-चोलापुर में जय गुरुदेव के दूसरे गुट के होने वाले समागम के लिए दी गई अनुमति के रद्द होने से तैयारियों में खर्च हुए लाखों रुपये हुए स्वाहा

-आयोजन स्थल पर दूर दूर से पहुंचे भक्तों ने भी छोड़ा गांव

VARANASI

रामनगर में जय गुरुदेव के सत्संग के दौरान हुए हादसे में ख्भ् लोगों की मौत होने के बाद अलर्ट हुए प्रशासन ने जय गुरुदेव के दूसरे ग्रुप की ओर से चोलापुर में आयोजित कार्यक्रम के लिए दी गई परमिशन को कैंसिल कर दिया है। जिसके बाद मंगलवार को आयोजन स्थल पर डेरा जमा चुके भक्तों ने भी गांव छोड़ना शुरू कर दिया। हालांकि भक्ति के नाम पर हो रहे इस तरह के शक्ति प्रदर्शन के कारण आयोजकों का एक-दो दिन की तैयारी में ही दो लाख रुपये से ऊपर खर्च हो गये। ऐसे में अब यह सवाल भी उठने लगा है कि वह खर्च किस काम का जो हुआ तो भक्ति के नाम पर लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला।

आखिर कहां से आ रहा पैसा?

चोलापुर क्षेत्र के अल्लोपुर गांव में रामजानकी मन्दिर के मैदान में जयगुरुदेव के दूसरे गुट का ख्फ् अक्टूबर को समागम तय था। इसके लिए आयोजकों ने चार हजार भक्तों की जुटान के नाम पर प्रशासन से अनुमति भी ले ली थी। इस बीच रामनगर में हुए हादसे के बाद प्रशासन ने सोमवार शाम इनकी परमिशन को कैंसिल तो कर दिया लेकिन एक बार भी ये जांच नहीं कि गई कि ये गुट कौन है और आयोजन के लिए खर्च हो रहे लाखों रुपये कहां से हो रहे हैं? जबकि खुद आयोजकों का कहना है कि महज दो दिन में डेढ़ से दो लाख रुपये खर्च कर तंबू, भ्00 लोगों के खाने पीने का इंतजाम व गाडि़यों की व्यवस्था की गई थी। आयोजक गोपाल दीक्षित का कहना था कि प्रशासन ने परमिशन को कैंसिल करके ठीक नहीं किया। तैयारियों में काफी रुपये खर्च हुए हैं और ये पैसे चंदा व अन्य माध्यमों से जुटाये गए थे।

ये थी तैयारी

- समागम में आनी थी म्00 गाडि़यां।

- अल्लोपुर के किसानों से कुल ख्म् बीघा जमीन आयोजन के लिए ली गई थी।

-जिसमें क्8 बीघे में पार्किग व बचे आठ बीघे में सत्संग होना था।

- आयोजन में एमपी, यूपी, बिहार से भक्त आने थे।

- पांच बीघे में तंबू लगाने में ही पांच लाख से ज्यादा का खर्च किया जाना था।

- जबकि बैनर, पोस्टर, खाना पीना व अन्य कामों के लिए भी लाखों का खर्च होना था।

- आने वाले भक्तों के रुकने व भंडारा के लिए अलग से पंडाल बन रहा थे।

- दो दिन में रंग रोगन, साफ सफाई और पंडाल निर्माण में एक लाख से ज्यादा खर्च हुए।

- ट्रांसपोर्ट समेत दूसरे कामों में भी इतने ही रुपये खर्च हुए।

- इसके बाद भी इन खर्चो की जांच प्रशासन ने नहीं कराई।

करा सकते थे कई काम

- सही मायने में अगर जयगुरुदेव का दूसरा गुट चाहता तो इन रुपयों से कई बड़े काम हो सकते थे।

- इनमें भगदड़ में मरने वाले मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद की जा सकती थी।

- घायलों के इलाज में भी मदद कर सकते थे।

- जिस गांव में आयोजन था वहां की विवाह योग्य लड़कियों को फाइनेंशियल मदद दे सकते थे।

- स्कूलों और अस्पतालों को भी आर्थिक सहायता दे सकते थे।