ये बात 'नेचर क्लाइमेट चेंज' में प्रकाशित कैम्ब्रिज और एबरडीन विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में कही गई है.

इस अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि साल 2050 तक खाद्य उत्पादन से होने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 80 फ़ीसदी की वृद्धि होगी.

उनका कहना है कि अगर विकासशील देशों में खेती करने के तौर तरीक़ों को बेहतर बनाएं, तो इसे रोका जा सकता है.

लेकिन इसके लिए खाने की बर्बादी और मांस की खपत को कम करना भी ज़रूरी

कम मांस खाएं,पर्यावरण को बचाएं!

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