-रिम्स के डॉक्टरों को पहचानना आसान नहीं

-मरीज के साथ-साथ अटेंडेंट को भी हो रही परेशानी

RANCHI: रिम्स के डॉक्टर एप्रन पहनना और नेम प्लेट लगाना जरूरी नहीं समझ रहे हैं। इनमें जूनियर से लेकर सीनियर डॉक्टर तक शामिल हैं। आए दिन विभिन्न वार्डो मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर बिना एप्रन और नेम प्लेट के दिख रहे हैं। इससे मरीज और अटेंडेंट के लिए यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि कौन डॉक्टर है, कौन नहीं। जबकि पिछले दिनों एक फर्जी डॉक्टर भी पकड़ाया था।

डॉक्टर्स को पहचानना मुश्किल

रिम्स में कुछ सीनियर डॉक्टरों को छोड़ दिया जाए तो बाकी के डॉक्टर्स बिना एप्रन और नेम प्लेट के ही हास्पिटल में ड्यूटी करते है। ऐसे में उनकी पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो पूछने पर भी ये लोग डर की वजह से अपना नाम नहीं बताते है। नाम बताने पर उन्हें कार्रवाई का डर सताता रहता है।

मेडिकल एक्ट की उड़ा रहे हैं धज्जियां

मेडिकल एक्ट के अनुसार ड्यूटी के वक्त डाक्टर को एप्रन पहनकर आना है, वहीं एप्रन पर नेम प्लेट भी लगा होना चाहिए, ताकि उस डॉक्टर का नाम और पद की जानकारी मिल सके। लेकिन रिम्स में खुले आम डॉक्टर्स नियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ऐसे में उनकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है। अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उस पर कार्रवाई करने का प्रावधान भी है।

डायरेक्टर डॉ। शमीम हैदर से सीधी बात

आईनेक्स्ट: हास्पिटल में मरीजों के इलाज में लापरवाही बरती जा रही है। डॉक्टर की पहचान भी नहीं हो पा रही है?

जवाब : हां, ऐसा तो यहां देखने को मिल रहा है। जबकि मेडिकल एक्ट के अनुसार एप्रन पहनना जरूरी है, नेम प्लेट भी लगा होना चाहिए।

आईनेक्स्ट : अगर डॉक्टर एप्रन नहीं पहनते हैं और नेम प्लेट नहीं लगाते हैं, तो उन पर क्या एक्शन लेने का प्रावधान है?

जवाब : यहां तो लोग नियम का पालन ही नहीं कर रहे हैं। मैं तो एक्टिंग डायरेक्टर हूं फिलहाल कोई डिसीजन लेना मेरे लिए संभव नहीं है। लेकिन ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।