पुराने सितारों की जगह खाली
एक वजह जिससे पता चलता है कि सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान जैसे स्टार्स को सुपरस्टार बनने का मौका मिला, वो ये सामने आई कि जब ये खान तिकड़ी मैदान में उतरी तब तक पुराने सुपरस्टार्स जैसे अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, ऋषि कपूर और विनोद खन्ना आदि लगभग जगह खाली कर चुके थे। और खान स्टार्स को अपने आप को साबित करने का समय और मौका दोनों मिले। जबकि जब नये दौर के स्टार्स रणबीर कपूर, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर मैदान में आये तब भी ये तिकड़ी अपना दबदबा बनाये हुई थी। तो न्यकमर्स को आपस में नहीं बल्कि इनसे मुकाबला करके अपने को साबित करना था।

कई मोर्चों पर मुकाबला
दूसरी वजह ये सामने आयी कि जब तक नये दौर के सितारों ने अपना सफर शुरू किया तब तक मनोरंजन के कई माध्यम सामने आ चुके थे। इंटरनेट और टेलिवीजन अपनी जड़े जमा चुके थे। अब मुकाबला एक साथ कई मोर्चों पर था। यानि लड़ाई नया वर्सेज पुराना ही नहीं नेट और टीवी से भी था। अब भारतीय दर्शक सिर्फ फिल्म ही नहीं देखता बल्कि डेली सोप, रियल्टी शो, यूट्यूब चैनल और हॉलीवुड फिल्मों और टीवी शोज का भी मजा लेता है। जाहिर है कि फिल्मों को बार बार देख कर मजा लेने वाला भारतीय दर्शक अब इनचीजों के लिए भी वक्त बचाता है।

दर्शकों के बीच आता अंतर
जब खान सितारों ने अपनी शुरूआत की थी तब सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल ही प्रचलन में थे। जाहिर है चाहे मंहगी कार चलाने वाला हो या रिक्शॉ चलाने वाला एक ही जगह पर फिल्म देख लेते थे। इससे एक अलग माहौल एक मिजाज की ही फिल्में बनती थीं। इसके साथ ही अगर ऑर्ट फिल्म भी हो तो वो भी एक ही जगह रिलीज होती थी तो आपके पास विकल्प नहीं होता था कि फिल्म को कहीं और देख लें। पर अब मल्टीप्लेक्स के चलते टियर सी और बी सिटीज के साथ साथ क्लास के हिसाब से दर्शक बट गए। नतीजा ये हुआ कि अब वेकअप सिड और हैदर जैसी फिल्में एक वर्ग तक सिमट गयीं और दूसरा वर्ग राउडी राठौर और बॉडीगार्ड जैसी फिल्में देखने लगा। 

 

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