क्या है मामला

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया सांस्कृतिक आधार पर राज्य के अलग झंडे की पैरवी कर रहे हैं। इसी दिशा में राज्य के कानून मंत्री टीबी जयचंद्र ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि जो भी मौजूदा कानून हैं, वह सब केवल राष्ट्रीय ध्वज के बारे में हैं। लेकिन किसी राज्य के पास उसका ध्वज होना चाहिये या नहीं ये स्पष्ट नहीं है। गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार ने झंडे की डिजाइन को लेकर एक रिपोर्ट सौंपने को नौ सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। सिद्धरमैया के मुताबिक संविधान में कहीं भी ये नहीं लिखा है कि राज्य का अपना एक अलग झंडा नहीं हो सकता। इसके पीछे कर्नाटक की अलग सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी राजनीति है। हालांकि कोई भी राजनीति देशहित से बड़ी नहीं हो सकती।

इन 4 राज्‍यों में झंडे का झगड़ा! j&k ही नहीं कर्नाटक का भी होगा अपना झंडा

अलग झंडे की पैरवी करने वालों का तर्क :

पहला तर्क :

जब जम्मू और कश्मीर में अलग झंडा हो सकता है तो देश के दूसरे राज्य ऐसा क्यों नहीं कर सकते।  

दूसरा तर्क :

देश के संविधान में राज्यों के लिए अलग झंडे की मनाही नहीं है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री इसी बात पर जोर देकर अलग झंडा बनाने की मनमानी कर रहे हैं।

तीसरा तर्क :

अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में राज्यों के अपने-अपने झंडे हैं और इससे उनकी अखंडता को कोई खतरा नहीं पैदा हुआ है।

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कानून क्या कहता है?

भारतीय संविधान में राज्यों के लिए अलग झंडे की मनाही नहीं है लेकिन राज्यों के झंडे राष्ट्रीय ध्वज के सामने कम ऊंचाई पर फहराए जाएंगे। ऐसे में अगर राज्य सरकार अलग झंडे की मांग करती है तो केंद्र को कानून के मुताबिक इसकी इजाजत देनी पड़ सकती है।

क्या किसी अन्य राज्य के अपने झंडे हैं?

जम्मू और कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य है, जिसे अपना ध्वज फहराने का अधिकार प्राप्त है, क्यूँकि इस राज्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 अंतर्गत विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। अब जेएंडके के अलावा कर्नाटक और नागालैंड ने संविधान की 371 धारा के तहत अपने राज्य का झंडा हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं सिक्किम भी अलग झंडा चाहता है।

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कर्नाटक के इतिहास के झरोखे में

कर्नाटक के पास अनौपचारिक तौर पर 1960 के दशक से झंडा है। 2012 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस झंडे को कानूनी मान्यता दे दी थी। लेकिन एक कानूनी लड़ाई में सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े।

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