World Glaucoma Day special

इंडिया में कालामोतिया के नाम से चर्चित है यह बीमारी

शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

ALLAHABAD:

आंखें अनमोल हैं। इनकी देखभाल करना जरूरी है। जरा सी लापरवाही आंखों की रोशनी छीन सकती है। घातक रोग ग्लूकोमा के साथ भी ऐसा ही है। इंडिया में इस बीमारी को कालामोतिया के नाम से जाना जाता है। इस रोग की वजह से एक बार आंखों की रोशनी जाने के बाद दोबारा वापस नहीं लौटती। शहर के हॉस्पिटल्स में रोजाना इस बीमारी से ग्रसित दर्जनों मरीज दस्तक दे रहे हैं।

अनुवांशिक बीमारी है Glaucoma

ग्लूकोमा एक अनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहती है। पिछली पीढ़ी में यदि किसी को यह रोग था। तो नई पीढ़ी में के लोगों पर भी इस रोग का खतरा बना रहता है। कई अन्य कारण भी हैं जिनकी वजह से यह बीमारी होती हैं। एमडीआई हॉस्पिटल समेत शहर के दूसरे प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल्स में ग्लूकोमा के कई मरीज रोजाना पहुंचते हैं। शुरुआती लक्षणों के पकड़ में आने के बाद इस बीमारी का इलाज आसानी से संभव हो जाता है। देर होने पर आंख की रोशनी सदा के लिए जा सकती है। जानकारी के मुताबिक पूरे विश्व में 6 से 12 मार्च के बीच व‌र्ल्ड ग्लूकोमा अवेयरनेस वीक मनाया जाता है। विश्व में ग्लूकोमा से एक साल में लाखों लोगों के आंख की रोशनी यह बीमारी छीन लेती है।

हर उम्र में बना रहता है खतरा

आंखों से दिखने वाली चीजों के इमेज को दिमाग तक पहुंचाने वाली तंत्रिका (नस) को ग्लूकोमा की वजह से नुकसान पहुंचता है। आप क्या देख रहें हैं, ये संदेश आप्टिक नर्व द्वारा दिमाग तक पहुंचता है। ग्लूकोमा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन आम तौर पर बुजुर्गो को ये ज्यादा होता है। यदि सही समय पर इसका इलाज नहीं कराया जाए तो इससे आंखों की रोशनी परमानेंट जा सकती है।

इनको है अधिक खतरा

- 60 से ज्यादा की उम्र के लोग या ऐसे लोग जिनके परिवार में किसी को यह बीमारी रही हो।

- ऐसे लोग जो अस्थमा के लिए स्टीयरॉइड जैसी दवाई ले रहे हों या किसी अन्य बीमारी के लिए कोर्टीसॉन ले रहे हों।

- जिनकी आंखों में कभी किसी भी तरह का जख्म हुआ हो उन्हें भी सतर्क रहने की जरूरत है।

Glaucoma के लक्षण

- धुंधला या अंधेरा नज़र आना।

- जब आप सीधे देख रहे हों तो आंखों के किनारों से दिखाई न देना।

- आंखों में दर्द का होना।

- सिर और पेट में तेज दर्द।

- चश्मे का नंबर बार-बार बदलना

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इस तरह करें रोग से बचाव

-हर दो साल में आंखों की जांच करवाएं।

- हमेशा चेकअप करवाने से आपकी आंखों की रोशनी बच सकती है।

- ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण के दिखने पर, या आंखों की रोशनी कम होने का एहसास होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

वर्जन

समय-समय पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। लापरवाही बरतने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ओपीडी में ग्लूकोमा के मरीजों को एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है।

प्रो। एसपी सिंह, डॉयरेक्टर, एमडीआई हॉस्पिटल

अगर माता-पिता में किसी को ग्लूकोमा की बीमारी है, तो सतर्क रहना चाहिए। ऐसी सिचुएशन में बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। शुरुआती लक्षणों के पकड़ में आने पर बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

डॉ। एसएम अब्बास, बेली हॉस्पिटल