वर्ल्डकप जीत की 6वीं वर्षगांठ

2 अप्रैल 2011 को भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई में वर्ल्डकप फाइनल खेला गया। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 274 रन बनाए। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को इतनी जल्दी झटका लग जाएगा, किसी ने नहीं सोचा था। ओपनर और विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग पहले ओवर की दूसरी गेंद पर ही पवेलियन लौट गए। उस मैच को याद करते हुए गौतम गंभीर कहते हैं कि, वीरेंद्र सहवाग इतनी जल्दी आउट हो जाएंगे यह किसी ने नहीं सोचा था। सहवाग दूसरी गेंद पर ही मलिंगा की गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट हो गए। उस समय मैं पैड ही बांध रहा था। ये तो अच्छा हुआ कि एलबीडब्ल्यू के लिए तीसरे अंपायर का निर्णय लिया गया जिससे कि मुझे तैयार होने में थोड़ा समय मिल गया।'

अचानक बैटिंग करने पहुंच गया

गंभीर आगे बताते हैं कि, 'अचानक बैटिंग के लिए जाना काफी अच्छा रहा। क्योंकि जब आप अपनी बारी का इंतजार करते हैं तो कई बातें आपके दिमाग में चलती हैं। ऐसे में जब मुझे अचानक क्रीज पर जाना पड़ा तो मुझे ज्यादा सोचने का वक्त नहीं मिला। मैंने पहली ही गेंद मलिंगा की खेली और उसे चार रन के लिए भेज दिया। इसके बाद मेरे अंदर काफी आत्मविश्वास आ गया। उस समय मैं बस यह सोच रहा था कि यह एक इंटरनेशनल मैच है न कि वर्ल्डकप फाइनल। ड्रेसिंग रूम में हर किसी की जुबान पर यह बात थी और विश्वास था कि इस मैच को जीतकर हम वर्ल्ड कप अपने नाम करने जा रहे हैं। यह सब सुनकर उनका विश्वास भी बढ़ा था।

गंभीर ने रखी जीत की नींव

बता दें कि सहवाग के आउट होने के बाद गंभीर ने एक छोर पर अपने पांव जमाए रखे थे। सहवाग के बाद 31 के कुल स्कोर पर सचिन (18) और 114 के कुल स्कोर पर विराट कोहली (35) भी आउट हो चुके थे। इसके बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और गंभीर ने मिलकर मैच में भारत की जीत पक्की कर दी। चौथे विकेट के लिए धोनी और गंभीर ने 109 रन की साझेदारी की। गंभीर ने 122 गेंदें खेलकर 97 रन की लाजवाब पारी खेली थी। अंत में धोनी ने 10 बॉल शेष रहते छक्का जड़ अपने स्टाइल में इस मैच को अंजाम तक पहुंचाया था।

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