पर खतरा बनने को आमादा हैं। आटो मोबाइल सर्विस सेंटर चलाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मानक निर्धारित किए हैं। इसमें साफ कहा गया है कि गाडि़यों को धोने के बाद निकलने वाला गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के बहाया नहीं जा सकता। शहर के गैराज और सर्विस सेंटर में ऐसी व्यवस्था नजर नहीं आती है। हद तो इस बात की है कि यूपी परिवहन निगम के वर्कशॉप में इस तरह का कोई इंतजाम नहीं है। गाडि़यों की धुलाई करने वाले कर्मचारियों की छोडि़ए बस के कंडक्टर और ड्राइवर भी इस बात से बेफ्रिक हैं। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी ने बताया कि इस मामले में नगर निगम के अधिकारी कार्रवाई सुनिश्ि1चत करेंगे।

बेहिसाब खुले सर्विस सेंटर, रोज फैल रहा पानी

शहरों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने पाल्यूशन कंट्रोल के लिए मानक तय कर दिए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन मानकों को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा। शहर में गाडि़यों की धुलाई करने वाले सर्विस सेंटर से निकलने वाला कचरा और गंदा पानी नगर निगम की नालियों में बहकर जा रहा है। नालियों में बहने वाला पानी किसी न किसी तरह से शहर के बगल से गुजरने वाली राप्ती और रोहिन नदी में गिर रहा है। वाहनों के धोने से निकलने वाले कचरे से पानी में पाल्यूशन बढ़ने के साथ-साथ मिट्टी भी खराब हो रही है। जानकारों का कहना है कि सर्विस सेंटर चलाने वालों को कायदे से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेना चाहिए। लेकिन एनओसी की छोडि़ए विभागों को तो यह भी पता नहीं कि शहर में कितनी जगहों पर कितने सर्विस सेंटर, गैराज और वाहन धुलाई के काम हो रहे हैं।

ऐसे फैलाते हैं प्रदूषण

- धुलाई के दौरान वाहनों से पेट्रो केमिकल्स निकलते हैं।

- पेट्रो केमिकल्स के साथ कार्बन पार्टिकल्स भी धुलकर बाहर आते हैं।

- धुलाई के साथ निकले कचरे से भूमिगत जल और जलाशयों का पानी प्रदूषित होता है।

- गंदे पानी के जमा होने से कुआं, ट्यूबवेल और हैंडपंप का पानी प्रभावित हो जाता है।

- सर्विस सेंटर पर वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट लगाना चाहिए। गंदे पानी को ट्रीटमेंट के बाद बहाया जा सकता है।

धीरे-धीरे असर करता है पेट्राे केमिकल्स

गाडि़यों की साफ-सफाई के लिए पेट्रोल, डीजल और मिट्टी के तेल से धुलाई की जाती है। इस दौरान आयल, ग्रीस और कार्बन निकलकर बाहर आते हैं। पेट्रो केमिकल्स और कार्बन पार्टिकल्स जब भूमि पर गिरते हैं तो मिट्टी में मिल जाते हैं। ये बहते हुए नालियों में पहुंचकर पानी को गंदा कर देते हैं। जानकारों का कहना है कि नियमानुसार आबादी वाले इलाकों में धुलाई सेंटर, सर्विस सेंटर संचालित नहीं होने चाहिए। पेट्रो केमिकल्स के पाल्यूशन से एक निश्चित समय बाद बाल, आंख, त्वचा और सांस की बीमारियां भी फैलती हैं।

सरकारी बसें भी बढ़ा रही प्रदूषण

पॉश इलाकों में बेरोकटोक सर्विस सेंटर्स तो चल रहे हैं। लेकिन सरकारी महकमे भी प्रदूषण रोकने को लेकर सजग नहीं है। यूपी रोडवेज के गोरखपुर डिपो के वर्कशॉप में रोजाना कम से कम क्भ् बसों की धुलाई होती है। इन बसों की धुलाई के बाद सारा पानी वर्कशॉप से होते हुए नालियों में बहकर पहुंच जाता है। डिपो में काम करने वाले कर्मचारी, ड्राइवर और कंडक्टर भी इस बात से अंजान हैं कि पेट्रो केमिकल्स के पानी का ट्रीटमेंट होना चाहिए। जानकारी लेने पर उन लोगों ने कुछ भी बताने से मना कर दिया। प्राइवेट धुलाई सेंटर के कर्मचारी अपने मालिक से जानकारी लेने की बात कहकर सवाल काे टाल गए।

ह है हाल

शहर में धुलाई सेंटर - ख्000

रोजाना गाडि़यों की धुलाई- क्0 से क्ख्000

रोडवेज में बसों की धुलाई- क्भ् से ख्0

कॉलिंग

वाटर पाल्यूशन बढ़ने को लेकर इस बात की चिंता खड़ी हुई है। छोटी-छोटी गलतियों को सुधार कर वाटर पाल्यूशन रोका जा सकता है। लेकिन शहर में किसी भी धुलाई सेंटर पर गंदे पानी के ट्रीटमेंट का इंतजाम नहीं है।

शिवाकांत मिश्रा, प्रोफेशनल

एनजीटी की चिंता जायज है। पानी का प्रदूषण बढ़ने से तमाम समस्याएं खड़ी हो रही हैं। एक तरफ बीमारियों की रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं। तो दूसरी तरफ ऐसे पाल्यूशन फैलाया जा रहा है। इसकी नियमित जांच होनी चाहिए।

भीम सिंह, रेलवे कर्मचारी

जब आफत आएगी तब हम हम जागेंगे। हरदम ऐसा होता आया है। हर व्यक्ति के दिमाग में यह बात है कि पानी अब पीने लायक नहीं रह गया। बावजूद इसके किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता। नियम-कानून को ताक पर रखकर सर्विस सेंटर चल रहे हैं।

डॉ। विनीत कुमार मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर

शहर में पाल्यूशन बढ़ रहा है। नदियों, ताल और तालाबों का पानी गंदा होता जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इस तरह की गलतियों की वजह से अभियान सफल नहीं हो पा रहा है। जिम्मेदार विभागों को चाहिए एक साथ कार्रवाई करते हुए व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

अमरेंद्र मिश्रा, प्रोफेश्ानल

वर्जन

इस तरह के गैराज, सर्विस सेंटर हमारी क्राइटेरिया से बाहर हैं। इस तरह के कारोबार पर कार्रवाई की जिम्मेदारी नगर निगम की है। गाडि़यों की धुलाई और सर्विस सेंटर से निकलने वाले गंदे पानी निस्तारण करने के लिए म्म् एमएलडी के तीन एसटीपी प्रस्तावित हैं। इस संबंध में जल निगम और नगर निगम ने प्रोजेक्ट तैयार किया है

घनश्याम, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी