परवान नहीं चढ़ रही उ.प्र। कौशल विकास मिशन योजना

इलेक्ट्रिशियन डोमेस्टिक ट्रेड में नहीं जुट रहे युवा

Meerut। हाथों में हुनर हो तो रोजगार की कमी नहीं होती, लाखों युवाओं को रोजगार देने के मकसद से शुरु की गई केंद्र सरकार की स्किल इंडिया जनपद में परवान नहीं चढ़ पा रही है। अवेयरनेस कैंप के बावजूद इस योजना के अंर्तगत कई ट्रेड ऐसे हैं जिनमें छात्र एडमिशन लेने के लिए इच्छुक ही नहीं हैं।

यह है स्थिति

कौशल विकास मिशन के तहत जनपद में 6 सरकारी व 23 प्राइवेट संस्थानों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के युवा खास रूचि नहीं दिखा रहे हैं जबकि सबसे खराब स्थिति डोमेस्टिक इलेक्ट्रिशियन ट्रेड की है। इस ट्रेड में स्कोप न होने की वजह से युवा इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। चार सेंटर्स पर चल रहे इस कोर्स के लिए 700 घंटे का सेशन निर्धारित किया गया है। 27 बच्चों के एक बैच में बामुश्किल छात्र मिल रहे हैं।

यह है योजना

उ.प्र.कौशल विकास मिशन योजना के अंर्तगत सरकार का लक्ष्य 18 से 35 साल तक के युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना है। इसके अंर्तगत युवाओं को उनकी रुचि के अनुसार कौशल विकास से जुड़े अलग-अलग पाठ्यक्रमों में निशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है। श्रम विभाग, अल्पसंख्यक व एससी व एसटी श्रेणी के युवाओं को विशेष प्राथमिकता दी जाती है।

285 में से 11 ट्रेड शुरु

स्किल इंडिया के तहत विभाग की ओर से 285 ट्रेड संचालित है लेकिन जनपद में स्थिति यह है कि यहां मात्र 11 ट्रेड्स में ही स्किल डेवलपमेंट कार्यकम चल रहा है। इन ट्रेडस में लेदर एंड स्पोटर्स, प्रोडक्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग बैंकिंग एंड अकाउंटिंग, सिक्योरिटी, फूड प्रोसेसिंग एंड प्रिजरवेशन, एकाउंट असिस्टेंट यूजिंग टैली, इलेक्ट्रिकल्स, ऑटोमोटिव, ब्यूटी कल्चर, गारमेंट मैकिंग शामिल हैं।

हमने कई गांवों में कैंप लगाएं हैं लेकिन यहां युवा यह कोर्स करने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं। उनका कहना है कि कोर्स में दाखिला लेने के लिए समय व किराया खर्च होगा। नौकरी की भी कोई गारंटी नहीं होती है।

सत्येंद्र सिंह, ट्रेनर, आईटीआई, बच्चा पार्क

इन कोर्स के जरिए सरकारी नौकरी की कोई गारंटी नहीं होती है। जबकि सभी नौकरियों में अब आईटीआई डिप्लोमा मांगा जाता है।

देवा सैनी

सरकारी नौकरी का स्कोप नहीं हैं। ट्रेड भी खास नहीं हैं। फिटर की डिमांड होती है लेकिन वह इन कोर्स में शामिल नही हैं।

सिद्धार्थ