- जिस कमरे से भड़की आग वहां जमकर पी गई थी

- अगले दिन बरामद शराब की बोतले कर दीं गई गायब

- केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में आग का मामला

LUCKNOW : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में आग लगने का कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सका है। सूत्रों के मुताबिक जिस कमरे में सबसे पहले आग भड़की थी वहां पर जमकर जाम छलकाये गये थे। कहीं यह आग साजिश के तहत तो नहीं लगाई गई इसकी जांच की जा रही है। हालांकि मामले में कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।

मौके से मिली थी शराब की बोतलें

ट्रॉमा के स्टोर के अंदर बने जिस छोटे किचननुमा कमरे से आग भड़की थी वहीं पर फ्रिज रखा था। वहीं पर शराब की बोतलें भी मिली घटना के अगले दिन मिली थी। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि इन बोतलों को अगले दिन सुबह ही गायब कर दिया गया। कुछ कर्मचारियों से मिली जानकारी के बाद केजीएमयू प्रशासन पता लगा रहा है कि वहां पर किसने शराब पी थी। जानकारी मिली है कि ये लोग केजीएमयू में वरिष्ठ पदों पर तैनात हैं।

हो रही थी एटीएलएस ट्रेनिंग

नाम न छापने की शर्त पर ट्रॉमा के एक कर्मचारी ने बताया कि आग वाले दिन स्टोर के पास एटीएलएस की ट्रेनिंग हो रही थी। उसके बाद वहीं पर एक फैकल्टी मेंबर और अन्य लोगों ने शराब पी थी। बाद में रात में पता चला कि उसी गोदाम में आग लग गई। सूत्रों के मुताबिक केजीएमयू के इस कर्मचारी ने प्रशासन को भी इसकी जानकारी दी है। हालांकि प्रशासन इस पर कुछ भी बोलने से बच रहा है।

जल गए दस्तावेज

ट्रॉमा सेंटर में सेकेंड फ्लोर पर स्थित दवाओं के स्टोर में आग लगने से हड़कंप मच गया था। आग के बाद मरीजों को शिफ्ट करने के दौरान 8 मरीजों की मौत हो गई थी। यही नहीं गोदाम में रखी लाखों की जीवन रक्षक दवाएं और दवाओं की खरीद फरोख्त के दस्तावेज जलकर खाक हो गए। बाद में केजीएमयू, फायर डिपार्टमेट और विद्युत सुरक्षा निदेशालय की संयुक्त जांच में सामने आया कि फ्रिज के स्टेब्लाइजर के गर्म होने व शार्टसर्किट से आग लगने का अंदेशा है।

नहीं सौंपी रिपोर्ट

केजीएमयू के वीसी ने पांच सदस्यीय टीम को केजीएमयू ट्रॉमा में आग मामले की जांच सौंपी थी। जिसकी दो दिन के अंदर ही टीम ने रिपोर्ट दे दी थी। साथी ही आगे से आग न लगे और आग लगने के जिम्मेदार लोगों पर रिपोर्ट देने के लिए 4-5 दिन का समय और मांगा था, लेकिन शनिवार तक जांच टीम अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप सकी थी।

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महानिदेशालय में भी पी थी शराब

ट्रॉमा सेंटर की तरह ही आग लगने से पहले दो वर्ष पहले स्वास्थ्य महानिदेशालय में भी कर्मचारियों ने मौके पर शराब पी थी और बाद में बड़ी आग की घटना सामने आई थी। स्वास्थ्य महानिदेशालय की इस आग में बहुत से महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए थे। जिनमें ट्रांसफर, नियुक्तियों और कर्मचारियों व डॉक्टर्स के सर्विस रिकॉर्ड रखे हुए थे।