PATNA: जिस उम्र में ज्यादातर बच्चियां खेलती हैं। करियर बनाने का सपना देखती हैं। उस उम्र में उसके नाजुक कंधों पर गृहस्थी का बोझ लाद दिया गया। और ये काम किसी और ने नहीं बल्कि उसके मां-बाप ने किया था। बाकी का कसर पूरा कर दिया उसके ससुरालवालों ने। बात-बात पर पीटना। उसे ताना देना। घर से निकाल देने की धमकी देना। ये रोजमर्रा की बात हो गई थी। कई दिनों तक वह लोक-लाज की खातिर सब कुछ सहती रही लेकिन जब घरवालों ने भी मुंह मोड़ लिया तो उसके पास जान देने के अलावा कोई चारा नहीं था। यही सोच कर पटना जंक्शन आ चुकी थी, लेकिन सही समय पर आरपीएफ पहुंच गई और वह सही सलामत है।

यह कहानी नहीं कड़वी हकीकत है क्भ् वर्षीय मोना (काल्पनिक नाम) का। जो जहानाबाद के कुंडला की रहनेवाली है। गुरुवार को पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म-क् पर वह लगातार रोए जा रही थी। कई यात्रियों ने चुप कराने की कोशिश की, लेकिन शांत नहीं हुई। अलबत्ता लोग जितना चुप कराते वह और दहाड़ मार कर रोने लग रही थी। इस बीच आरपीएफ को सूचना मिली। मोना को थाने लेकर गए। वहां पूछताछ में पता चला कि क्भ् साल की उम्र में ही अलीपुर के एक लड़के से शादी कर दी गई। शुरू में सब ठीक रहा लेकिन चंद दिनों बाद छोटी-छोटी गलतियों पर ससुराल वाले मारने-पीटने लगे। तंग आकर जहानाबाद स्थित अपने मायके चली आई। मामले की जानकारी घरवालों को दी। लेकिन उनकी ओर से भी मदद नहीं मिली। क्या करती। कहां जाती। मरने के अलावा कोई चारा नहीं था। यह सोच कर पटना जंक्शन आ गई। ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या करने का फैसला कर लिया था, तभी जान बचा ली।

एक और केस लड़ लेंगे

मोना के हालात जानने के बाद बाल शाखा के अधिकारी ने उसके ससुराल के लोगों से फोन पर बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंनें कहा कि अभी तक कई केस लड़ चुका हूं। अगर एक केस और आता है तो वह भी लड़ लूंगा्। इसके बाद फोन काट दिया।

पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म-क् पर नाबालिग लड़की आत्महत्या करने वाली थी। ट्रैक के पास खड़े होकर काफी देर से रो रही थी। आरपीएफ के जवानों ने जानकारी ली, तो उसने ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या करने की बात कही है। नाबालिग को बाल शाखा के जिम्मे सौंप दिया गया है।

- विश्वनाथ कुमार, निरीक्षक, आरपीएफ पोस्ट, पटना जंक्शन