- घातक साबित हो सकती है गंभीर मानसिक बीमारी स्किजोफ्रेनिया

- बचाव के लिए अवेयरनेस है जरूरी, शिकार होने पर झाड़-फूंक से नहीं बल्कि डॉक्टर्स से कराएं चेकअप

- आज है व‌र्ल्ड स्किजोफ्रेनिया डे

VARANASI:

अपने आप खुद से बातें करना, कुछ नहीं होने के बावजूद भी चीजें दिखाई देना या सुनाई देना, बेवजह किसी पर हद से ज्यादा शक करना, छोटी-छोटी बातों पर डरना आदि लक्षण यदि आप में हैं तो फिर आप स्किजोफ्रेनिया के शिकार हो सकते हैं। क्योंकि ये सभी लक्षण स्किजोफ्रेनिया बीमारी के हैं। ऐसे रोग से बचने के लिए आप को किसी ओझा या तांत्रिक के पास जाने की जरूरत नहीं, बल्कि मनोचिकित्सक से इलाज कराने की जरूरत है। यह आपको हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि बहुत से लोग इसे भूत-प्रेत या ऊपरी कारण मानकर ओझा या तांत्रिक की शरण में पहुंच जाते हैं। इससे पेशेंट्स के सही होने के चांसेज बिल्कुल समाप्त हो जाते हैं।

कोई भी हो सकता है शिकार

व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यह प्रमाणित करता है कि स्किजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक रोग है। जो किसी भी जाति, वर्ग व उम्र के लोगों को हो सकता है। व‌र्ल्ड में एक तिहाई परसेंट लोग इस रोग से पीडि़त है। ब्रेन में होने वाले केमिकल डिस्टर्बेस के चलते यह बीमारी होती है। इसके अलावा यह अनुवांशिक भी होता है। आज व‌र्ल्ड स्किजोफ्रेनिया डे पर इस रोग के बारे में अधिक से अधिक लोगों को अवेयर करने की जरूरत है।

इन्हें तोड़ने की है जरूरत

स्किजोफ्रेनिया के पेशेंट्स का यदि सही समय पर चेकअप हो तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। लेकिन समाज में झाड़फूंक, रूढि़वादी विचारधारा, अज्ञानता व गलत धारणाओं की जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि इन्हें तोड़ना बहुत जरूरी है। रूरल एरिया में इस तरह की कंडीशन बहुत ज्यादा है। उन्हें इस रोग के बारे में अवेयर करने की जरूरत है।

यूथ तो बचके रहें

आज के समय में स्किजोफ्रेनिया की बीमारी क्8 से फ्0 साल के लोगों में सबसे अधिक होती है। इस बीमारी के चलते उनमें पॉजिटिव सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है। यही कारण है कि फैमिली सहित हसबैंड व वाइफ के बीच में दरार पड़ जाती है। ऐसा लगने लगता है कि जो मैं सोच रहा हूं वह सही सोच रहा हूं, सबको मैं कंट्रोल कर सकता हूं। यदि मन में ऐसे ख्याल पनपने लगें तो फिर मामला गड़बढ़ हो जाता है।

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स्किजोफ्रेनिया बहुत गंभीर बीमारी है। लेकिन पेशेंट का चेकअप अगर सही समय पर हो तो वह ठीक भी हो सकता है। 99 परसेंट पेशेंट ठीक हो जाते हैं। इसके प्रति लोगों को अवेयर करने की जरूरत है।

डॉ। वेणु गोपाल झंवर

आज है स्किजोफ्रेनिया डे

व‌र्ल्ड स्किजोफ्रेनिया डे पर ख्ब् मई को देवा इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थकेयर एंड रिसर्च की ओर से मनोवैज्ञानिक शिक्षा, अवेयरनेस व चेकअप के बारे में पेरेंट्स को जानकारी दी जाएगी। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ। वेणुगोपाल झंवर स्किजोफ्रेनिया से बचने के टिप्स देकर लोगों को अवेयर करेंगे।