GORAKHPUR: सिटी में तेजी से स्कूल, कॉलेज खुल रहे हैं। यह लोगों के लिए अच्छा है कि उनको काफी ऑप्शन मिल रहे हैं। लोग भी अपने लाडले के अनुसार स्कूल्स चुनने के लिए आजाद हैं। कोशिश यही रहती है कि लाडले के लिए अच्छा स्कूल चुनें। सिटी के स्कूल्स की फीस से भी पैरेंट्स संतुष्ट नजर आते हैं। उनका कहना है कि लाडले को अधिक से अधिक सुविधाएं मिले, इसके लिए अच्छी फीस तो देनी ही पड़ेगी। मंगलवार को दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट के इवेंट 'गर्मी लगी क्या' में जब 'स्टूडेंट्स लाइफ, स्कूल-कॉलेज एंड कोचिंग: फीस एंड फैसिलिटीज' जब सिटी के पैरेंट्स व स्टूडेंट्स को बोलने का मौका मिला तो उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी।

टाइम: सुबह 10 बजे

प्लेस: ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, तारामंडल

दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट रिपोर्टर अपने कैमरा पर्सन के साथ ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल पहुंचा तो सभी पहले से ही फिक्स सब्जेक्ट पर बोलने के लिए एक्साइटेड नजर आए। स्टूडेंट्स ने खुलकर अपने-अपने विचार रखे। ज्यादातर स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्हें उनके स्कूल में क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन मिलने के साथ-साथ बेहतर सुविधा मिलती है। फीस के मामले पर बताया कि जितना फीस जमा करते हैं उतने में हमें पूरी सुविधाएं मिल जाती हैं। वे खुद कहते हैं कि सिटी में इतने स्कूल हैं। ऐसे में यदि उन्हें सुविधाएं नहीं मिलती तो फिर वे यहां क्यों एडमिशन लेते? स्कूल कैंपस में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, गेम्स, आरओ, लैब, सीसीटीवी कैमरे व बस फैसिलिटी है। चर्चा में शामिल होने वालों में स्टूडेंट्स अभिषेक चौहान, अर्पित सिंह, अभिषेक साहनी, भूमिका व टीचर्स में विनायक रमन, नितेश पांडेय, सुरेश सिंह, एमएल गुप्ता, एस त्रिपाठी, संजीव मिश्रा, ताहिरा खातून, सिटू शर्मा, डीपी मिश्रा, मुरली पांडेय, दुर्गेश पांडेय, कुमुंद सिन्हा, कवलजीत कौर, प्रतिभा सिंह, विधात्रि मिश्रा, काजल जैन, वंदना दुबे, कविता यादव, ज्योत्स्ना श्रीवास्तव, रिचा श्रीवास्तव, कविता सिंह, एके पांडेय, एसपीएन सिंह, रमेश चंद, जोमी जोसेफ आदि स्टूडेंट्स शामिल रहे।

टाइम: सुबह 11.30 बजे

प्लेस: एरिना एंड एनिमेशन इंस्टीट्यूट, गांधी गली

स्टूडेंट चंदन चौहान, अभिषेक पांडेय, अतुल पांडेय, स्मिता, निहारिका, अनुराधा, तान्या, अश्वनी कुमार, इमरान, सौरभ व रितिका, श्वेता ने कहा कि हमें अपने इंस्टीट्यूट में बेहतर शिक्षा दी जाती है। न सिर्फ शिक्षा दी जाती है बल्कि कैंपस प्लेसमेंट भी मिलता है। हां, इतना जरूर है कि यूनिवर्सिटी हो या फिर प्राइवेट कॉलेजेज वहां पर शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार करने की जरूरत है। क्योंकि पहले के मुकाबले फीस ज्यादा हो चुकी है तो जाहिर सी बात है कि सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। अब जहां पर जॉब ओरिएंटेड कोर्स होंगे या फिर वोकेशनल कोर्स, वहां रोजगार के अवसर ज्यादा होते हैं। प्राइवेट इंस्टीट्यूट फीस अगर लेते हैं तो प्लेसमेंट भी देते हैं।

कोट्स

स्कूल के भीतर क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन होती है। मैं बहुत दूर से आती हूं, लेकिन यहां होने वाली स्टडी से मैं हंड्रेड प्रतिशत संतुष्ट हूं। हमें जो भी प्रॉब्लम होती है। उसके लिए हम अपने प्रिंसिपल से बात करके उसे सॉल्व करा लेते हैं।

वैष्णवी दुबे, 12वीं की छात्रा

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से अगर फीस ली जाती है तो इस बात की पूरी कोशिश होती है कि उन्हें बेहतर शिक्षा के साथ-साथ ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को सुरक्षा दी जाए। यहीं नहीं बच्चों को बौद्धिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है।

गिरीश चंद्र मिश्रा, प्रिंसिपल, आक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल

आज की डेट में क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन बहुत जरूरी है। हमारी पूरी कोशिश होती है कि पैरेंट्स से जो भी फीस ली जाती है, उसके हिसाब से बच्चों को क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन दी जाए। यहीं नहीं बच्चों की सेफ्टी के लिए कैंपस व क्लासेज में सीसीटीवी कैमरे, ग्राउंड, डिफरेंट कॉम्प्टीशन आदि आयोजन कराए जाते हैं।

अनिल कुमार राय, चेयरमैन, ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल

इंस्टीट्यूट में आने वाले स्टूडेंट्स को क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन दी जा सके इसके लिए फैकेल्टी पर पूरा जोर रहता है। स्टूडेंट्स को स्टडी के साथ-साथ उन्हें रोजगार भी मुहैया कराया जाता है।

- विनीत चौरसिया, डॉयरेक्टर, एरिना एंड एनिमेशन इंस्टीट्यूट, गांधी गली

मैं एरिना एंड एनिमेशन इंस्टीट्यूट में पढ़ती हूं, यहां की फैकेल्टी बहुत अच्छी है। अच्छी नहीं होती तो फिर मैं यहां पढ़ती ही क्यों? हां, इतना जरूर कहूंगी कि यूनिवर्सिटी में जब मैं पढ़ाई करती तो वहीं प्लेसमेंट जैसी कोई सुविधा नहीं थी। जबकि पहले के मुकाबले फीस ज्यादा हो चुकी है।

श्वेता चावला, स्टूडेंट

सजेशन

1- स्कूल प्रशासन की तरफ से क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन देने की अगर बात की जा रही है तो उसे दिया भी जाना चाहिए।

2- किसी भी स्कूल में दाखिला लेने से पहले उसकी मान्यता जरूर चेक कर लें।

3- पैरेंट्स से ली जाने वाली फीस का पूरा ब्यौरा देना चाहिए।

4- पैरेंट्स की सुविधा के लिए ऑनलाइन फीस, अटेंडेंस, डायरी आदि की होनी चाहिए।

5- बच्चे के बदमाशी करने या फिर होम वर्क न कंप्लीट करने की दशा में बच्चों की पिटाई के बजाय उनके पैरेंट्स से कंप्लेंट करें।

6- फीस को लेकर अगर कोई पैरेंट्स स्कूल प्रशासन से भिड़ता है तो उसे प्यार से समझाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

7- अगर गरीब परिवार से वह बिलांग करता है तो उसे आरटीई के तहत शिक्षा मुहैया कराए जाने की सलाह दी जानी चाहिए।

8- स्कूल प्रबंधन जो भी दावे करे उसे पूरा करने का कोशिश करें।

9- सीबीएसई बोर्ड के स्कूल हों या फिर आईसीएसई बोर्ड मान्यता प्राप्त वाले स्कूल, कॉलेज या फिर इंस्टीट्यूट में दाखिला लें।

10- बहुत से कोचिंग और इंस्टीट्यूट फर्जी या फिर डिस्टेंस लर्निंग वाले हैं। लेकिन वह रेगुलर क्लासेज चलाने का दावे करते हैं। इस पर स्टूडेंट्स या पैरेंट्स खुलकर बात करें तभी दाखिला लें।