आई बी की गुप्त सूची से बाहर आयी दो फाइले कहती हैं कि 20 साल तक सुभाष चंद्र बोस के घर की अभूतपूर्व निगरानी हुई. खास बात ये है कि ब्रिटिश शासन काल में चालू हुई इस विजिलेंस के दौरान इन 20 सालों में से 16 साल तक पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे और ना सिर्फ उन्होंने निगरानी को चालू रहने दिया बल्कि उन्हें उसकी नियमित रिर्पोट भी दी जाती रही. इसी वजह से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों ये निगरानी नेहरू जी ने जारी रहने दी.

बोस के कोलकाता के दो घरों की निगरानी की गई थी. इनमें से एक वुडबर्न पार्क और दूसरा 38/2 एल्गिन रोड पर था. बाहरी निगरानी के साथ ही बोस परिवार की चिट्ठियों और उनकी स्थानीय और विदेश यात्रा की भी जासूसी होती थी. ऐसा लगता है कि एजेंसी जानना चाहती थी कि बोस के रिश्तेदार किससे मिलते हैं, कहां जाते हैं.
हालांकि इस जासूसी की वजह पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है. आईबी ने नेताजी के भतीजों शिशिर कुमार बोस और अमिय नाथ बोस पर कड़ी निगरानी रखी. शरत चंद्र बोस के ये दोनों बेटे नेताजी के काफी करीबी माने जाते थे. नेताजी की विदेश्ी पत्नी एमिली शेंकल जो ऑस्ट्रिया में रहती थीं शिशिर-अमिय ने उनके नाम कुछ चिट्ठियां भी लिखी थीं.

Netaji House

इस खुलासे के बाद हैरान बोस परिवार में उनके पड़पोते चंद्रकुमार बोस ने कहा है कि उन्हें आश्चर्य है क्योंकि जासूसी उन लोगों की होती है जिन्होंने कोई अपराध किया हो पर सुभाष बाबू और उनके परिवार ने तो देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उनकी जासूसी क्यों की गई? इस बारे कई विशेषज्ञों का मानना है कि   कि कांग्रेस सुभाष चंद्र बोस की वापसी से डरी हुई थी. अब सरकार को ये तो पक्की जानकारी नहीं थी कि बोस जिंदा हैं या नहीं, तो उन्होंने सोचा होगा कि अगर वह जिंदा होंगे तो कोलकाता में अपने परिवार से संपर्क जरूर करेंगे. कांग्रेस जानती थी कि बोस की वापसी का देश स्वागत करता और बोस उस दौर में ऐसे एकमात्र करिश्माई नेता थे जो कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करके 1957 के चुनाव में उन्हें हरा सकते थे.  नेताजी से डर का यही कारण था कि बोस जिंदा होते तो वह गठबंधन जिसने 1977 में कांग्रेस को हराया, वो 1962 में ही 15 साल पहले तैयार हो जाता. पर क्या वाकई ऐसा था. विपक्ष के प्रवक्ताओं को क्यों लगता है कि उनके अंदाजे एकदम सही थे. कांग्रेस बोस के रिश्ते इतने खराब भी नहीं थे कि वो उसके खिलाफ जाते. या नेहरू से भी उनकी इतनी मत भिन्नता थी कि वो कांग्रेस को नीचा दिखाते?

ये सारे अंदाजे ही हैं क्योंकि अब तक कई ओरिजिनल फाइलें सामने नहीं भी आई हैं. केवल दो फाइलों के आधार पर सारे अंदाजे लगाना जिनके बारे में कहा जा रहा है कि लगता है वो गलती से गुप्त सूची से बाहर आ गयी हैं कहां तक सही है. ऐसा भी हो सकता है  साल जनवरी में  'इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप' के लेखक अनुज धर की निगाह में आई इन फाइलों की जानकारी अधूरी हो बाकी के फैक्ट अभी भी दूसरी फाइलों में दफ्न हों. क्योंकि आज तक भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि द्वितीय विश्व यूद्ध के खत्म होने और भारत के आजाद होने के बाद भी क्यों सुभाष चंद्र बोस का अज्ञातवास में रहना जरूरी था.

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