फूड सिक्योरिटी पर सख्ती

- रजिस्ट्रेशन के बिना नहीं बिकेगा खाने-पीने का सामान

- सर्वे के लिए मैदान में उतरी फूड विभाग की टीम

- शासन के निर्देश पर पहली बार करवाया जा रहा सर्वे

आई एक्सक्लूसिव

पारुल सिंघल

मेरठ। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2011 के तहत बिना फूड लाइसेंस-रजिस्ट्रेशन के व्यापार कर रहे व्यापारियों पर नकेल कसने के लिए शासन हरकत में आ गया है। इसके लिए फूड विभाग को मार्केट का सर्वे कर ऐसे व्यापारियों का डाटा तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

20 दिन में रिपोर्ट

जनपद के पूरे मार्केट में कितनी दुकानें हैं, कितने रिटेलर्स हैं। कितने होलसेलर्स हैं। कितने ट्रांसपोटर्स हैं, कितने हॉकर्स व वेंडर्स हैं। किसके पास लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन हैं। विभाग की ओर से इनकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके अलावा जिनके पास लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन नहीं हैं, उनको इसके लिए एक मौका भी दिया जाएगा। फूड विभाग की 20 लोगों की टीम मार्केट में सर्वे कर रही हैं। शासन 20 दिन का समय दिया गया है।

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लाइसेंस नहीं तो रजिस्ट्रेशन

- 12 लाख रुपये से अधिक वार्षिक टर्नऑवर वालों के लिए खाद्य लाइसेंस लेना जरूरी है

- 12 लाख रुपये से कम वार्षिक टर्नऑवर वालों के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।

हॉकर्स कराएंगे रजिस्ट्रेशन

फूड विभाग में अब हॉकर्स का भी रजिस्ट्रेशन होगा। इसके लिए भी विभाग सर्वे कर हॉकर्स का भी डाटा तैयार करेगा। इसमें सभी फेरी वाले, स्ट्रीट फूड वेंडर्स शामिल होंगे।

विभाग के पास नहीं है कोई डाटा

फूड विभाग के पास अभी तक जनपद के व्यापारियों का कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं हैं। इसकी वजह से बिना लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन के चल रहे व्यापारियों की शिनाख्त नहीं हो पाती है। इस सर्वे के बाद विभाग के पास 98 प्रतिशत तक डाटा एकत्र हो जाएगा।

यह है नियम

देश में मिलावटी और दूषित खाद्य सामग्री पर रोक लगाने के लिए 5 अगस्त 2011 को नया खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम लागू किया गया था।

- इसमें सभी खाने-पीने की चीजों की सेल, निर्माण, पेकिंग, ट्रांसपोर्ट सहित अन्य खाद्य पदार्थो के कामों से जुड़े व्यापारियों के लिए फूड लाइसेंस-रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य किया गया था।

-छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए रजिस्ट्रेशन और बड़े व्यापारियों, निर्माताओं और उद्योगपतियों के लिए लाइसेंस की व्यवस्था की गई।

- बिना रजिस्ट्रेशन पाए जाने पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना और बिना लाइसेंस पाए जाने पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और छह माह तक की सजा का प्रावधान भी इस अधिनियम में है।

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शासन के निर्देश के बाद सभी खाद्य अधिकारियों को एरिया डिवाइड कर सर्वे का काम शुरु कर दिया है। 20 दिन में पूरा डाटा बनाकर शासन को भेजना है।

-सर्वेश, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी