उत्तर कोरिया की यह मिसाइल जापान के होक्कैदो के एरिमोमिसाकी के ऊपर से गुज़री और इस दौरान लोग छिपने के लिए भागते दिखे। कोरिया द्वारा जापान के पूर्वी तट की तरफ दागी गई ऐसी पहली बैलिस्टिक मिसाइल है जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। उत्तर कोरिया पर नज़र रख रहे विशेषज्ञों का कहना है कि यह अब तक की सबसे उत्तेजक कार्रवाई हो सकती है।

 

क्यों है बड़ा मसला?
कई विशेषज्ञ बता रहे हैं कि जब भी उत्तर कोरिया ने जापान की ओर रॉकेट भेजा है उसने यह दावा किया है कि वो उपग्रहों को ले जा रहे थे। लेकिन इस बार यह कहीं अधिक खुला ख़तरा दिख रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह यह ह्वासॉन्ग-12 मिसाइल थी जिसे बड़े परमाणु पेलोड को कम मध्यम दूरी तक ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।

हावर्ड कैनेडी स्कूल के डॉ। जॉन पार्क ने बीबीसी को बताया, "यह बहुत बोल्ड, उत्तेजक और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत प्रतिबंधित है।"

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव के तहत किसी भी तरह के परमाणु हथियार और मिसाइल को विकसित करने पर उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगा रखा है।

पूर्वी एशिया में अमरीका के पूर्व राजदूत क्रिस्टोफर आर हिल और उत्तर कोरिया के पूर्व अमरीकी वार्ताकार ने ट्विटर पर इसे उत्तर कोरिया की अब तक की सबसे गंभीर मिसाइल परीक्षण कहा है।

 

डिप्लोमैट अंकित पांडा ने इस पर सहमति जताते हुए लिखा, "मंगलवार का यह परीक्षण संभवतः अब तक का सबसे उत्तेजक बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण है जिसे उत्तर कोरिया ने तीन दशकों के दौरान किया है।" नहीं। यह वैसी ही मध्यम दूरी की मिसाइल है जिसका उत्तर कोरिया ने पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान परीक्षण किया है।

मिसाइल केवल 550 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही पहुंची, जो कि पिछले परीक्षणों की तुलना में काफ़ी कम है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसे कहां से छोड़ा गया था, बहुत कुछ उस पर भी निर्भर करता है।

सुनान लॉन्च साइट का इस्तेमाल पहली बार किया गया और हो सकता है कि उत्तर कोरिया अपने परीक्षण स्थलों की संख्या बढ़ा रहा हो या फिर परीक्षण का पता चलने से बचने के लिए नए जगह का इस्तेमाल कर रहा हो।

कुल मिलाकर, कई विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु और हथियार कार्यक्रम को जिस गति से आगे बढ़ा रहा है वो बेहद ख़तरनाक हैं।

जॉन पार्क कहते हैं, "उत्तर कोरिया अब मध्यम दूरी या इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल श्रेणी के पैमाने पर हर चार से छह हफ़्ते में मिसाइल परीक्षण कर रहा है। यह किसी भी रूप में चौंकाने वाला है, ख़ास कर उस देश के लिए जिसकी क्षमताओं को कम आंका जाता रहा है।"

 
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विशेषज्ञ कहते हैं कि मंगलवार को किया गया ये परीक्षण एक बहुत स्पष्ट संकेत देते हैं।

कार्नेगी एंडोमेंट ऑफ़ इंटरनेशनल पीस के डग पाल ने बीबीसी को बताया, "वो यह बताना चाहते हैं कि वो बिना किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के अपने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाते रहेंगे।"

दक्षिण कोरिया में पुसान नेशनल यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर रॉबर्ट केली कहते हैं, "लेकिन उत्तर कोरिया ने जापान की ओर मिसाइल दागी न कि अमरीका द्वीप गुआम की तरफ़ जैसी कि इस महीने की शुरुआत में उत्तर कोरिया ने धमकी दी थी। अगर उत्तर कोरिया ने गुआम की तरफ़ यह परीक्षण किया होता तो अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर इसकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत दबाव बन जाता।"

कुछ विशेषज्ञ यह संकेत भी दे रहे हैं कि कूटनीति और चीन पर उसके सहयोगी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का भरोसा करना काम नहीं कर रहा और अब सैन्य प्रतिक्रिया ही एकमात्र तरीका हो सकती है।

कोरिया टाइम्स की एक रिपोर्ट में अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि अमरीका अब उत्तर कोरिया के ख़तरे से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया में सामरिक संसाधनों की तैनाती की योजना बना रहा है।

पाल कहते हैं, "यह सही दिशा में नहीं जा रहा है। यह आज रात ही ख़तरनाक नहीं होने जा रहा क्योंकि उत्तर कोरिया गुआम या अन्य किसी अमरीकी क्षेत्र की तरफ़ मिसाइल नहीं प्रक्षेपण कर रहा, लेकिन यह निश्चित ही गलत दिशा की ओर बढ़ रहा है।"


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