मिनिमम बैलेंस बनाए रखने में खर्च अधिक:
बैंकों में सेविंग एकाउंट में मिनिमम मंथली बैलेंस मेनटेन करना जरूरी होता है। कई बैंको में मिनिमम मंथली बैलेंस करीब 5000 से 25000 रुपये के बीच होना जरूरी होता है। ऐसे में अगर खाते में इतना पैसा नहीं होता है तो इसका जुर्माना लगता है। यह दंड राशि खाते में जमा रुपये से कटती है। इससे कोशिश करें कि लगभग हर खाते में मिनिमम बैलेंस मेनटेन रखे नहीं तो उन्हें बंद कर दें। जिससे जुर्माना राशि के खर्च से बच जाएंगे।

छोटे-छोटे मासिक शुल्क प्रभावित करते:

एक से अधिक खाते होने से छोटे-छोटे शुल्क के रूप में काफी पैसा कटता है। बचत खातों के डेबिट कार्ड पर शुल्क, एसएमएस अलर्ट, फोन बैंकिंग और एटीएम उपयोग सहित कई शुल्क खाते से कटते हैं। अगर इन शुल्क को जोड़ कर देखा तो यह एक बड़ी रकम होती है। ऐसे में अगर अवांछित खातों को बंद कर दिया जाए तो इन छोटे-छोटे शुल्क से बचा जा सकता है।

निवेश के अवसरों से वंचित:
अगर आप एक से अधिक बचत रखते हैं तो आपको ज्यादा फायदा नहीं मिल सकता है। कई बार खातों में मिनिमम बैलेंस न रख पाने की वजह से बैंकों से मिलने वाले 4% सालाना ब्याज से भी वंचित रह जाते हैं। बैंको का ब्याज दूसे निवेश वाले क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कम है। पीपीएफ, म्युचुअल फंड आदि की तुलना में यहां पर काफी कम रिटर्न मिलता है।

खातों के संभावित दुरुपयोग:
यदि आप बहुत अधिक बैंक खाते हैं, तो उन पर नजर रखने में परेशानी होती है। इसके अलावा कई बार समय की कमी से लोग इन तक नहीं पहुंच पाते हैं। जिसकी वजह से उन्हें सुरक्षा संबंधी जोखिम भी उठाना पड़ जाता है। जिससे साफ है कि आप जो भी खाते नियमित रूप से उपयोग नहीं कर रहे हैं तो उन्हें बंद करना सबसे अच्छा है।

आईटीआर भरने में भ्रम:
भले ही आप साल भर अपने एक से अधिक खातों को चलाते हो लेकिन जब आईटीआर भरना होता है तब इनकी जरूरत लगती है। अक्सर आईटीआर में बैंक से जुड़ी हर डिटेल भरने के समय लोगों को सभी खातों से जुड़ी चीजे याद नहीं रहती है। इसके अलावा अधिक खाते होने पर अधिक कागजी कार्यवाई करनी पड़ती है। ऐसे में एक से अधिक खाते रखने से बचें और अपने काम को आसान बनाएं। साथ ही पैसा भी बचाएं।

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