ये था मौका
मौका था आईआईटी (BHU) बनारस में एक दीक्षांत समारोह का। समारोह के दौरान डॉक्टर कलाम को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। यहां मंच पर पांच कुर्सियां रखी थीं। इन पांच कुर्सियों में बीच वाली कुर्सी को राष्ट्रपति के लिए चुना गया था। इसके अलावा की चार कुर्सियां विश्वविद्यालय के अन्य उच्च अधिकारियों के लिए रखी गईं थी। डॉक्टर कलाम ने जब ये देखा कि उनको उस कुर्सी पर बैठने के लिए कहा जा रहा है जो बाकी चारों से बड़ी है, तो उन्होंने उसपर बैठने से मना कर दिया।

एक अन्य वाक्या ऐसा भी
उन्होंने उस कुर्सी पर कुलपति को बैठने को कहा। वहीं ऐसा कैसे हो सकता था। कुलपति ने भी राष्ट्रपति के लिए निर्धारित ऊंची कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। उसके बाद तुरंत ही उनके लिए दूसरी कुर्सी का इंतजाम किया गया। उनकी महानता के कई ऐसे किस्से हैं, जिनको सुनकर आपका भी मन पसीज उठेगा। जैसे एक बार किसी ने डॉक्टर कलाम को बिल्डिंग की रक्षा के लिए दीवार पर टूटा हुआ कांच लगवाने की सलाह दी। उनकी इस सलाह को डॉक्टर कलाम ने मानने से मना कर दिया। कारण जानना चाहेंगे आप! कारण था कि ऐसा करने से पक्षियों को चोट लग सकती है।  
ये दोस्ती का किस्सा चौंका देगा आपको
उनके ऐसे कारनामों की गाथा में एक और किस्सा ये भी है कि एक बार उनके एक अधीनस्थ सहयोगी पर काम का कुछ ज्यादा ही दबाव था। इस कारण से वह अपने बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने नहीं ले सकते थे। उस समय डॉक्टर कलाम ने समय निकाला और उनके बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने ले गए। उनके विशाल हृदय से जुड़े किस्स्ो यहीं खत्म नहीं होते। कुछ ऐसा ही है, जब राष्ट्रपति बनने के बाद वे पहली बार केरल यात्रा के दौरान राजभवन पहुंचे। यहां राजभवन में सड़क के किनारे बैठने वाले एक मोची और एक बेहद छोटे से होटल के मालिक को उन्होंने बतौर मेहमान आमंत्रित किया। वे इस मोची के काफी करीब थे। इसके बाद में फिर होटल के मालिक से भी उनकी दोस्ती हो गई।

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