-यह पहला दवा घोटाला नहीं है, पहले भी हो चुके हैं कई घोटाले

-सुशील मोदी ने फिर से उठाए सवाल, उधर, सरकार का लगातार सीबीआई जांच से कर रही इंकार

PATNA: बिहार के दवा घोटाले की गूंज बिहार भर में है। सीबीआई जांच की मांग बीजेपी कर रही है और बिहार सरकार खुद जांच करने में लगी है। एक जांच रिपोर्ट ख्0 अगस्त को ही आई थी। हेल्थ डिपार्टमेंट के अपर निदेशक केके सिन्हा की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित हुई थी। अब एक बार फिर एक्स डिप्टी सीएम और बीजेपी के सीनियर लीडर सुशील कुमार मोदी ने सवाल उठाए हैं। सुशील कुमार मोदी का आरोप है कि अश्विनी चौबे और रामधनी सिंह के बीच के समय में हेल्थ मिनिस्ट्री नीतीश कुमार अपने पास रखे हुए थे।

कैसे करेंगे निष्पक्ष जांच?

सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दीपक कुमार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव हैं। वह स्वयं जीतन राम मांझी के बजाय नीतीश कुमार को रिपोर्ट करते हैं। वैसी स्थिति में यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि दीपक कुमार निष्पक्ष होकर जांच करेंगे, वह भी तब जब पूरा घोटाला नीतीश कुमार के स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार में रहते हुए हुआ है। सुशील मोदी ने कहा कि जब सीएम खुद कह रहे हैं कि कोई घोटाला नहीं हुआ है तो उन के प्रधान सचिव की जांच में कितनी विश्वसनीयता रह जाएगी। बीजेपी के एक्स हेल्थ मिनिस्टर नंदकिशोर यादव और अश्विनी चौबे सीबीआई जांच के पक्ष में हैं, तो नीतीश कुमार सीबीआई जांच से क्यों डर रहे हैं। कहा कि दवा घोटाले में शामिल एक भी आदमी को निलंबित नहीं किया गया है। कहा कि लालू यादव भी यही कहते थे कि चारा घोटाले से संबंधित किसी संचिका पर उनका हस्ताक्षर नहीं है। नीतीश कुमार की चुप्पी पर सुशील मोदी ने सवाल उठाया है।

जांच में क्या-क्या कहा

बीएमएसआईसीएच के द्वारा किए गए अनुबंध में कुल ख्म् दवाओं का मूल्य राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार की दर से कम है। दो दवाओं की दर दोनों संस्थानों की सूची में समान पाया गया और कुल म्फ् दवाओं की दर राज्य स्वास्थ्य समिति के अनुमोदित दर से अधिक था। दरों का अंतर तीन सौ परेसेंट से ज्यादा तक पाया गया। निगम द्वारा जांच समिति को दर अनुबंध की भिन्नता के संबंध में यह तर्क दिया गया है कि निगम और राज्य स्वास्थ्य समिति की शर्ते अलग-अलग होने के कारण दर में अंतर स्वभाविक है।

राज्य कोष का दुरुपयोग

जांच समिति का मानना है कि यह अंतर अधिकतम पांच परसेंट ही मान्य होना चाहिए। जांच समिति ने निगम एवं राज्य स्वास्थ्य समिति के दर अनुबंध में अत्यधिक अंतर पाया गया है। कई दवाओं में यह अंतर ख्0 परसेंट से फ्7ख् परसेंट तक पाया गया। इस तरह आरोपकर्ता मो। शहनवाज अली एवं अशोक कुमार चौधरी का यह आरोप की बीएमसीआईसीएल द्वारा कई दवाओं का क्रय राज्य स्वास्थ्य समिति के अनुबंधित दर से ज्यादा है सही प्रतीत होता है और दवाओं का ऊंचे दर पर क्रय करना राज्य कोष का दुरूपयोग आपत्तिजनक है।

इन्होंने की थी जांच

डा। के के सिंह, अपर निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, बिहार

डा। मधुरेन्द्र किशोर, संयुक्त निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, बिहार

डा। आबिद हुसैन, संयुक्त निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, बिहार

रमेश कुमार, सहायक औषधि नियंत्रक, बिहार

सुभाष चंद्र राय, अनुज्ञापन पदाधिकारी, बिहार

जांच कमेटी ने इन अफसरों पर अंगुली उठाई

प्रवीण किशोर- बीएमएसआईसीएच केएमडी

संजय कुमार- टेक्निकल इवैल्यूएशन कमेटी के अध्यक्ष सह संयुक्त सचिव, हेल्थ

डॉ। सुरेन्द्र कुमार- निदेशक प्रमुख, हेल्थ

ओम प्रकाश पाठक- उप निदेशक, उद्योग

हेमंत कुमार सिंहा- स्टेट ड्रग कंट्रोलर

डा। विमल कारक- उपाधीक्षक पीएमसीएच

डा। डी के रमण- अफसर, राज्य स्वास्थ्य समिति

त्रिपुरारी कुमार- जीएम, बीएमएसआईसीएच

मिस्टर हैदर- यूएनएफपीए

पीएमसीएच में हुआ था एक घोटाला

पीएमसीएच में ख्009-क्0 में दवा घोटाला हुआ था। इसमें नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के लिए केमिकल की रिजेंट की खरीददारी दोगुने-तीगुने रेट पर हुई थी, तब अश्विनी चौबे हेल्थ मिनिस्टर थे। मामला में विजलेंस ने पहले तो क्भ् लोगों पर एफआईआर किया और क्फ् लोगों को अप्राथमिक अभियुक्त बनाया। अब दो और लोगों पर मामला चलाने की अनुमति मांगा है। लगभग क्फ् करोड़ के रेवन्यू के नुकसान की बात विजलेंस ने कोर्ट को दिए हलफनामे में कही। यही नहीं, ख्0क्क्-क्ख् में म्भ् लाख केमिकल के सर्जरी भंडार में एक्सपायरी का मामला भी कोर्ट में गया हुआ है।

एनएमसीएच में भी हुआ था घोटाला

एनएमसीएच में जो दवा घोटाला हुआ था वह ख्007-08 में हुआ था। ये लगभग 98 लाख का घोटाला था। उस समय नंदकिशोर यादव हेल्थ मिनिस्टर थे। इस घोटाले में लोकल पर्जेज का मामला सामने आया था। मामले में पांच सदस्यीय कमेटी ने जांच कर रिपोर्ट दी थी कि राज्य स्वास्थ्य समिति से दा के रेट एप्रूव होने के बावजूद एनएमसीएच में 98 लाख का एक ही वित्तीय वर्ष में लोकल पर्जेज हुआ। नियम की अनदेखी करते हुए ज्यादा मूल्य पर दवाएं खरीदी गईं थीं।

ख्00ख् से कर रही है सीबीआई

बिहार में ये चर्चित घोटाला हुआ था। इसे एमएसडी यानी मेडिकल स्टोर डिपो घोटाला नाम दिया गया। ख्00ख् में हुए इस घोटाले में सूबे के ज्यादातर जिलों के सिविल सर्जन फंसे थे। मामला सीबीआई को गया और अभी तक उस पर जांच चल रही है।

दवा घोटाले क्यों हो रहे बार-बार

दवा खरीद और अन्य खरीद में फर्क है। कुप्रचार नहीं होना चाहिए। गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। ब्लैक लिस्टेड कंपनी से दवा नहीं खरीदनी चाहिए थी। अभी जांच चल रही है इसलिए कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता।

- डा। अजय कुमार, संयोजक, बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ

ड्रग पर्चेज पॉलिसी केन्द्र को बनाकर सख्ती से लागू करना चाहिए। ये ऐसा है कि घोटालों की गुंजाइश हो जाती है। टेक्नीकल इवैल्यूएशन देखना चाहिए था कि ब्लैक लिस्टेड है कि नहीं। नीतियों व प्रक्रिया की कमी की वजह से बार-बार ऐसा हो रहा है।

राजीव रंजन, प्रेसीडेंट, बिहार आईएमए