बुधवार को मेडिकल कॉलेज में कुत्ते ने कई लोगों को घायल कर दिया था, इस पर हमने गुरुवार को अस्पतालों का हाल देखा तो हालात जस के तस मिले।

एनीमल केयर सोसाइटी के मुकदमों के कारण निगम ने हाथ खींचे

Meerut। शहर में आवारा आतंक का पर्याय बने कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर निगम ने हाथ खींच लिए हैं। इस बाबत अधिकारी अजीबोगरीब तर्क देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। निगम के अधिकारियों का कहना है कि कई बार आवारा पशुओं को पकड़ने के दौरान कई कुत्तों की मौत हो गई थी। जिस पर एनीमल केयर सोसाइटी ने निगम के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था।

आवारा पशुओं को पकड़ने के जिम्मेदारी हमारी है। लेकिन हम इसीलिए नहीं पकड़ते क्योंकि एनीमल केयर सोसाइटी के सदस्य विरोध करते हैं। इतना ही नहीं वही थानों में मुकदमा दर्ज करा देते हैं।

डॉ। कुंवर सेन, नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम

अस्पतालों में कुत्तों का आतंक

जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में कुत्तों की आवाजाही मरीजों और तीमारदारों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है। हालत यह है कि ओपीडी के पर्चा काउंटर पर हर दिन कई कुत्ते बैठे रहते हैं, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में कुत्तों के कई-कई झुंड घूमते रहते हैं, जो कई बार बच्चों और महिलाओं को काट लेते हैं।

जिला अस्पताल में रोजाना 150 से 200 कुत्ता काटने से पीडि़त पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक गर्मी बढ़ने के साथ ही कुत्तों में हिंसक प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है.हालांकि प्रजनन काल के दौरान भी कुत्ते अधिक काटने लगते हैं।

हमारे पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे कुत्तों की एंट्री को रोका जा सके। अस्पताल के अलग-अलग रास्ते हैं यह कहीं से भी आ सकते हैं।

डॉ। अजीत चौधरी, एसआईसी, मेडिकल कालेज

कुत्तों को रोकने की फिलहाल कोई व्यवस्था नही हैं लेकिन हम इस पर विचार कर रहे हैं।

डॉ। पीके बंसल, एसआईसी, जिला अस्पताल