-पटना हाईकोर्ट ने याचिका पर बिहार सरकार से मांगा जवाब

PATNA: पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा के अधिकार के तहत बिहार सरकार से एक माह जवाब देने को कहा है कि अफसरों के बाल-बच्चे सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ सकते हैं? चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस डॉ अनिल उपाध्याय की खंडपीठ ने बिहार स्टेट प्राइमरी टीचर्स एजुकेशन एसोसियेशन की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। याचिका में उठाए गए सवालों का जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि प्रदेश में बच्चों के साथ भेद-भाव हो रहा है। गरीब बच्चे सुविधाहीन सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। जबकि अफसरों और कर्मचारियों के बच्चे पब्लिक स्कूलों में पढ़ते हैं। याचिकाकर्ता ने 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि उलरप्रदेश में इसी तर्ज पर फैसला हुआ था जिसमें अफसरों के बच्चों को सरकारी और हिन्दी माध्यम के स्कूल में पढ़ाने की नसीहत दी गई थी।

क्यों नहीं सभी वीसी का

वेतन रोक दिया जाए?

पटना हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से रिटायर्ड टीचर्स और शिक्षकेतर कर्मचारियों को समय पर वेतन, पेंशन और अन्य सुविधाएं नहीं मिलने से कड़ी आपलि जताई है। कोर्ट ने सूबे के सभी वीसी और रजिस्ट्रारों को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों नहीं उनके वेतन और अन्य बकायों का भुगतान भी रोक दिया जाए? चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस डॉ अनिल उपाध्याय की खंडपीठ ने कृष्णकांत सिन्हा की लोकहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की।

हर यूनिवर्सिटी में लगाते हैं चक्कर

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि बिहार का एक भी कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऐसा नहीं है जहां के टीचर्स को पटना हाईकोर्ट का चक्कर नहीं काटना पड़ता हो। ये टीचर कभी पेंशन, कभी ग्रेच्युटी और कभी बकाया भत्त के लिए चक्कर लगाते रहते हैं। लेकिन वीसी और रजिस्ट्रार को ऐसी परेशानी कभी नहीं उठानी पड़ती है। याचिकाकर्ता बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर के पेंशनर समाज के सचिव हैं।