इसलिये आती है छींक

सांस लेने के दौरान अगर कोई धूल का कण नाक में फंस जाता है तो उस कण को बाहर निकालने के लिए छींक आती है। अगर कोई बड़ा धूल का कण फंस जाता तो मस्तिष्क फेफड़ों में ज्यादा हवा भरने का संदेश भेजता है और इस दौरान पलके झपकती हैं। पलके झपकने के लिए ट्राईजेमिनल नस जिम्मेदार होती है। ये नस चेहरे, आंख, मुंह, नाक तथा जबड़े को नियंत्रित करती है। छींक आने पर मस्तिष्क हर तरह का अवरोध हटाने का निर्देश देता है जो इस नर्व को भी मिलता है और इसी वजह से आंखे बंद हो जाती हैं। आंखें और नाक क्रेनियल नर्व्स से जुड़े होते हैं। छींक आते ही फेफड़े तेजी से हवा बाहर निकालते हैं।

छींकते समय क्‍यों बंद हो जाती हैं आंखें

क्यों बंद होती हैं आंखें

इस समय में मस्तिष्क पलकों की नर्व्स को खींचने का सिग्नल देता है और आंखे बंद हो जाती है। ट्राइजेमिनल नर्व, तंत्रिका तंत्र का वह हिस्सा होती है जो चेहरे, आंख, नाक, मुंह और जबड़े को नियंत्रित करती है। छींकने के दौरान अवरोध हटाने का दिमागी संदेश यह तंत्रिका आंखों तक भी पहुंचा देती है। और इसकी प्रतिक्रिया में ही हमारी पलकें झपक जाती हैं। छींकने से पहले शरीर खुद को इसके लिये तैयार करता है। छाती की सभी मसल टाइट हो जाती हैं। आप को जानकर हैरानी होगी जब छींक आती है तो इसकी रफ्तार 100 मील प्रति घंटे की होती है। मनुष्य की उत्पति के बाद छींकने के दौरान आंखें बंद होने की ये आदत धीरे-धीरे विकसित हुई है।

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