- वन्यजीवों के शिकार पर अंकुश लगाने की कवायद

- उत्तराखंड में है बाघों की अच्छी खासी संख्या

- बाघों के शिकार के भी बढ़ रहे हैं मामले

बाघों की मौत के मामले

- 121 बाघों की 2016 में मौत

- 22 बाघों की खालें 2016 में जब्त

- 5 बाघों की खालें उत्तराखंड से 2016 में जब्त

- 34 बाघों की मौत इस साल

- 6 बाघों की खालें इस साल जब्त

DEHRADUN: राज्य में वन्यजीवों के शिकार और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए कवायद तेज हो गई है। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो राज्य में जल्द ही स्टेट वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो खुलने जा रहा है। खासतौर से इस कवायद का मकसद बाघों के संरक्षण को लेकर है। राज्य में बाघों की अच्छी खासी संख्या है, लेकिन कुछ समय से बाघों के शिकार के मामले भी यहां लगातार बढ़े हैं। ऐसे में बाघों के शिकार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए क्राइम कंट्रोल ब्यूरो खोलने की कसरत की जा रही है।

धड़ल्ले से हो रहा बाघों का शिकार

वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ही एक शाखा है, जो वन्य जीवों के शिकार और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए अन्य एन्फोर्समेंट एजेंसीज के साथ कार्रवाई करता है। इसका मकसद वन्य जीवों का संरक्षण है, खासतौर से विलुप्त हो रहे वन्य जीवों का संरक्षण। एनटीसीए द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करें तो बाघों के शिकार और तस्करी पर बैन के बावजूद ख्0क्म् में कुल क्ख्क् बाघों की मौतें हुई, जिनमें से ख्ख् बाघों की खालें जब्त की गईं। इधर इस साल चार महीने के अंतराल में फ्ब् बाघों की मौत हुई जिनमें से म् की खालें जब्त की गईं। जाहिर है बाघों का अवैध शिकार धड़ल्ले से हो रहा है।

राज्य में बड़ी संख्या में हैं बाघ

ख्0क्म् में उत्तराखंड में बाघों की भ् खालें जब्त की गईं। इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर बाघों के संरक्षण और अवैध शिकार पर अंकुश लगाने के लिए कहा था। इसके बाद प्राधिकरण इसे लेकर खासी सतर्कता दिखा रहा है। उत्तराखंड में बड़ी संख्या में बाघ मौजूद हैं, बाघों के इलाके से घनी आबादी भी लगी है। ऐसे में यहां बाघों का शिकार भी हो रहा है। इसके लिए मजबूत सूचना तंत्र, गोपनीय सूत्र और दक्ष अफसरों की सख्त जरूरत है जो बाघों के शिकार पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी तरीके से काम कर सकें।

गठित नहीं हो पाई थी एंटी पोचिंग सेल

राज्य में फ् साल पहले वन्य जीवों के शिकार पर प्रभावी रोक लगाने के लिए एंटी पोचिंग सेल के गठन का प्रस्ताव रखा गया था। इस सेल में एक बड़ी संख्या में वन अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी जानी थीं, लेकिन यह सेल गठित नहीं हो पाई। अब उत्तराखंड में वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना की बात कही जा रही है, जो वन्य जीवों के शिकार पर रोक लगाने में कारगर तरीके से काम करेगा।