साइन की हुई फिल्‍में छोड़कर ओशो आश्रम में बर्तन मांजने लगे थे विनोद खन्‍ना

कैसे शुरु हुआ फिल्मी करियर

6 अक्टूबर 1946 को जन्में विनोद खन्ना एक बेहतरीन कलाकार और राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। विनोद ने अपने करियर में कुल 141 फिल्में की हैं और ज्यादातर सभी हिट रहीं। विनोद खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री में लाने का श्रेय सुनील दत्त को जाता है। साल 1968 की बात है सुनील दत्त एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। तभी वहां उन्होंने विनोद खन्ना को देखा और देखते ही इंप्रेस हो गए। सुनील दत्त ने उसी समय ठान लिया कि वह इस खूबसूरत लड़के के साथ फिल्म जरूर बनाएंगे। तब जाकर सुनील दत्त ने अपने होम प्रोड्क्शन के तले फिल्म 'मन का मीत' बनाई। इस फिल्म के साथ ही विनोद खन्ना का फिल्मी करियर शुरु हुआ।

साइन की हुई फिल्‍में छोड़कर ओशो आश्रम में बर्तन मांजने लगे थे विनोद खन्‍ना

पहले विलेन बने बाद में हीरो

विनोद खन्ना बॉलीवुड के उन चुनिंदा एक्टर में से एक हैं जिन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में विलेन का किरदार निभाया। और बाद में हीरो के रूप में पहचान बनाई। साल 1970 में फिल्म 'पूरब और पश्चिम', 'सच्चा झूठा', 'आन मिलो सजना' और 'मस्ताना' में अलग-अलग किरदार निभाए। इसके ठीक एक साल बाद 1971 में आई फिल्म 'हम तुम और वो' से विनोद लीड हीरो के तौर पर दर्शकों के सामने आए। इसके बाद साल 1982 तक विनोद कई फिल्मों में बतौर हीरो नजर आए।

साइन की हुई फिल्‍में छोड़कर ओशो आश्रम में बर्तन मांजने लगे थे विनोद खन्‍ना

शोहरत छोड़कर बने संन्यासी

एक्टर विनोद खन्ना के बारे में एक बात जरूर कही जाती है। कि अगर विनोद ने अपने करियर के मुख्य पड़ाव पर बॉलीवुड को अलविदा न कहा होता तो आज वो महानायक बन जाते। दरअसल साल 1982 में विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री को बॉय-बॉय कह दिया था। विनोद के इस फैसले से सभी हैरान थे, तभी एक दिन विनोद ने प्रेस कांफ्रेंस कर वो बात बताई जो आज भी याद की जाती है। विनोद उस समय ओशो यानी रजनीश के अनुयायी बन गए थे और उनके आश्रम में जाकर बर्तन मांजने लगे थे। ओशो को विनोद पर काफी गहरा असर पड़ा। यही वजह है कि विनोद ने उस दौरान जो फिल्में साइन की थीं उसका साइनिंग एमाउंट भी वापस कर दिया था। करीब चार साल तक विनोद ओशा के आश्रम में रहे और माली का काम किया।

साइन की हुई फिल्‍में छोड़कर ओशो आश्रम में बर्तन मांजने लगे थे विनोद खन्‍ना

फिर हुई वापसी

साल 1987 में फिल्म 'इंसाफ' के साथ ही विनोद ने फिल्म इंडस्ट्री में फिर से वापसी की। इसके बाद विनोद लगातार फिल्म में सक्रिय रहे। और मल्टी-स्टारर फिल्मों में काम किया। ओशो के अनुयायी बनने के बाद विनोद की पत्नी गीतांजलि ने उन्हें डाइवोर्स दे दिया था। बाद में साल 1990 में विनोद ने दूसरी शादी की।

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राजनीति में भी सक्रिय

विनोद खन्ना ने 1997 में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली। और पंजाब के गुरुदासपुर से 1999 लोकसभा का चुनाव लड़ा और शानदार जीत पाई। वह अटल सरकार में पर्यटन एंव संस्कृति मंत्री भी रहे।

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