- ललित महेश्वरी हत्याकांड में पुलिस ने दाखिल की 74 पेज की चार्जशीट

- अनिल सोनी और उसका बहनोई मुख्य आरोपी, ललित के परिवार का कोई सदस्य गवाहों में भी नहीं

- परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर टिकी पूरी चार्जशीट, पुलिस के मुताबिक रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस, लेकिन मोटिव बेहद कमजोर

kanpur@inext.co.in KANPUR: फीलखाना थानाक्षेत्र में क्फ् जुलाई को हुए ललित महेश्वरी हत्याकांड की चार्जशीट पुलिस ने गुपचुप तरीके से कोर्ट में फाइल कर दी। आईनेक्स्ट के पास एक्सक्लूसिव जानकारी है कि पुलिस ने क्क् अक्टूबर को ललित महेश्वरी केस में चार्जशीट दाखिल कर दी है। पुलिस ने मीडिया तक को इस बात की भनक नहीं लगने दी। पुलिस की नीयत इस मामले में शुरू से शक के घेरे में रही है। पुलिस ने जब केस का कथित खुलासा किया था तब भी प्रेस कान्फ्रेस करने के बजाए एक प्रेस नोट भेज दिया था।

परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और एक गवाह के पुलिसिया बयान पर टिकी पूरी चार्जशीट में ऐसी कई बातें हैं जिनसे लगता है कि इसे कातिल को सजा दिलाने के लिए नहीं कत्ल के सूत्रधार को बचाने के लिए तैयार किया गया है। चार्जशीट में सिर्फ दो लोगों पर बेहद लचर तरीके से चार्जेस फ्रेम कर दिए गए हैं। इसका नतीजा ये होगा कि अदालत से वो भी छूट जाएंगे और ललित महेश्वरी को कभी इन्साफ नहीं मिल पाएगा।

जिस केस को पुलिस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस बता रही हो उसे अंजाम देने का मोटिव ही बेहद कमजोर है। सीनियर वकीलों के मुताबिक इस चार्जशीट के हिसाब से आरोपियों पर हत्या का चार्ज साबित कर पाना बेहद मुश्किल होगा।

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चार्जशीट एक नजर में

कब सबमिट हुई- क्क् अक्टूबर ख्0क्ब् (चार्जशीट जमा करने के अधिकतम समय से ख् दिन पहले)

मुख्य विवेचक- इंस्पेक्टर कमल यादव

कितने पेज की चार्जशीट- 7ब् पेज

मुख्य आरोपी- अनिल सोनी और उसका बहनोई ओमप्रकाश

परिस्थितिजन्य सबूत-

क्- रोलैड टॉवर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज

ख्- ललित महेश्वरी के लिखे लेटर

फ्- घटना से पहले मौके पर मौजूद आखिरी शख्स होना

ब्- अनिल के घर से बरामद लाल झोला

गवाह- मार्कवन शोरूम का गार्ड राकेश मिश्रा

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पुलिस ने माना जघन्य अपराध लेकिन मोटिव बेहद मामूली

ललित महेश्वरी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके बुरी तरह से जले हुए फेफड़ों में भी कॉर्बन पार्टिकल मिले थे। जिसकी वजह से पुलिस मान रही है कि उन्हें जब जंजीरों से बांध कर जलाया गया। उस समय उनकी सांसे चल रही थी। लेकिन इस बेहद गैरमामूली हत्याकांड का मोटिव बेहद मामूली है। पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक अनिल और उसके जीजा ने कुछ हजार रुपये नहीं देने पर ललित का इतनी बेरहमी से कत्ल कर दिया। लेकिन ललित को मारने के बाद अनिल और ओमप्रकाश क्या लेकर गए पुलिस उसे आज तक बरामद नहीं कर सकी है। बस एक खाली लाल झोला पुलिस ने बरामद किया है। जिसमें दोनों कुछ सामान ले जाते सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे थे।

मुख्य गवाह का मजिस्ट्रेटी बयान ही नहीं हुआ

एसीएमएम-फ् की कोर्ट के समक्ष फाइल की गई चार्जशीट में कई लूप होल्स है। ललित हत्याकांड में पूरी परिस्थिति जन्य सबूतों के बीच पुलिस एक गवाह भी पेश करेगी। वह मार्क वन शोरूम का गार्ड राकेश मिश्रा है। जांच में उसने बयान तो दिया है लेकिन इस तरह के केस में मुख्य गवाह का मजिस्ट्रेटी बयान होना बेहद जरूरी था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस मामले में पुलिस की ओर से मजिस्ट्रेटी बयान कराने के लिए अर्जी भी डाली गई थी लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया।

परिस्थितिजन्य सबूतों की रिपोर्ट अभी भी नहीं आई

पुलिस के दो सबसे अहम सबूतों की रिर्पोट्स ही उसे नहीं मिली है। पहली ललित महेश्वरी के लिखे लेटर्स की हैंडराइटिंग रिपोर्ट जोकि हैदराबाद से आनी है। दूसरी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की रिपोर्ट जिसे लखनऊ की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा गया है। इसमें फुटेज में मौजूद चेहरों की मिलान के लिए अनिल और ओमप्रकाश की फोटो खींच के भेजी गई है। पुलिस के मुताबिक दोनों रिपोट्स उन्हें नहीं मिलेगी बल्कि कोर्ट में ही सबमिट हो जाएगी।

चार्जशीट में नाम बढ़ाए क्यों नहीं

अनिल सोनी के अधिवक्ता के मुताबिक ललित महेश्वरी हत्याकांड में पुलिस ने उनके पारिवारिक पहलू की जांच ही नहीं की। कई सवालों के जवाब पुलिस के पास नहीं है कि क्यों वह इतने दिनों से रोलैंड टॉवर स्थित शोरूम में ही रहते थे। एसएसपी कई बार बोल चुके हैं कि किसी को क्लीन चिट नहीं मिली है और चार्जशीट में और नाम बढ़ाए जाने हैं लेकिन उन्हीं शुरुआती दो बलि के बकरों अनिल और उसके जीजा पर ही सारे आरोप फिट कर दिए गए।

गुनाह साबित कर पाना मुश्किल

सीनियर लॉयर इंदीवर बाजपेई ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने जो चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है वह बेहद लचर है। सब कुछ परिस्थिति जन्य साक्ष्यों पर टिका है। गवाहों के कोई मजिस्ट्रेटी बयान नहीं कराए गए हैं। और सबसे बड़ी चीज है हत्या का मोटिव। पुलिस चार्जशीट में रुपए ले जाने की बात तो कह रही है लेकिन उसकी कोई बरामदगी नहीं है। साथ ही ललित महेश्वरी के लिखे लेटर्स को लिखने की टाइमिंग व उसे अनिल से ही पोस्ट कराना यह कुछ ऐसे तथ्य है जो कोर्ट में पुलिस के लिए गुनाह साबित कर पाने में बड़ा रोड़ा बनेंगे।